कुणाल दरगन।
प्रॉपर्टी डीलर से एक लाख के इनामी घोषित हुए राजीव कुमार यादव का दिमाग बिल्कुल एक पेशेवर क्रिमिनल की तरह चलता रहा। यूं ही नहीं उसने आठ दिन हरिद्वार पुलिस कि दस से ज्यादा टीमों को छकाए रखा, बल्कि वह अपने शातिर दिमाग की बदौलत ही पूर्वी उत्तर प्रदेश में जगह बदल कर हरिद्वार पुलिस को बार-बार गच्चा देता रहा। आखिर में हरिद्वार पुलिस ने उसकी चाल को समझते हुए ठीक उसी तरह अपनी रणनीति बदल कर कामयाबी हासिल कर ली, वरना राजीव का अगले कई दिन तक हत्थे चढ़ना संभव नहीं दिखाई दे रहा था।
बीस दिसंबर को हरिद्वार में घटी दिल दहला देने वाली इस घटना से हर शहर वासी गुस्से में हैं, चूंकि उसी दिन राजीव पुलिस की मौजूदगी में फरार हुआ था लिहाजा पब्लिक में पुलिस की लचर कार्यशैली को लेकर गुस्सा लगातार पनप रहा था । आमजन के आक्रोश को देखते हुए राज्य सरकार ने एक लाख का इनाम घोषित कर दिया था।हरिद्वार पुलिस कि दस से अधिक टीमें जगह जगह दबिश दे रही थी। पुलिस एक लाख के इनामी घोषित हुए प्रॉपर्टी डीलर राजीव के गिरेबान तक पहुंचने के लिए हर हथकंडे अपना रही थी लेकिन प्रोपर्टी डीलर हत्थे नहीं चढ़ रहा था। रविवार तड़के हरिद्वार पुलिस को सुलतानपुर उत्तर प्रदेश ने आखिरकार कामयाबी मिल ही गई लेकिन पुलिस ने जब प्रॉपर्टी डीलर से पूछताछ की तो उसके शातिर दिमाग की तस्वीर निकल कर सामने आई ।
हरिद्वार से निकलकर वह सीधे रुड़की, देहरादून, दिल्ली, मुरादाबाद से होते हुए पूर्वी उत्तर प्रदेश के गोरखपुर ,फैजाबाद, आजमगढ़ ,लखनऊ, बाराबंकी ,देवरिया सुल्तानपुर मे घूमता रहा। प्रोपर्टी डीलर राजीव ने पता था कि पुलिस मोबाइल फोन की बदौलत उस तक पहुंचने की भरसक कोशिश करेगी लिहाजा उसने अपने मोबाइल फोन इस्तेमाल ही नहीं किया बल्कि वह अपने परिवार व परिजनों से संपर्क साधने के लिए रेहड़ी, रिक्शेवाले या फिर किसी राह चलते के मोबाइल फोन से संपर्क करता रहा। हैरानी की बात यह है कि वह परिचितों से से संपर्क साधने के बाद तुरंत ही उस इलाके को छोड़कर कई किलोमीटर दूर दूसरे इलाके की तरफ रुख कर लेता था । यही नहीं टोल प्लाजा पर भी वह उतर कर खेत के रास्ते से टोल प्लाजा को पार करता था ,जहां सीसीटीवी कैमरे की निगाहें उस तक ना पहुंच सके। एक दूसरी बात यह भी सामने आई है कि वह जब भी अपने किसी परिचित से संपर्क करता था तो सीधे उसे फोन नहीं करता था बल्कि किसी दूसरे पर परिचित से संपर्क कर अपना संदेश पहुंचा देता था। सुल्तानपुर में भी जब वह हरिद्वार पुलिस की गिरफ्त में आया तब भी वह अपने किसी रिश्तेदार से मिलने पहुंचा था लेकिन वह सीधे रिश्तेदार के घर नहीं गया बल्कि अपने एक अन्य परिचित से संपर्क कर उसे अपने रिश्तेदार के घर भेजा ।वहां पहले से ही अलर्ट बैठी हरिद्वार पुलिस की एक टीम को आखिर में सफलता मिल ही गई ।पुलिस ने भी उसके दिमाग को समझते हुए अपनी रणनीति तैयार की जिसकी सफलता की कहानी अब सभी के सामने है।
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एनकाउंटर के डर से भागता रहा राजीव
हरिद्वार। प्रापर्टी डीलर राजीव यादव के पुलिस के हत्थे न चढ़ने के पीछे एक नई कहानी भी सामने आई है। दरअसल उसे डर था कि पुलिस का एनकाउंटर भी कर सकती है इसलिए वह इसी डर के कारण यहां से वहां दौड़ता रहा। सूत्रों की माने तो पूर्वी उत्तर प्रदेश के एक अधिवक्ता से जब उसने राय मशवरा किया तो अधिवक्ता ने उसे यह कह दिया कि इस प्रकरण में पुलिस उसका एनकाउंटर भी कर सकती है ।इसी वजह से उसके जेहन में पुलिस को लेकर खौफ बैठ गया, जिस वजह से वह आठ दिन यहां से वहां घूमता रहा
। पुलिस की माने तो उसे भी समझ नहीं आ रहा था कि आखिर वह कौन सा रास्ता चुने ।उसकी बड़ी वजह है यह थी कि दिल दहला देने वाली इस घटना का असर पूरे उत्तराखंड में देखने को मिल रहा था।
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एसपी सिटी, सीओ मंगलौर और मायापुर चौकी प्रभारी की भूमिका अहम
हरिद्वार ।शहर को झकझोर कर रख देने वाली इस घटना ने पूरे शहर में मातम छाया हुआ है ।लेकिन बेटी के गायब होने से लेकर आरोपियों की धरपकड़ तक हरिद्वार पुलिस की चौकसी निकल कर सामने आई ,हालांकि राजीव के हाथ से फिसलने पर पुलिस की किरकिरी भी बहुत हुई लेकिन अगर पुलिस तथा तत्परता ना दिखाती तो शायद लाडली के शव को भी आरोपी ठिकाने लगा देते। दरअसल 20 दिसंबर को जब 11 साल की मासूम के लापता होने की खबर पुलिस तक पहुंची तो मायापुर चौकी प्रभारी संजीत कंडारी चंद मिनटों में मौके पर पहुंच गए ,क्योंकि परिजनों को मुख्य आरोपी राम तीरथ यादव पर पहले से ही शक था ।लिहाजा चौकी प्रभारी ने उसे तुरंत ही हिरासत में ले लिया ।जैसे-जैसे पुलिस की तफ्तीश आगे बढ़ती गई वैसे वैसे एक भयावह तस्वीर सामने आई। मासूम के लापता होने की सूचना पर एसपी सिटी कमलेश उपाध्याय भी तुरंत ही पहुंच गई थी। घटना के बाद से ही एसपी सिटी कानून व्यवस्था को संभालने में मुस्तैद रही, वहीं दूसरी ओर आरोपी को पकड़ने के लिए बनाए गए आॅपरेशन रूम की व्यवस्था भी संभाल रही थी। शायद यही वजह रही कि हरिद्वार कोतवाली पुलिस ने बिना वक्त गवाएं पूरे घटनाक्रम का परत दर परत खुलासा किया ।चौकी इंचार्ज और एसपी सिटी की सूझबूझ तो देखने को मिली ही। आखिर में जब पूरे शहर में कानून व्यवस्था मुद्दा बनकर सामने खड़ी खड़ी हुई तो सीओ मंगलौर अभय प्रताप सिंह संकट मोचन बनकर उभरे। पूर्वी उत्तर प्रदेश से ही ताल्लुक रखने वाले सीओ मंगलौर अभय प्रताप सिंह की रणनीति का ही नतीजा रहा कि आरोपी राजीव यादव पुलिस के हत्थे चढ़ गया। हरिद्वार को शर्मसार कर देने वाली इस घटना के खुलासे में इन तीन पुलिस वालों की मुख्य भूमिका रही है।
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यूपी पुलिस भी लगी थी फिराक
हरिद्वार। एक लाख के इनामी राजीव कुमार यादव पर उत्तर प्रदेश पुलिस की भी लार टपक रही थी ।अंदर खाने उत्तर प्रदेश पुलिस भी उत्तराखंड पुलिस को पटखनी देने के लिए पूरी तरह से तैयार थी। गोरखपुर पुलिस की टीम बकायदा राजीव की धरपकड़ में जुट भी गई थी लेकिन आखिर में कामयाबी का चेहरा उत्तराखंड पुलिस के सर ही सजा ।दबी जुबान मे एक पुलिस अफसर ने बताया कि यूपी पुलिस राजीव को लेकर बहुत दिलचस्पी ले रही थी।
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डीआईजी गढ़वाल की भूमिका भी अहम
डीआईजी गढ़वाल नीरू गर्ग ने खुद यहां पहुंचकर पूरे मामले की कमान संभाल ली थी। डीआईजी का यहां कैंप करना एक लिहाज से सार्थक भी रहा, क्योंकि तीन दिन तक पूरे शहर मे कानून व्यवस्था एक बड़ा मुद्दा बन गई थी। कहीं ना कहीं हरिद्वार पुलिस को गुस्साई भीड अपने निशाने पर ले रही थी। ऐसे में डीआईजी के यहां पहुंचने से पब्लिक में पुलिस की कार्यशैली को लेकर भरोसा जागा वहीं आरोपी राजीव की गिरफ्तारी को लेकर भी डीआईजी की बनाई रणनीति काम आई। यही नहीं उन्होंने अपने मातहतों के भी पेंच कसे उसी का नतीजा राजीव की गिरफ्तारी के साथ सामने हैं।