गोपाल रावत/प्रमोद कुमार।
श्रीपंच दशनाम जूना अखाडे में एक हजार नागा संन्यासियों को दीक्षा दिए जाने का कार्यक्रम पूरा हो गया है। दो दिनों की कठिन तपस्या के बाद मंगलवार को जूना अखाडे के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरी ने नागा साधुओं को दीक्षा दिलाई। वही अब बुधवार से जूना अखाडे की माई वाडा के तहत 200 महिला नागा साध्वियों को दीक्षा देने का कार्यक्रम शुरु होगा। बुधवार केा बिडला घाट पर महिला नागा साध्वियों का मुंडन संस्कार के बाद पिंड दान और श्राद्ध की प्रक्रिया पूरी की जाएगी।
जूना अखाडे के महामंत्री हरिगिरी महाराज ने बताया सभी नव दीक्षित नागा सन्यासियों को बर्फानी नागा सन्यासी का दर्जा प्रदान किया गया। साथ ही सभी नवदीक्ष्ति सन्यासियों से अखाड़े के साथ साथ सन्यास परम्परा के अनुरूप चलने का आहवान किया।
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महिला नागा सन्यासियों की प्रक्रिया बुधवार से होगी शुरु
श्रीपंच दशनाम जूना अखाड़े में बुधवार को करीब दो सौ महिला साधुओं को नागा सन्यासी बनाने की प्रक्रिया प्रारम्भ होगी। इस दौरान नाग सन्यासी बनाने की सभी प्रक्रियाओं का पालन कराया जायेगा। प्रक्रिया बिड़ला घाट पर शुरू होगी। यह जानकारी जूना अखाड़े के अन्र्तराष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्रीमहंत विद्यानन्द सरस्वती ने बताया कि बुधवार को बिड़ला घाट पर करीब दो सौ महिला नागा सन्यासियों को दीक्षित किये जाने की प्रक्रिया प्रारम्भ होगी। जिस प्रकार मंगलवार को एक हजार नागा सन्यासियों को दीक्षित किये जाने की प्रक्रिया दो दिन में सम्पन्न हुई,उसी तरह इन महिला सन्यासियों के भी दीक्षित किये जाने की प्रक्रिया पूर्ण की जायेगी। बुधवार से प्रारम्भ होकर सन्यासी बनाने की प्रक्रिया गुरूवार को सुबह सम्पूर्ण होगी। उन्होने बताया कि महिला नागा सन्यासियों को दीक्षित किये जाने से पूर्व पहले ही उन्हे कठोर नियमों का पालन कराया गया है।
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कैसे बने नागा संन्यासी
कुंभ मेल प्रभारी जूना अखाडा महेश पुरी महाराज ने बताया कि नागा संन्यास प्रक्रिया प्रारंभ होने पर सबसे पहले सभी इच्छुक नागा संन्यासियों का मुण्डन प्रक्रिया प्रारंभ होने के बाद सभी ने गंगा स्नान किया। इस दौरान संन्यासियों ने स्नान करते हुए जीतेजी अपना श्राद्व तपर्ण ब्राह्मण पंडितों के मंत्रोच्चार के बीच किया। सभी नव दीक्षित नागा सन्यासी सायकाल धर्म ध्वजा पर पहुचे,जहां पर विद्वान पण्डितों द्वारा बिरजा होम की प्रक्रिया हुई। मध्य रात्रि साढे बारह बजे आचार्य महामण्डलेश्वर स्वामी अवधेशानंद जी धर्म ध्वजा पर पहुचे व हवन की पूर्णाहूति कराई। इसके बाद नव दीक्षित सन्यासियों को लेकर गंगातट पहुचे,जहा पर दण्ड कमंडल गंगा में विसर्जित कराया। मंगलवार तड़के सभी संन्यासी तट पर पहुंचकर स्नान कर संन्यास धारण करने का संकल्प लेते हुए गायत्री मंत्र के जाप के साथ सूर्य, चन्द्र, अग्नि, जल, वायु, पृथ्वी, दसों दिशाओं, सभी देवी देवताओं को साक्षी मानते हुए स्वयं को संन्यासी घोषित कर गंगा में 108 डुबकियाॅ लगाई। फिर आचार्य महामण्डलेश्वर ने सभी नव दीक्षित सन्यासियों को धर्मध्वजा पर आकर ओंकार उठाया। इसके बाद सभी नवदीक्षित नागा सन्यासियों का अपने अपने गुरूओं ने चोटी यानि शिखा विच्छेदन कर ले ली। इसके बाद सभी नागा सन्यासी मंगलवार को तड़के तीन बजे आचार्य गदद्ी कनखल स्थित हरिहर आश्रम पहुचे,जहां पर आचार्य महामण्उलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि जी ने सभी को प्रेयस मंत्री देकर दीक्षित किया। ये सभी नवदीक्षित सन्यासी बर्फानी सन्यासी कहलायेंगे।