Aiims Rishikesh Trauma center surgery Trauma Surgeon Dr. Neeraj Kumar मशीन में काम करते वक्त उसका दाहिना हाथ कंधे से पूरी तरह अलग हो गया

Aiims Rishikesh Trauma कंधे से कटकर अलग हो गया हाथ, पन्नी में लेकर पहुंचे, एम्स डॉक्टरों ने जोड़ दिया


Aiims Rishikesh Trauma

रतनमणी डोभाल। Aiims Rishikesh Trauma
एम्स के डॉक्टरों ने उत्तराखण्ड में एक मजदूर का कटा हाथ सर्जरी के बाद जोड दिया है। इस तरह का आपरेशन उत्तराखण्ड में पहली बार हुआ है। हाथ मशीन में आने से कंधे से पूरा अलग हो गया था। हाथ को अलग से पन्नी में लेकर एम्स पहुंचे जहां हाथ को सर्जरी के बाद जोड दिया गया। पिथौरागढ से मजदूर को ऋषिकेश लाया गया था। क्या है पूरा मामला नीचे तक पढें

मजदूर शरीफ अंसारी को मिला जीवनदान Aiims Rishikesh Trauma
पिथौरागढ़ जनपद के धारचूला क्षेत्र से शरीफ अंसारी पुत्र कयामुद्दीन अंसारी को थैली में रखे उसके कटे हाथ के साथ 20 मई को हेलीकाॅप्टर के माध्यम से एम्स ऋषिकेश पहुंचाया गया था। मशीन में काम करते वक्त उसका दाहिना हाथ कंधे से पूरी तरह अलग हो गया और खून से लथपथ युवक के कंधे से लगातार रक्तस्राव हो रहा था। एम्स की ट्राॅमा इमरजेंसी में ड्यूटी पर मौजूद ट्राॅमा सर्जन डॉ. नीरज कुमार और डाॅ. सुनील कुमार ने तुरंत रोगी को अनुकूलित कर ट्रॉमा सिस्टम को सक्रिय किया।

ट्राॅमा विभागाध्यक्ष डाॅ. कमर आजम और प्लास्टिक सर्जरी विभाग के हेड डाॅ. विशाल मागो के नेतृत्व में सर्जरी करने वाले चिकित्सकों की टीम ने 5 घंटे तक गहन सर्जरी प्रक्रिया करने के बाद घायल व्यक्ति के कटे हाथ को जोड़कर उसे विकलांग होने से बचा लिया गया। सर्जरी करने वाली टीम में ट्राॅमा विभाग के सर्जन डाॅ. नीरज कुमार, डाॅ. सुनील कुमार, प्लास्टिक सर्जरी विभाग के डाॅ. अक्षय कपूर और डाॅ. नीरज राव सहित एनेस्थीसिया विभाग के डाॅ. रूपेश व डॉ. सचिन आदि शामिल रहे। Aiims Rishikesh Trauma

ट्राॅमा सर्जन डाॅ. नीरज ने बताया कि मरीज को ट्रॉमा आईसीयू में स्थानांतरित करने के बाद, उसके गुर्दे की विफलता को रोकने के लिए नेफ्रोलॉजिस्ट डॉ. शेरोन कंडारी द्वारा बारीकी से मरीज की निगरानी की गई। ट्राॅमा विशेषज्ञों के अनुसार मरीज को अब कृत्रिम अंग लगाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी और रिकवर होने के बाद उसके हाथ में 60 प्रतिशत तक सेंस आ जाएगा। वहीं मरीज ने इसके लिए एम्स ऋषिकेश का धन्यवाद ज्ञापित किया और बताया कि एम्स के चिकित्सकों ने उन्हें नया जीवन दिया है। Aiims Rishikesh Trauma

Aiims Rishikesh Trauma center surgery Trauma Surgeon Dr. Neeraj Kumar मशीन में काम करते वक्त उसका दाहिना हाथ कंधे से पूरी तरह अलग हो गया
Aiims Rishikesh Trauma center surgery Trauma Surgeon Dr. Neeraj Kumar मशीन में काम करते वक्त उसका दाहिना हाथ कंधे से पूरी तरह अलग हो गया

6 घंटे हैं महत्वपूर्ण Aiims Rishikesh Trauma
एम्स के ट्राॅमा विशेषज्ञों के अनुसार कटे अंग को सीधे बर्फ के संपर्क में न रखते हुए पॉलीथिन में रखना चाहिए। सीधे बर्फ के संपर्क में आने पर अंग गलने लगता है। कटे अंग को यदि 6 घंटे के दौरान जोड़ दिया जाए तो वह पहले की तरह काम कर सकता है चूंकि इस तरह के ऑपरेशन की तैयारी में समय लगता है इसलिए मरीज को हरहाल में तीन घंटे के अंदर अस्पताल पहुंचाने का प्रयास किया जाना चाहिए।

ऐसे जोड़ा गया हाथ
क्षतिग्रस्त प्रमुख रक्त वाहिकाओं की सफलतापूर्वक मरम्मत की गई और हड्डी को ठीक किया गया। इसके बाद फ्लैप को जुटाकर सर्जिकल साइट को कवर किया गया। इसके लिए ऑप्टिकल माइक्रोस्कोप, फ्लोरोस्कोपी आदि की आवश्यकता थी। कटे हुए हिस्से की नसों को विच्छेदित कर पहचाना और टैग किया गया। फिर धमनी और शिराओं की मरम्मत करके रक्त परिसंचरण को फिर से स्थापित किया गया। Aiims Rishikesh Trauma

घाव का एक हिस्सा आसन्न मांसपेशी फ्लैप द्वारा कवर किया गया था। एक सप्ताह बाद, दूसरी सर्जरी कर घाव को साफ किया गया। प्रमुख नसों की मरम्मत की गई और शेष घाव को स्किन ग्राफ्टिंग से ढक दिया गया। इसके बाद नियमित ड्रेसिंग की जाती रही।

समय पर काम आई हेली एम्बुलेंस सेवा
धारचूला क्षेत्र राज्य का सीमांत क्षेत्र है और नेपाल बाॅर्डर से सटा है। सड़क मार्ग से धारचूला से एम्स ऋषिकेश तक पहुंचने में 24 घंटे के लगभग का समय लग जाता है। ऐसे में घायल व्यक्ति की जान बचाने के लिए हेली एम्बुलेंस सेवा वरदान साबित हुई। हेलीकाॅप्टर से तत्काल एम्स पहुंचने की वजह से कटा हाथ खराब होने से बच गया और घायल मरीज को नया जीवन मिल गया।

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