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हरिद्वार: डीजीपी साहब गौर फरमाइए, 10 करोड़ के भूखंड पर हो गया कब्जा !

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कुणाल दरगन।
शहर में सक्रिय भू​माफियाओं के एक गिरोह ने शहर के बीचोंबीच करीब दस करोड़ से अधिक के भूखंड पर कब्जा कर लिया है। दिन में ही गुंडों को खड़ा कर आनन फानन मे भूखंड के बाहर दीवार खड़ी कर दी गई है। हैरानी की बात यह है कि सिस्टम बिलकुल ही आंखें मूंदे हुए है। खुफिया तंत्र, स्थानीय पुलिस से लेकर राजस्व विभाग कुंभकरणी नींद सो रहा है। देखना दिलचस्प होगा कि भू माफियाओं को उखाड़ फेंकने का दावा करने वाले सूबे के डीजीपी अशोक कुमार की पुलिस फोर्स इन माफियाओं पर कब कार्रवाई करती है।
यह भूखंड मध्य हरिद्वार में है। दो चार दिन पहले ही इस बेशकीमती भूखंड पर कब्ता हुआ है। इस भूखंड की कीमत बाजार भाव के अनुसार करीब दस करोड़ से अधिक है। शहर में सक्रिय एक भूमाफियाओं के गैंग की नजर इस भूमि पर पड़ गई, जिसके बाद उन्होंने इस भूखंड के अगले हिस्से में जो शहर के मुख्य मार्ग पर वहां दीवार खड़ी कर एक दरवाजा लगा दिया है। सूबे के तेजतर्रार डीजीपी अशोक कुमार की कार्यशैली से अपराधी खौफ खाते है लेकिन भूमाफियाओं का यह गैंग लगातार शहर में विवादित भूमी पर कब्जा करने के सिलसिले को आगे बढ़ा है।

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पूरे मामले पर एक नजर
हरिद्वार, दरअसल इस भूखंड का कोई वली वारिस नहीं है। केवल खेवट के दम पर दो मुस्लिम पक्षकार इस भूमि पर अपना दावा करते है लेकिन दिल्ली की एक फर्म के नाम भी इस भूमि की रजिस्ट्री हो रखी है। उस फर्म ने तो बकायदा इस भूमि पर कई करोड़ का लोन भी लिया हुआ है लेकिन खेवट के दम पर भूमि के स्वामित्व का दावा करने वाले पक्षकारों ने कई चेहरों को भूमि बेचने की पॉवर की हुई है, जिसकी एवज में वह अच्छी खासी रकम अंदर भी कर चुके है। यह सिलसिला भी कई साल से चल रहा है क्योंकि जब कोई कब्जा नहीं कर पाता हैं तो यह पक्षकार फिर किसी दूसरे से रकम लेकर उसे बेचने का अधिकार दे देते है।
खतौनी में किसी के भी स्वामित्व का उल्लेख नहीं है। हां, खेवट भी तब तक प्रभावी मानी जाती है जब तक उस भूखंड पर कब्जा हो। खतौनी में यह भूमि 6400 सौ स्कवायर फुट है। यह भूमि के खसरे को लेकर स्पष्ट उल्लेख नहीं है​ कि जिस भूखंड पर कब्जा किया गया है उसका स्वामी कौन है। ये बताते है कि करीब 300 बीघा भूमि का ये खसरा है लेकिन नंबर स्पष्ट नहीं है।

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नेता जी का नाम इस्तेमाल कर रहा रिश्तेदार
हरिद्वार, बेशकीमती भूखंड पर हुए कब्जे के इस खेल में सत्तारुढ़ दल से जुड़े एक बड़े चेहरे का रिश्तेदार भी शामिल बताया जा रहा है। वह अपने रिश्तेदार नेता के नाम का इस्तेमाल इस भूमि पर कब्जे के लिए कर रहा है जबकि नेता जी को इस बात की भनक तक नहीं है। उधर, इस कब्जे के खेल में मुख्य भूमिका अदा कर रहे भू—माफिया भी नेता जी की साझेदारी होने की बात पूरे शहर में प्रचारित कर अपने संरक्षण का खुलकर इजहार कर रहा है। वहीं इस पूरे मामले में तहसील से दस्तावेजों के आधार पर कई नई जानकारियों और सबूत सामने आ रहे हैं, जिनका खुलासा जल्द किया जाएगा।

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