केडी। संजीवा जीवा
हरिद्वार पश्चिमी उत्तर प्रदेश और दिल्ली में आतंक का प्रयाय रहे संजीव माहेश्वरी उर्फ संजीव जीवा की लखनउ में पेशी के दौरान हत्या कर दी गई। बदमाश वकीलों की ड्रेस में आए थे। संजीव जीवा का भाजपा नेता ब्रह्मदत्त द्विवेदी और कृष्णानंद राय हत्याकांड में भी नाम सामने आया था और संजीव जीवा को मुन्ना बजरंगी व मुख्तार अंसारी गैंग से भी रिश्ता था। संजीवा जीवा
इसके अलावा हरिद्वार और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में कई वारदातों में संजीव जीवा का नाम आया था। हरिद्वार में कंबल व्यापारी हत्याकांड से लेकर हत्या और रंगदारी मांगने के कई मामले संजीव जीवा पर चल रहे थे। हरिद्वार में उसके कई गुर्गेे रहे हैं जो अभी भी सक्रिय थे। संजीवा जीवा
कौन था संजीव जीवा
संजीव जीवा मुजफ्फरनगर का रहने वाला था. अपराध की दुनिया में आने से पहले वो एक मेडिकल स्टोर में कंपाउंडर की नौकरी करता था. इसी नौकरी के दौरान जीवा ने मेडिकल स्टोर के मालिक को ही अगवा कर लिया था. इस घटना के बाद उसने 90 के दशक में कोलकाता के एक कारोबारी के बेटे का भी अपहरण किया. फिरौती दो करोड़ की मांगी थी. इसके बाद जीवा हरिद्वार की नाजिम गैंग में घुसा और फिर सतेंद्र बरनाला के साथ जुड़ा. लेकिन उसके अंदर अपनी गैंग बनाने की तड़प थी।
10 फरवरी 1997 को हुए ब्रह्मदत्त द्विवेदी हत्याकांड के चलते संजीव जीवा का नाम संगीन अपराधी के रूप में जाना जाने लगा. ब्रह्मदत्त द्विवेदी भाजपा के कद्दावर नेता थे. उनकी हत्या के मामले में संजीव जीवा को उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी. थोड़े दिनों बाद जीवा मुन्ना बजरंगी गैंग में घुस गया.
इसी कड़ी में उसका संपर्क मुख्तार अंसारी से हुआ. बताया जाता है कि कि मुख्तार को आधुनिक हथियारों का शौक था और जीवा के पास हथियारों को जुटाने का तिकड़मी नेटवर्क. इसके चलते उसे अंसारी का खासा अटेंशन मिला. आगे चलकर दोनों का नाम कृष्णानंद राय हत्याकांड में आया. हालांकि इस मामले में 2005 में कोर्ट ने दोनों आरोपियों को बरी कर दिया था।