चंद्रशेखर जोशी।
नगर निगम की पहली बैठक में ही हंगामा खडा हो गया। कांग्रेस और भाजपा के पार्षद आमने—सामने आ गए। यहां तक की कुर्सियां चलने की नौबत आ गई। तू—तू मैं मैं से शुरू हुआ विवाद गाली गलौच तक पहुंचा। इससे पहले की हाथापाई शुरू होती कुछ जिम्मेदार पार्षदों ने बीच बचाव कर मामले को फिलहाल शांत करा दिया। लेकिन, भाजपा इस विवाद के बाद बोर्ड बैठक से पहले बडी कार्रवाई करने जा रही है।
मेयर अनीता शर्मा की ओर से अपने कार्यायल परिसर में सभी पार्षदों की औपचारिक बैठक बुलाई गई थी। इसमें सफाई व्यवस्था को लेकर चर्चा की जानी थी। इसी बीच वार्ड 42 से कांग्रेसी पार्षद दीपिका बहादुर के पति रवि बहादुर के साथ भाजपा पार्षद लोकेश पाल जो कि जगजीतपुर से पार्षद हैं के साथ तनातनी हो गई। असल में रवि बहादुर अपनी पत्नी से मेयर के सामने कुछ बात रखने के लिए कह रहे थे। इस पर लोकेश पाल ने एतराज उठाते हुए कहा कि पार्षदों की बैठक में पति का क्या काम। इसको लेकर दोनों के बीच विवाद शुरू हो गया। आरोप है कि भाजपा पार्षद ने कुर्सी उठा ली। वहीं बाद में रवि बहादुर भी अपने समर्थकों के साथ ताव खा गए। तनातनी देख किसी तरह मामला शांत हो पाया।
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भाजपा के वरिष्ठ नेता और पार्षद अनिरूद्ध भाटी ने बताया कि रवि बहादुर ने मीटिंग के दौरान अपनी पत्नी को कुछ निर्देश देना चाहा जिसका विरोध भाजपा पार्षद ने किया। तब मामला शांत करा दिया। लेकिन रवि बहादुर ने बाद में अपने लडके बुला लिए। जिससे विवाद गहरा गया। लेकिन बाद में दोनों के बीच समझौता करा दिया गया। लेकिन हमने इस बात का ऐतराज मेयर अनीता शर्मा के सामने उठाया है कि बाहर से लडके क्यों बुलाए गए है। हम मीटिंग में किसी का भी हस्तक्षेप नहीं होने देंगे। उन्होंने कहा कि बोर्ड की पहली बैठक में पार्षदों की सुरक्षा संबंधी प्रस्ताव लाया जाएगा और बोर्ड बैठक में मेयर पति या फिर पार्षद पति या अन्य किसी प्रतिनिधि को बैठने नहीं दिया जाएगा।
वहीं कांग्रेस के युवा पार्षद सुहैल अख्तर कुरैशी ने बताया कि कुल गलतफहमी भाजपा पार्षद और कांग्रेस के पार्षद पति के बीच हो गई थी। जिसे बाद में दूर कर लिया गया। हम यहां विकास के लिए आए हैं और भाजपा और कांग्रेस के पार्षदों को विकास पर जोर देना चाहिए। हमारे पास काम की बहुत जिम्मेदारी है और जनता को हमें जवाब देना है। इसलिए हमें भाईचारे और अमन के साथ काम करना होगा।
असल में भाजपा शुरू से ही मेयर पति और पार्षद पतियों को लेकर आक्रामक रही है। इसी आक्रमकता के चलते आज का विवाद भी हुआ है। ये भी बात सही है कि मीटिंग में पार्षदों को ही आवाज उठानी चाहिए। नाकि उनके पतियों या अन्य प्रतिनिधियों को।