रतनमणी डोभाल।
नगर निगम क्षेत्र में विभिन्न भूमिगत विकास कार्यों के लिए की गई रोड कटिंग को लेकर विभिन्न विभाग तथा कार्य करा रहे ठेकेदार आमने—सामने हो गए हैं। गड्ढा एक है और उसके अंदर विभाग चार हैं इसलिए रोड कटिंग का भुगतान सब एक—दूसरे पर डाल रहे हैं। किसको कितनी रोड कटिंग की धनराशि नगर निगम को देनी है पर निर्णय नहीं होने के कारण शहर की सड़कों को बनाने का काम शुरू नहीं हो पा रहा है। शहरवासियों को जान हथेली पर रखकर उबड़—खाबड़ सड़कों से आना जाना पड़ रहा है। नगर निगम ने विभिन्न कार्यदायी विभागों से रोड कटिंग के लगभग 18 करोड़ रुपये की डिमांड की है। जिसमें यूपीसीएल से सर्वाधिक 11 करोड़ 73 लाख रुपये की डिमांड की गई है। जिसको वह देने को तैयार नहीं है इसलिए संयुक्त रूप से जांच कराने की नौबत आई है।
नगर निगम ने भूमिगत विद्युतीकरण का कार्य कराने वाले उत्तराखंड पावर कारपोरेशन को क्षतिग्रस्त रोडों को ठीक कराने के लिए रोड कटिंग की मद में 11 करोड़ 73 लाख रुपये की डिमांड की थी। लेकिन यूपीसीएल के ठेकेदार ने इसको बहुत अधिक बताया जिससे विवाद खड़ा हो गया। मामला जिलाधिकारी तक पहुंचा तो उन्होंने सिटी मजिस्ट्रेट जगदीश लाल, नगर निगम, यूपीसीएल,लोक निर्माण विभाग, आरईएस, पेयजल निगम, जलसंस्थान तथा कार्यदायी संस्थाओं के ठेकेदारों के साथ संयुक्त रूप से रोड कटिंग की जांच तथा पैमाइश करने का निर्देश दिया है।
जिलाधिकारी के निर्देश पर सोमवार से सिटी मजिस्ट्रेट जगदीश लाल, सहायक नगर आयुक्त उत्तम सिंह नेगी, लोक निर्माण विभाग के अधिशासी अभियंता दीपक कुमार, यूपीसीएल के अधिशासी अभियंता पवन सिंह, एसके सहगल, नगर निगम के सहायक अभियंता पवन कोटियाल, बिरला पावर ग्रुप के एमडी भटटाचार्य, परियोजना प्रबंधक टीके घोष आदि अधिकारियों ने संयुक्त रूप से भूपतवाला, भीमगोडा, कनखल, तथा मध्य हरिद्वार में रोड कटिंग की पैमाइश की।
यूपीसीएल की कार्यदायी संस्था बिरला पावर ग्रुप के अधिकारियों का कहना है कि जितनी रोड कटिंग नगर निगम ने दिखाई है उससे आधी भी उनकी नहीं है। जियो की लाइन भी उसमें है, पेयजल निगम की सीवर लाइन, अमृत की पेयजल तथा सीवर लाइन, गेल की गैस पाइप लाइन के लिए भी रोड कटिंग की गई है। नगर निगम यूपीसीएल से ही पूरी रोड कटिंग की वसूली करना चाहता है।
सूत्रों के अनुसार रोड कटिंग का मामला इतनी जल्दी हल होने वाला है। रोड कटिंग के नाम पर अधिक से अधिक धनराशि ऐंठने के लिए कार्यदायी विभागों तथा उनके ठेकेदारों की घेराबंदी की जा रही है। ऐसे में यह मामला हाईकोर्ट तक भी जा सकता है। अगर ऐसा होता है तो शहरवासियों को कुंभ में भी उबड़—खाबड़ सड़कों व गलियों से ही आना जाना पड़ेगा। यह अनुमान लगाया जा रहा है कि अंतिम समय पर शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक को दखल देना पड़ सकता है।