nishank active in uttarakhand politics meet several leaders

परिणाम से पहले निशंक के एक्टिव होने के क्या मायने हैं, बता रहे हैं वरिष्ठ पत्रकार


तुषार कुमार/विकास कुमार।
मानव संसाधन मंत्रालय से हटाए जाने के बाद सियासत में हाशिये पर पडे हरिद्वार के सांसद और पूर्व सीएम डा. रमेश पोखरियाल निशंक पिछले कुछ दिनों से चर्चाओं में हैं। निशंक से कई बडे नेता मिले हैं और खुद निशंक भी कई नेताओं से चुनाव के बाद की चर्चाओं में जुटे हैं। प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक ने भी निशंक से मुलाकात कर उसकी तस्वीर साझा की। निशंक के एक्टिव होने और चर्चा में आने की वजह क्या है और उत्तराखण्ड के वरिष्ठ पत्रकार क्या सोचते हैं, इस बारे में हमने जानना चाहा।

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सीएम बनने की जोडतोड या फिर बेकार की कसरत
वरिष्ठ पत्रकार अवनीश प्रेमी बताते हैं कि निशंक की सेहत एक बडा मसला है और केंद्र ने उनका प्रयोग यूपी चुनाव में भी नहीं किया। उत्तराखण्ड में भी वो अपने कद के हिसाब से सक्रिय नहीं थे। अब उनसे भले ही कई नेता मिले हो। लेकिन मुझे लगता है कि चुनाव के बाद की ये सिर्फ एक आम सी कसरत है। हाईकमान निशंक पर दांव खेलेंगी मुझे ऐसा नहीं लगता है। हां ये सवाल जरुर अहम है कि अगर भाजपा बहुमत पा लेती है या फिर गठबंधन से सरकार बनाती है तो फिर क्या पुष्कर सिंह धामी ही सीएम का चेहरा होंगे या कोई बदलाव होगा।
वहीं वरिष्ठ पत्रकार योगेश कुमार ने बताया कि निशंक की सक्रियता से उत्तराखण्ड की राजनीति में कोई बडा बदलाव नहीं होने जा रहा है। निशंक अब नेपथ्य में हैं और अगर बसपा या निर्दलीय को लेकर सरकार बनाने की बात आती भी है तो इसके लिए दिल्ली जोड—तोड के लिए काफी है। उन्हें किसी की जरुरत होगी, ऐसा मुझे नहीं लगता है। हां, एक अहम सवाल ये भी है कि अगर पुष्कर सिंह धामी अपनी सीट हारते हैं तो फिर क्या होगा। हालांकि ये सिर्फ कयास ही है।
वहीं वरिष्ठ पत्रकार राव शफात अली बताते हैं कि निशंक केंद्रीय मंत्री रह चुके हैं और उत्तराखण्ड की कुर्सी भी संभालने का उन्हें अनुभव है। ऐसे में पहली, दूसरी और तीसरी पंक्ति के लीडरों में कुछ उहापोह की स्थिति रहती है तो निशंक एक बेहतर विकल्प हो सकते हैं। हालांकि ये सिर्फ उस स्थिति में रहेगा जब भाजपा पूर्ण बहुमत नहीं ला पाती है। लेकिन मेरा मानना है कि सीएम पुष्कर सिंह धामी ही सबसे अच्छा विकल्प होंगे। क्योंकि इतने कम समय में अगर भाजपा सरकार बनाती है तो इसका श्रेय सीधे तौर पर पुष्कर सिंह धामी को ही दिया जाना चाहिए। क्योंकि मदन कौशिक बतौर प्रदेश अध्यक्ष उस तरीके से प्रदेश में नहीं घूमे जैसे पुष्कर सिंह धामी रहे हैं।

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