विकास कुमार।
हरिद्वार में लावारिस मिली नवजात बच्ची को महिला अस्पताल में अभी भी डॉक्टरों की निगरानी में रखा गया है। हालांकि बच्ची की तबीयत खतरे से बाहर है लेकिन बच्ची के ब्लड जांच में थोड़ा इंफेक्शन पाया गया है। जिसका इलाज किया जा रहा है। चिकित्सकों के मुताबिक संक्रमण के विभिन्न कारण हो सकते हैं। ये मां के जरिए इंफेक्शन हो या फिर पैदा होने के बाद उसे लगा हो, क्योंकि काफी देर तक वो खुले में प्लसेंटा के साथ पडी रही थी। इसलिए वहां से भी संक्रमण के चांस हो सकते हैं। फिलहाल बच्ची का इलाज चल रहा है और कुछ दिन में आशा है कि वो पूरी तरह स्वस्थ हो जाएगी।
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गोद लेने के लिए क्या करें, क्या है प्रक्रिया
लावारिस मिले बच्चों को गोद लेने के लिए कई लोग पूछताछ कर रहे हैं। लेकिन किसी भी बच्चे को गोद लेने के लिए एक लंबी प्रक्रिया है और पूरी जांच के बाद ही आवेदन पर विचार किया जाता है। एडवोकेट एमएस नवाज ने बताया कि किसी भी बच्चे को लेने के लिए Adoption Regulations, 2017 में विस्तार से प्रक्रिया का जिक्र किया गया है। उन अनाथ या लावारिस या फिर परिवार द्वारा खुद सरेंडर किए गए बच्चों को गोद लिया जा सकता है जिन्हें कानूनी तौर पर चाइल्ड वेलफेयर कमेटी गोद लेने के लिए अधिकृत करती है। चाइल्ड वेलफेयर कमेटी या सीडब्ल्यूसी किसी बच्चे के अनाथ या लावारिस मिलने पर सबसे पहले बच्चे के बायोलोजिकल या कानूनी माता—पिता/परिजनों की तलाश के लिए डिस्ट्रिक्ट चाइल्ड प्रोटेक्शन यूनिट के जरिए प्रयास करती है। तय सीमा के अंदर और उचित प्रयासों के बाद भी अगर बच्चे के असली माता—पिता के बारे में कोई पता नहीं चलता है तो इसके बाद बच्चे को गोद दिए जाने के लिए अनुमति दे दी जाती है।
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कैसे करें एप्लाई
एडवोकेट एमएस नवाज बताते हैं कि बच्चे को गोद लेने के भारत सरकार के महिला एवं बाल कल्याण मंत्रालय ने सेंट्रल एडाप्शन रिसोर्स एथोरिटी यानी कारा बनाई है। जिसमें सभी राज्यों के गोद लिए जाने वाले बच्चों का डाटा साझा किया गया है। इस वेबसाइट के जरिए गोद लेने वाले अभिभावक आनलाइन आवेदन कर सकते हैं और आनलाइन ही अपने आवेदन का स्टेटस भी पता कर सकते हैं। इस लिंक के जरिए करें आवेदन https://carings.nic.in/Parents/parentregshow.aspx
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कौन ले सकता है गोद
एडवोकेट एमएस नवाज बताते हैं कि गोद लेने वाले पति—पत्नी का शारीरिक, मानसिक और इमोशनली तौर पर मजबूत होना बहुत जरुरी है। इसके अलावा उनकी माली हालत कैसी है और गोद लेने वाले व्यक्ति का किसी गंभीर बिमारी से ग्रसित नहीं होना चाहिए। यही नहीं पति—पत्नी दोनों की बच्चे को गोद लेने में सहमति का होना जरुरी है। वहीं अकेली महिला लडका या लडकी दोनों को गोद ले सकती है। लेकिन अकेला पुरुष लडकी को गोद लेने के लिए योग्य नहीं माना जाएगा। पति—पत्नी के बीच वैवाहिक जीवन कैसा चल रहा है ये भी महत्व रखता है। जहां तक उम्र का सवाल है बच्चे की उम्र और गोद लेने वाले पति—पत्नी या सिंगल महिला, पुरुष की आयु भी निर्धारित की गई है। यही नहीं एक बार बच्चे को गोद लेने की सहमति बनने के बाद कोर्ट की प्रक्रिया शुरु होती है और काबिल वकील के जरिए आप संबंधित क्षेत्र की कोर्ट में आवेदन कर सकते हैं। कोर्ट की प्रक्रिया पूरी होने के बाद कोर्ट आपको गोद लेने के आदेश दे देती है। यही नहीं गोद लेने की प्रक्रिया कोर्ट से पूरी होने के बाद भी एक या दो साल तक बच्चे का फीडबैक लिया जाता रहेगा।
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