चंद्रशेखर जोशी/विकास कुमार।
23 दिसम्बर राष्ट्रीय किसान दिवस के मौके पर सीएम पुष्कर सिंह धामी ने किसानों ने लिए कई बडी घोषणाएं की है। इसमें राज्य में अगलग दो सालों में 50 हजार पॉली हाउस बनाए जाएंगे। नबार्ड की सहायता से ये निर्माण किया जाएगा। ताकि किसानों की आय दोगुनी की जा सके। वहीं दूसरी ओर राशन की दुकानों पर मंडुआ अनाज देने का भी ऐलान किया गया है। Mandua wheat will distribute on ration shops in uttarakhand
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देहरादून, हरिद्वार, नैनीताल और उधमसिंह नगर में मिलेगा मंडुआ अनाज
राज्य में किसानों की आय बढ़ाने के लिए राज्य के चार मैदानी जनपदों देहरादून, हरिद्वार, उधमसिंहनगर एवं नैनीताल में सार्वजनिक वितरण प्रणाली के माध्यम से उपभोक्ताओं को मंडुआ दिया जायेगा। जिसके लिए 10 हजार मीट्रिक टन मंडुआ न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदा जायेगा। इससे जहां किसानों की आय बढ़ेगी। मोटे अनाजों को भी बढ़ावा मिलेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में किसानों की आय दुगुनी करने के लिए सरकार द्वारा हर संभव प्रयास किये जा रहे हैं।
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क्या होता है मंडुआ अनाज
मंडुवे का दाना गेँहू के दाने से आकार में छोटा और गोल होता है तथा इसका रंग लाल-भूरा सा होता है. इसे गेँहू की ही तरह पीस कर आटे के रूप में इस्तेमाल किया जाता है. मंडुवे को आमतौर पर रोटी बनाकर खाया जाता है. इसके साथ ही पहाड़ के लोग मंडुआ का इस्तेमाल कर कई प्रकार के स्वादिष्ट और पौष्टिक व्यंजन भी बनाते हैं। मंडुआ का वनस्पतिक नाम एलुसाइनी कोराकैना(Eleusine coracana (Linn.) Gaertn) है।मंडुआ के पौधे की कटाई ठीक वैसे ही होती है जैसे गेंहूं के पौधे की कटाई होती है। इसके बाद मशीन में पौधे से मंडुआ के दाने को अलग किया जाता है। इसके बाद चक्की में मंडुआ के दानों को पीस कर आटा बना लिया जाता है। मंडुआ/रागी का आटा दिखने में हल्का भूरा-लाल रंग का होता है।
