चंद्रशेखर जोशी।
कुंभ मेला में जो चंद काम स्थायी प्रकृत्ति के हो रहे हैं उनमें से एक प्रमुख काम हरिद्वार में आस्था पथ घाट का निर्माण है। उत्तराखण्ड सिंचाई विभाग इसे 20 करोड के बजट से तैयार कर रहा है और इसका अधिकतर काम पूरा कर लिया गया है। यूं तो घाट मुख्य गंगा के किनारे पर बना है लेकिन घाट पर पानी का संकट है क्योंकि गंगा की धारा नमामि गंगे घाट की ओर से होकर बह रही है और गंगा में इतना पानी नहीं है कि वो आस्था पथ घाट तक आ सके। वहीं मेला प्रशासन भी आस्था पथ घाट को अपनी मुख्य उपलब्धि बता रहा है जबकि स्थानीय लोगों का कहना है कि इस प्रोजेक्ट से फायदा काम ही होगा।
स्थानीय व्यापारी नेता संजीव नैयर ने बताया कि आस्था पथ घाट पर 20 करोड खर्च कर दिए गए। मेला प्रशासन या सरकार को इसकी उपयोगिता बतानी चाहिए। जहां ये बनाया गया है वहां पानी नही रहता है और शहर की आबादी से दूर होने के कारण यहां कोई सैर करने भी नहीं जाता है। जब पानी नहीं होगा तो लोग वहां क्यों जाएंगे और बिना पानी के कैसे स्नान करेंगे। आने वाले समय में ये सिर्फ असमाजिक तत्वों की रिहायशगाह बनकर रह जाएगा। उन्होंने कहा कि आस्था पथ के तौर पर अपर रोड से लेकर हरकी पैडी तक के क्षेत्र को विकसित किया जाना चाहिए था। ताकि स्थानीय लोगों और व्यापारियों को लाभ होता और आने वाले श्रद्धालुओं को इसका लाभ मिल पाता। लेकिन बिना स्थानीय लोगों और जनप्रतिनिधियों को विश्वास में लेकर काम किया जा रहा है जो समझ से परे है।
वहीं वरिष्ठ पत्रकार रतनमणी डोभाल ने बताया कि आस्था पथ घाट जहां बनाया गया जहां सबसे बडी समस्या पानी की है और चूंकि गर्मियों और सर्दियों के मौसम में वहां पानी नहीं रहता है सिर्फ बरसात के समय में ही पानी की उपलब्धता रहती है। जब पानी नहीं होगा तो घाट का क्या मतलब रह जाता है।
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पानी लाने की व्यवस्था कर रहा है मेला प्रशासन
वहीं मेला प्रशासन ने आस्था पथ घाट पर पानी लाने के लिए नई प्लानिंग की और इसके लिए गंगा के दूसरे छोर से पानी के बडे पाइप डाले जा रहे हैं ताकि पानी 20 करोड की लागत से बनाए गए आस्था पथ घाट तक पानी आ सके। अपर मेलाधिकारी हरबीर सिंह ने बताया कि आस्था पथ घाट का 90 प्रतिशत से अधिक काम पूरा हो चुका है जहां तक सवाल है पानी का इसके लिए प्रयास किए जा रहे हैं। पानी को पाइप के जरिए यहां तक लाया जाएगा और ये प्रोजेक्ट पूरी तरह सफल साबित होगा।