हरिद्वार शत्रु सम्पत्ति enemy property in Uttarakhand enemy property in Haridwar शत्रु सम्पत्ति क्या होती है

हरिद्वार शत्रु सम्पत्ति में फंसे अधिकारी: क्या खाली करनी पड़ेगी नौ बीघा जमीन, टूटेंगे दर्जनों आशियाने


हरिद्वार शत्रु सम्पत्ति enemy property in Uttarakhand enemy property in Haridwar शत्रु सम्पत्ति क्या होती है

हरिद्वार शत्रु सम्पत्ति

हरिद्वार के ज्वालापुर ईदगाह के पीछे मौजूद हरिद्वार शत्रु सम्पत्ति enemy property की नौ बीघा जमीन को षडयंत्र कर बेचने के आरोप में विजिलेंस ने 28 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया है। इसमें तत्तकालीन एसडीएम हरवीर सिंह सहित लेखपाल, वकील और अन्य लोग शामिल हैं। लेकिन बड़ा सवाल ये है कि क्या शत्रु सम्पत्ति खाली करनी होगी और क्या इस जमीन पर बने दर्जनों आशियानों को उजाड़ा जाएगा। फिलहाल विजिलेंस के मुकदमे के लोगों में हड़कंप मचा हुआ है।

वरिष्ठ पत्रकार ने 19 साल लड़ी लड़ाई
हरिद्वार शत्रु सम्पत्ति का मामला सामने 1998 में आया जब वरिष्ठ पत्रकार ने एक फर्जी वसीयतनामे का भांडाफोड किया। ज्वालापुर के ईदगाह के ठीक पीछे मौजूद इस जमीन की पॉवर आफ अर्टानी 1998 में फर्जी तरीके से की गई जिसमें पाकिस्तान से दो भाईयों के बिना हिंदुस्तान आए ही पॉवर आफ आटार्नी एक स्थानीय वकील की मदद से कर दी। अहसान अंसारी ने इस मामले को उठाया। लेकिन तब कोई कार्रवाई नहीं हुई है। मामला 2004 में भी उठा जब हरिद्वार के डीएम आरके सुधांशु थे। असल में 2004 में भी एक पॉवर आफ अटार्नी हुई, जिसके बाद जमीन को बेचने का काम शुरु हो गया।

हरिद्वार शत्रु सम्पत्ति enemy property in Uttarakhand enemy property in Haridwar शत्रु सम्पत्ति क्या होती है
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वरिष्ठ पत्रकार अहसान अंसारी ने फिर कागजी कार्रवाई शुरु की तो तब के एडीएम विनोद रतूडी ने जांच में गडबडी पाई और सीबीआई जांच की संस्तुति कर दी। लेकिन फाइल फिर से दब गई। अहसान अंसार ने इसकी शिकायत 2016 में हरीश रावत से की और हरीश रावत ने सुनवाई के बाद विजिलेंस जांच करा दी। विजिलेंस जांच का भी कुछ नहीं हुआ लेकिन इस बीच अहसान अंसारी ने जांच के बारे में सूचना मांगी। विजिलेंस ने सूचना देने से मना कर दिया। लड़ाई सूचना आयोग तक पहुंची और आयोग ने विजिलेंस को सूचना देने के लिए कहा। हरिद्वार शत्रु सम्पत्ति


बस इसके बाद विजिलेंस ने एसडीएम हरवीर सहित अन्य 28 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया। वरिष्ठ पत्रकार अहसान अंसारी ने कहा कि 19 साल की लंबी लड़ाई के बाद मुकदमा दर्ज हुआ है। शत्रु सम्पत्ति को गलत तरीके से बेचा गया है। इसमें अफसरों की मिलीभगत भी रही है। हालांकि कई अफसरों को इसमें बचा भी लिया गया है। मुझे उम्मीद है कि न्याय होगा।

Enemy Property in Uttarakhand Uttar Pradesh will sell Enemy Property in Haridwar Nawab of Bhopal Nawab of Mehmudabad enemy property act
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क्या खाली करनी पड़ेगी जमीन
वरिष्ठ पत्रकार अहसान अंसारी ने कहा कि मैं पहले भी लोगों को यहां जमीन ना खरीदने के लिए कहता था। लेकिन लोग नहीं माने। आज नहीं तो कल ये जमीन खाली करनी ही होगी। क्योंकि देश में शत्रु सम्पत्ति का आंकलन किया जा रहा है।

सरकार इन सभी जमीनों से अतिक्रमण हटवा रही है। क्योंकि ये इस संपत्ति की देखरेख सरकार के पास है। अब सरकार इस सम्पत्ति को बेचने जा रही है। देशभर में करीब एक लाख करोड से अधिक की सम्पत्ति मौजूद है। हरिद्वार शत्रु सम्पत्ति

क्या होती है शत्रु सम्पत्ति
देश के बंटवारे के समय कई सारे मुसलमान भारत छोड पाकिस्तान चले गए थे। लेकिन उनकी जमीनें और मकान अभी भी भारत में थे। जो हमेशा के लिए पाकिस्तान शिफ्ट हो गए, उनकी संपत्ति को सरकार ने शत्रु सम्पत्ति घोषित कर दिया और उसकी कस्टडी अपने पास ले ली। वक्त बीतता गया और अधिकतर शत्रुु सम्पत्तियों पर कब्जे होते गए या फिर इन संपत्तियों को गैरकानूनी तरीके से बेचा जाता रहा। अब सरकार शत्रु संपत्ति को बेचना चाहती है। इसके लिए शत्रु संपत्ति का आंकलन किया जा रहा है। इसी तरह उत्तराखण्ड में नैनीताल और मंसूरी में स्थित शत्रु संपत्ति को खाली कराया गया है।

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