चंद्रशेखर जोशी।
कुंभ मेला 2021 के लिए केंद्र सरकार की एसओपी को आगे बढाते हुए राज्य सरकार ने भी श्रद्धालुओं के लिए पंजीकरण और कोरोना की निगेटिव जांच को बाध्य कर दिया है। यही नही दुकानदारों, होटल और आश्रमों के लिए भी कडे नियम बनाए हैं, जिसके बाद हरिद्वार के व्यापारियों और होटल से जुडे कारोबारियों में काफी रोष है लेकिन बावजूद इसके कोई भी खुलकर बोलने से बच रहा है। वहीं इस बीच पुरोहितों की सर्वोच्च संस्था श्री गंगा सभा ने प्रेस वार्ता कर सबसे वाजिब बात कह डाली।
श्रीगंगा सभा के महामंत्री और वरिष्ठ अधिवक्ता तन्मय वशिष्ठ ने कहा कि कुंभ की एसओपी को लेकर असमंजस के हालात बने हुए हैं। पूरे कुंभ मेले के दौरान एसओपी लागू है तो इससे स्थानीय लोगों को नुकसान होगा और इसका गंगा सभा समर्थन नहीं करती है, हालांकि उन्होंने कहा कि एसओपी अगर सिर्फ स्नान पर्वों के दौरान लागू होती है तो ये अच्छा रहेगा और इसमें स्थानीय जनता को भी नुकसान नही होगा।
उन्होंने कहा कि आरटीपीसआर जांच की बात एसओपी कहती है लेकिन स्नान पर्वों के दौरान आने वाले लाखों श्रद्धालुओं की जांच कैसे हो पाएगी ये भी एक बडा सवाल है। एक छोटे स्नान पर्व पर भी लाखों लोग हरिद्वार स्नान करने पहुंचतेहैं और अभी उत्तर भारत में ही एक दिन में उतनी जांच नहीं हो पा रही है, ऐसे में आदेश का अनुपालन क्या व्यवहारिक तौर पर संभव है, ये भी बडा सवाल है।
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हमें मुआवजा दे सरकार
वहीं व्यापारियों की आवाज उठाने वाले व्यापारी नेता सुनील सेठी ने कहा कि कुंभ एसओपी किसी तुगलकी फरमान जैसा ही है। उन्होंने कहा कि स्नान पर्वों पर बाजार बंद रखने के बारे में एसओपी कहती है। पहले ही कोरोना के कारण बेहाल व्यापारियों के लिए सरकार ने कोई मदद नहीं की है। अगर सरकार एसओपी को लागू करना चाहती है तो फिर हरिद्वार के व्यापारियों को मुआवजा देने का प्रबंध करे। उन्होंने कहा कि एसओपी व्यवहारिक नहीं है और इससे व्यापारियों को भारी नुकसान होगा। वहीं व्यापारी नेता संजीव नैयर ने बताया कि जब कुंभ में यात्री नहीं आएंगे तो कुंभ पर करीब पांच सौ करोड रुपए क्यों खर्च किया जा रहा है। हम इस एसओपी का पूरा विरोध करते हैं और सरकार को इसमें दोबारा सोचना चाहिए। होटल कारोबारी विभाष मिश्रा ने कहा कि एसओपी से पूरा होटल व्यवसाय चौपट हो जाएगा। समझ में नहीं आ रहा है कि ऐसे में क्या किया जाए। कोरोना में भी हमें कोई राहत नहीं मिली। ना बिल माफ हुए ना ही टैक्स और अब धंधा भी चौपट।
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मौनी अमावस्या और बसंत पंचमी स्नान के लिए कोरोना टेस्ट की बाध्यता नहीं
वहीं 11 फरवरी और 16 फरवरी को होने वाले मौनी अमावस्या और बसंत पंचमी स्नान के लिए कोरोना की निगेटिव रिपोर्ट लाने की बाध्यता नहीं है। ना ही किसी पंजीकरण की आवश्यकता है। जिला प्रशासन की जारी एसओपी में श्रद्धालुओं से ये सिर्फ अपेक्षा की गई है, इसको बाध्य नहीं किया गया है। बाध्यता सिर्फ कुंभ के लिए है। गंगा सभा के महामंत्री तन्मय वशिष्ठ ने बताया कि मौनी अमावस्या और बसंत पंचमी स्नान के लिए कोरोना टेस्ट और पंजीकरण की बाध्यता नहीं है और श्रद्धालु इनके बिना भी स्नान के लिए आ सकते हैं।