पीसी जोशी।
सीएम तीरथ सिंह रावत ने उत्तराखण्ड के 18 मार्च 2017 से चले आ रहे दर्जाधारियों को जिनमें विभिन्न आयोगों, निगमों, परिषदों आदि के नामित अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, व सलाहकारों को हटाने के आदेश दिए हैं। इस संबंध में मुख्य सचिव ओम प्रकाश की ओर से सरकारी ओदश भी जारी हो कर दिए गए हैं। पूरे प्रदेश में करीब 114 ऐसे नेता थे जिनको विभिन्न दायित्व सौंपे गए थे, जिनके आफिस, वाहन आदि पर होने वाला खर्चा सरकार पर बोझ बना हुआ था। वरिष्ठ पत्रकार महावीर नेगी ने बताया कि दायित्वधारी चुने जाने में हमेशा से ही खेल होता रहा है, चाहे सरकार किसी की रही हो। ये एक तरीके से अपने करीबी नेताओं को संतुष्ट या एडजस्ट करने का तरीका होता है। साथ ही सरकार और मंंत्रियों से पहुंच रखने वाले नेता इसमें बाजी मारने में कामयाब हो जाते हैं। जबकि जमीन पर काम करने वाले कार्यकर्ताओं को मायूसी ही हाथ लगती है।
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मुख्यमंत्री जी का बहुत सही कदम इन लोगों पर अनावश्यक रूप से सरकार का पैसा खर्च हो रहा था बिना विधायक बने ही फ्री में मंत्री बने हुए थे जबकि कई योग्य विधायक मंत्री पद से बाहर बैठे हुए थे।