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हरिद्वार से उठी राजस्थान में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग, राष्ट्रपति को लिखा पत्र


विकास कुमार।
राजस्थान के उदयपुर में टेलर कन्हैया लाल की निर्मम हत्या के बाद राजस्थान सरकार को बर्खास्त कर वहां राष्ट्रपति शासन की मांग की जा रही है। ऐसे में हरिद्वार से सीनियर अधिवक्ता अरविंद कुमार श्रीवास्तव ने भी भारत के राष्ट्रपति को पत्र लिखकर राजस्थान सरकार को बर्खास्त कर राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की है। उन्होंने संविधान के अनुच्छेद का जिक्र करते हुए और पूर्व के संबंधित केस की नजीर देते हुए पत्र राष्ट्रपति को लिखा है।
उन्होंने कहा कि कन्हैया लाल ने 10 दिन पूर्व ही अपनी जान का खतरे का अंदेशा जताते हुए प्रार्थना पत्र दिया था , तथा अपनी हत्या के अंदेशे के चलते 6 दिन तक अपनी दुकान बंद रखी थी किन्तु राजस्थान पुलिस ने सेक्युलर सरकार के दबाव में अपराधियों के विरुद्ध कोई कार्यवाही नहीं की जिस कारण ही कन्हैया लाल की हत्या हुई है, हत्यारों ने कन्हैया लाल की हत्या के बाद एक विडियो बनाकर वायरल किया जिसमे उन्होंने समस्त हिन्दुओं को धमकी दी है तथा भारत के माननीय प्रधान मंत्री महोदय नरेंद्र मोदी का गला काटने कि भी धमकी दी है।
इससे पूर्व वर्तमान राजस्थान सरकार लगातार मुस्लिम तृष्टिकरण व् हिन्दुओं के विरुद्ध कार्य कर रही है जिसका उधाहरण अलवर राजस्थान में मंदिरों को ध्वस्त करवाना, चित्तौर राजस्थान में हिन्दू संगठन के कार्यकर्त्ता की हत्या, भीलवाडा में एक हिन्दू यूवक को चाकुओं से से गोदकर समुदाय विशेष के युवकों ने निर्मम हत्या की, आदि हिन्दुओं के विरुद्ध घटनाये हुई है तथा राजस्थान सरकार द्वारा उक्त प्रकरण को जानबूझ दबाने का प्रयास किया जा रहा है तथा मीडिया द्वारा उक्त घटना को जनता के सामने लाया गया है, उपरोक्त सभी मामलो प्रतीत हो रहा है कि अपराध संचालन में राजस्थान सरकार का पूर्ण सहयोग है जिस कारण से हत्याओं को राजस्थान सरकार दबा रही थी इनके उक्त कार्यों व उपरोक्त सभी प्रकरण यह सिद्ध करते है कि राजस्थान मे आम नागरिकों के अधिकारो को राजस्थान सरकार द्वारा सत्ता की ताकत के बल पर कुचला जा रहा है भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 से 25 का उलंघन है जिसकारण से राजस्थान सरकार को भारतीय संविधान के अनुछेड़ 356 का उपयोग करते हुए राजस्थान सरकार को बर्खास्त कर राष्ट्रपति शासन लगाया जाना अत्यंत आवश्यक है जिससे राजस्थान मे नागरिकों के मौलिक अधिकार सुरक्षित रहे सके ।

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