रतनमणी डोभाल।
कोरोना महामारी के चलते हरिद्वार में गंगा किनारे होने वाले कुंभ 2021 का स्वरूप इस बार पूरी तरह बदलने वाला है। चार माह तक चलने वाले दुनिया के इस सबसे बड़े मेले का मुख्य आकर्षण अखाड़ों की छावनियां और संतों के शिविर इस बार शायद कुंभ नगर में ना सजाएं जाएं। कुंभ मेला प्रशासन और शासन स्तर पर ये विचार किया जा रहा है कि इस बार कोरोना महामारी को देखते हुए अखाड़ों की छावनियों और नागा संन्यासियों के शिविर नीलधारा, महामंडलेश्वर नगर और अन्य गंगा किनारों पर बसाने के बजाए अखाड़ों के अंदर ही लगाए जाए। हरिद्वार में जहां भी अखाड़ों के मुख्यालय हैं, वहीं इनकी छावनियां और संत निवास के लिए शिविर लगाए जाएंगे। हालांकि, पहले भी अखाड़ों के अंदर छावनियां लगती रही हैं, लेकिन अधिकतर अखाड़ों ने अपनी भूमि पर अर्पाटमेंट खड़े कर दिए हैं और ऐसे में वहां कम जगह बची हैं।
वहीं दूसरी ओर अखाड़ा परिषद दावा कर रही है कि सभी अखाड़ों की तैयारियां चल रही है और जल्द ही उनकी छावनियां हरिद्वार कूच भी कर जाएंगी। ऐसे में अधूरे पड़े काम और कोरोना के चलते प्रशासन की नई योजना कहीं अखाड़ा परिषद और शासन—प्रशासन के बीच टकराव की वजह ना बन जाए। क्योंकि अखाड़ा परिषद फिलहाल कुंभ मेले की तैयारियों से नाराज है और उसने दो टूक कह दिया है कि उनके सभी संत भी आएंगे और भक्त भी, जिनकी व्यवस्था करने की जिम्मेदारी प्रशासन की होगी।
अपर मेला अधिकारी हरबीर सिंह ने बताया कि मेला प्रशासन अखाड़ों के अंदर ही अखाड़ों में आने वाले संतो के शिविरों की व्यवस्था करने पर गंभीरता से विचार कर रहा है। इसका मतलब ये हुआ कि कुंभ के बनाए सेक्टरों में सिर्फ पुलिस और प्रशासन के शिविर ही नजर आएंगे। अखाड़ों की छावनियां और संतों के शिविर अखाड़ों के मुख्यालयों में ही आबाद होंगे। हालांकि, इस पर शासन स्तर पर क्या फैसला होता है, ये तो कुछ समय बाद ही साफ हो पाएगा। लेकिन अखाड़ा परिषद के प्रतिनिधियों से भी हम सफल और सुरक्षित कुंभ कराने के लिए लगातार संपर्क में हैं।
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कुंभ मेला महज 23 सेक्टरों में आयोजित होगा
हरिद्वार में लगने वाले कुंभ 2021 की तैयारी पर कोविड-19 के साए में की जा रही हैं। शासन स्तर पर अभी तक यह निर्णय नहीं लिया जा सका है कि कुंभ का आयोजन किस स्तर पर होगा। शंकराचार्य और महामंडलेश्वर नगर की स्थापना को लेकर भी असमंजस की स्थिति है।
उत्तराखंड के 4 जिलों में पहले कुंभ मेला को मेला प्रशासन ने कुल 23 सेक्टरों में समेटने को अंतिम रूप देना शुरू कर दिया है। कुंभ मेला के सर्वाधिक 18 सेक्टर हरिद्वार, 2 सेक्टर देहरादून के रायवाला और ऋषिकेश, पौड़ी गढ़वाल में 2 सेक्टर लक्ष्मण झूला वह नीलकंठ तथा टिहरी में एक सेक्टर मुनी की रेती में स्थापित होगा। इन 23 सेक्टरों के में अस्थायी रूप से बेसिक सुविधाओं के विकास पर लगभग 300 करोड़ के खर्च होंगे। इस प्रकार हरिद्वार का कुंभ लगभग 800 करोड रुपए में संपन्न कराने की तैयारी है। जबकि अर्द्धकुंभ 2016 लगभग 700 करोड़ रुपए में हुआ था। मेला सेक्टरों में अस्थायी रूप से बेसिक रिक्वायरमेंट सड़क, समतलीकरण, बिजली, पानी, टॉयलेट तथा अधिकारियों ने कर्मचारियों के शिविरों की स्थापना के लिए 300 करोड़ की स्वीकृति मिल चुकी है। मेला प्रशासन ने शिविर स्थापना के लिए टेंडर प्रक्रिया शुरू कर दी है।
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