विकास कुमार।
कोरोना वायरस की दूसरी लहर ने सरकारी तंत्र को हवा में उडा कर रख दिया है। विशेषज्ञों की चेतावनी के बावजूद लापरवाही बरतने के कारण हालात बद से बदतर हो गए हैं। उत्तराखण्ड में सबसे ज्यादा बुरा हाल देहरादून, हरिद्वार और नैनीताल जनपदों का है। व्यवसथा का आलम ये है कि बैड ना मिल पाने के कारण मरीज दम तोड रहे हैं। हालांकि, सरकार और सरकारी सिस्टम अभी भी डैमेज कंट्रोल करने में लगी है लेकिन पूरी व्यवस्था की जमीनी हकीकत पत्रकार बता रहे हैं…
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सरकारी सिस्टम फेल
उत्तराखण्ड के वरिष्ठ पत्रकार अवनीश प्रेमी बताते हैं कि सरकार जानती थी कि दूसरी लहर आएगी लेकिन जानबूझकर लापरवाही बरती जाती रही। नतीजा ये है कि अब हालात बेकाबू हो गए हैं और सरकारी तंत्र फेल। लोगों को जरुरी दवाईयां नहीं मिल रही है, टेस्ट रिपोर्ट मिलने में काफी वक्त लग जा रहा है और गंभीर मरीजों को बैड नहीं मिल रहे हैं। बाजार में कालाबाजारी हावी है चाहे दवा हो इंजेक्शन हो या फिर जरुरी सामान। देहरादून और हरिद्वार में एक जैसा ही हाल। यहां मरीजों को एक बैड लेने के लिए कई अस्पतालों के चक्कर काटने पड रहे हैं और कईयों को वो भी नहीं मिल रहा है। कंट्रोल रूम और आनलाइन बैड का स्टेटस सब हवा हवाई बातें हैं। बल्कि इसके चक्कर में मरीजों को और ज्यादा मुसीबत हो रही है। क्योंकि, स्टेटस पता चलता है कि खाली है वहांं जाने पर बैड होता नहीं है। अधिकारी फोन नहीं उठाते हैं। शुरुआती दौर में पैसे वालों को निजी अस्पतालों में बैड मिल जा रहे थे लेकिन अब वहां भी आपाधापी मची है। सरकारी अस्पतालों में वीआईपी या वीवीआईपी इलाज पाने में कामयाब हो जा रहे हैं। आम आदमी की परवाह किसी को नहीं है। ऐसे में खुद ही संयम रखिए और जितना ज्यादा हो सके तो संक्रमण से बचने का प्रयास करिए क्योंकि एक बार हालात खराब हुई तो आप बस यहां से वहां दौडते ही रह जाएंगे।
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सिस्टम के भरोसे रहना सही नहीं है
वरिष्ठ पत्रकार निशांत खनी जो खुद कोरोना पॉजिटिव है और गंभीर संक्रमण से गुजर रहे हैं सिस्टम के बदहाली से दो चार हो चुके हैं। उन्होंने बताया कि मुझे अपनी पाजिटिव रिपोर्ट निकलवाने के लिए भी मशक्कत करनी पडी। यहां तक कि दवाई की किट भी समय पर नहीं पहुंची। हालात बहुत खराब हैं। अस्पतालों से लेकर श्मशान घाटों में वेटिंग है। व्यवस्थाएं लड़खड़ा गया है। अस्पतालों में बेड, ऑक्सीजन और दवाओं के लिए मरीज तड़प रहे हैं। हालात लगातार बिगड़ रहे हैं। महामारी में हम खुद का और अपनों का बचाव कर सकते हैं। डबल मास्क पहनने के साथ शारीरिक दूरी बहुत जरूरी है। कोविड वैक्सीन जरूर लें। वैक्सीन लेने के बाद लापरवाही से हम संक्रमित भले ही हो जाएं, लेकिन जान नहीं जाएगी। कोविड के लक्षण सामान्य हैं जैसे मांसपेसियों में दर्द, हल्का या तेज बुखार, पेट खराब, सिर में दर्द, थकान, खांसी। खांसने में खून निकलना और सांस फूलना गंभीर लक्षणः हैं। लक्षण आने पर तत्काल दवाएं शुरू कर दीजिए। जांच करवाने में भले देरी हो जाएं। दवाओं का नकारात्मक असर नहीं है। पानी खूब पिएं। कोविड जांच कराने पर रिपोर्ट 3 से 4 दिन में आएगी। इसके बाद ही सरकारी दवाएं आप तक पहुंचेगी। तब तक देर हो सकती है। इसलिए दवाएं लेने में किसी तरह की लापरवाही न करें। आत्मविश्वास और जिंदा रहने का जुनून जरूरी है। यही सबसे बड़ी दवा है। अपना, परिवार और दूसरों के स्वास्थ्य की हिफाजत करें। लक्षण आने पर बहुत से लोग परेशान हो रहे हैं। उन्होंने फेसबुक पर पोस्ट कर दवाओं और बचाव के तरीकों के बारे मेंं भी विस्तार से लिखा है।
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सरकारी तंत्र पहले से फेल था, अब उसकी पोल खुली है
वरिष्ठ पत्रकार कुणाल दरगन बताते हैं कि सरकार तंत्र यानी सरकार पूरी तरह फेल हो गई। या यूं कहें कि सरकार की लापरवाही का खामियाजा आज जनता को भुगतना पड रहा है। अस्पताल भरे पडे हैं और जरुरी दवाओं व इंजेक्शन की जमकर कालाबाजारी हो रही है। आक्सीजन के भी लाले पड जाते अगर बीएचईएल ने मदद को हाथ ना बढाए होते, हालांकि जिस तेजी से संक्रमण फैल रहा है आने वाले दिनों में हालात और ज्यादा खराब होने वाले हैं। जिला प्रशासन पूरी तरह नाकाम साबित हो रहा है। हरिद्वार की बात करें तो हालात बहुत ज्यादा बुरे हैं सरकारी स्वास्थ्य सेवाएं सीमित हैं और निजी में इलाज उतना बेहतर नहीं है। देहरादून पहले से ही फुल चल रहा है ऐसे में गंभीर मरीजों के सामने विकल्प नहीं है लोग बिना इलाज के दम तोड रहे हैं। इसलिए मेरी सभी से हाथ जोडकर विनती है कि संक्रमण से बचिए, आपकी लापरवाही आपके परिवार को खतरे में डाल सकती है। लक्षण होने पर तुरंत टेस्ट कराइये या फिर आइसोलेट होकर इलाज शुरु कर दीजिए।
कुणाल भाई बिलकुल ठीक कहा
Isolate होके अपने आप इलाज शुरू करदो
क्योकि सारे वरिष्ठ पत्रकार सच बोल रहे हैं