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नशा कैसे युवाओं को बना रहा एड्स का रोगी, हरिद्वार में बुरा हाल, क्या हैं कारण


चंद्रशेखर जोशी।
लाइलाज बिमारी एचआईवी/एड्स के मामलों में हरिद्वार देहरादून के बाद दूसरे नंबर पर है। लेकिन हरिद्वार में इजेंक्शन से नशा करने वालों की संख्या ठीक ठाक है। विशेषज्ञों के अनुसार एड्स के फैलने के कारणों में इंजेक्शन से नशा करना भी मुख्य कारणों में से एक हैं जिनका आंकडा तेजी से बढ रहा है।

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हरिद्वार में इंजेक्शन लेने वाले 96 मरीजों में एचआईवी की पुष्टि
जिला स्वास्थ्य विभाग के आंकडों के अनुसार जनपद में इंजेक्शन से नशा करने 491 मरीज दवा लेने के लिए अस्पताल पहुंचे हालांकि इंजेक्शन से नशा करने वाले मरीजों की वास्तविक संख्या कहीं ज्यादा है। फिर भी 491 मरीजों में 96 मरीजों में एचआईवी पॉजिटिव पाया गया। इनमें अधिकतर संख्या युवाओं की है जिसमें महिलाएं भी शामिल हैं। जो अपने आप में चौंकाने वाले आंकडे हैं। नशा करने वाले मरीजों में एड्स तेजी से फैल रहा है।

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क्या कारण है एड्स फैलने का
स्वास्थ्य विभाग के अनुसार इंजेक्शन से नशा करने वाले अधिकतर युवा अनपढ हैं या फिर बेरोजगारी के कारण तंगहाली झेल रहे हैं। एक ही सीरिंज इंजेकशन से सभी लोग बारी बारी से नशा करते हैं जिसके कारण एड्स और हेपेटाइटिस जैसे घातक रोगों का संक्रमण एक मरीज से दूसरे मरीज में पहुंच जाता है। नशा करने वाले ये नशेडी जब अपना इंजेक्शन किसी दूसरे को देते हैं तो उसे भी एचआईवी हो जाता है। इसके अलावा असुरक्षित यौन संबंध बनाने से भी ये नशेडी एड्स फैला रहे हैं।

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हरिद्वार एड्स के मामलों में दूसरे नंबर पर, देहरादून पहले पर
एड्स के मामलों में देहरादून में सबसे ज्यादा 1070 मरीज एड्स की दवां ले रहे हैं। जबकि हरिद्वार में इनकी संख्या 984 है। वहीं दूसरी ओर नैनीताल में 454 और उधम सिंह नगर में 758 है। पौडी गढवाल में 297 है। सबसे कम उत्तरकाशी में 74, चंपावत में 114 और रुद्रप्रयाग में 144 एड्स के मरीज हैं।

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