IMG 20180216 200838

हरिद्वार पर हरीश रावत का फिर मन डोला, चुनाव लडने के दिए संकेत


Good Governance 2019 728x90px

चंद्रशेखर जोशी।
पूर्व सीएम और हरिद्वार से सांसद रहे हरीश रावत का हरिद्वार के प्रति मोह छूट नही रहा है। पहले लोकसभा चुनाव में पत्नी रेणुका रावत की हार और फिर विधानसभा चुनावों में हरिद्वार ग्रामीण से मुख्यमंत्री रहते हुए हार के बाद भी हरिद्वार को लेकर हरीश रावत का मन लगातार डोल रहा है। लोकसभा चुनाव आते ही एक बार फिर हरीश रावत हरिद्वार में ​सक्रियता दिखा रहे हैं। उनकी इस सक्रियता को लोकसभा चुनाव में उनकी दावेदारी के तौर पर देखा जा रहा है। इसी क्रम में हरिद्वार के कार्यकताओं ने भी दो जनवरी को उनका सम्मान समारोह आयोजित किया है जिसमें उनसे हरिद्वार लोकसभा सीट से चुनाव लडने की जिद की जाएगी।
हालांकि पिछले कुछ समय से खुद हरीश रावत अल्मोडा सीट पर सक्रिय दिखे हैं और वहां लगातार कार्यक्रमों में भी नजर आ रहे हैं। लेकिन अल्मोडा के बजाए हरिद्वार का माहौल उनके लिए ज्यादा मुफीद साबित हो सकता है। ​जिला पंचायत के उपाध्यक्ष राव आफाक अली ने बताया कि पिछले पांच साल में हरिद्वार के सांसद रमेश पोखरियाल निशंक का हरिद्वार की जनता से कोई नाता नहीं रहा है। इसलिए हरिद्वार की जनता चाहती है कि हरीश रावत जैसा जमीन से जुडा नेता ही उनका सांसद बनें ताकि हरिद्वार का विकास हो सके।
वहीं निशंक के खिलाफ स्थानीय स्तर पर माहौल का फायदा भी हरीश रावत को मिल सकता है। इन सब कारणों के चलते ही हरीश रावत अल्मोडा के साथ—साथ हरिद्वार में भी अपनी मौजूदगी बनाए रखना चाहते हैं। हाल ही में बसपा में गए उनके पुराने सहयोगी चौधरी राजेंद्र सिंह पर भी वो खूब बरसे थे। चौधरी राजेंद्र सिंह को हरीश रावत ने खूब सहयोग किया था और जब चौधरी राजेंद्र सिंह ने बसपा ज्वाइन की तो हरीश रावत का दर्द भी बयां हो गया। यही नहीं उन्होंने राजेंद्र चौधरी के भाई की पत्नी सविता चौधरी को भी जिला पंचायत अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने की बात कह डाली थी।
वहीं अब दो जनवरी को होने वाले कार्यक्रम की तैयारियां हरीश समर्थक भी बडी जोर शोर से कर रहे हैं। माना जा रहा है कि कार्यकर्ताओं की जिद के आगे हरीश का पहले से डोल रहा मन स्थिर हो सकता है। लेकिन उनके सामने विरोधी भी कम नहीं है। हरीश रावत के विरोधी नहीं चाहेंगे कि हरिद्वार की राजनीति में हरीश रावत दोबारा अपना सिक्का जमा पाए। बडी मुश्किल से हरीश रावत और उनके परिवार को हरिद्वार की राजनीति से बाहर करने में सफलता मिली थी।

Share News