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सत्ता परिवर्तन: देहात में घुसते ही कांग्रेस में जान आई, देहात की कहानी—वरिष्ठ पत्रकारों की जुबानी

विकास कुमार/अतीक साबरी।
कांग्रेस की सत्ता परिवर्तन यात्रा को भले ही शहर में बहुत ज्यादा रिस्पांस ना मिला हो लेकिन देहात यानी ग्रामीण इलाकों में सत्ता परिवर्तन यात्रा घुसते ही कांग्रेस नेताओं के चेहरे खिल गए। हालांकि रूडकी की जनसभा में ही कांग्रेस देहात की जनता का मिजाज भांप गई थी, सुबह कलियर और फिर झबरेडा और मंगलौर का माहौल देख कांग्रेस के नेता गदगद नजर आए। लेकिन बडा सवाल ये है कि क्या सत्ता परिवर्तन यात्रा को देहात इलाके में मिल रहा समर्थन ​चुनावी दावेदारों के शक्ति प्रदर्शन तक सीमित है या फिर वाकई ग्रामीण क्षेत्र की जनता भाजपा से नाराज दिख रही है। इस बारे में वरिष्ठ पत्रकारों विस्तार से बता रहे हैं

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किसान—बेरोजगार—दलित—मुस्लिमों लाए कांग्रेस में आशा
उत्तराखण्ड के वरिष्ठ पत्रकार अवनीश प्रेमी ने बताया कि कांग्रेस ने पिछले चुनाव में शहर और देहात में बहुत अच्छा प्रदर्शन नहीं किया था। लेकिन इस बार किसान—बेरोजागर, दलित और मुस्लिमों की वर्तमान सरकार से नाराजगी के कारण कांग्रेस मजबूत नजर आ रही है। हालांकि, हरीश रावत सत्ता परिवर्तन यात्रा से नदारद थे जिसके कारण यात्रा में वो तेज नजर नहीं आ रहा है लेकिन शहर के मुकाबले देहात इलाकों में कांग्रेस की यात्रा को समर्थन मिलना दूसरे दलों के लिए​ चिंता का सबब है। रूडकी और हरिद्वार के ग्रामीण इलाकों पर नजर रखने वाले वरिष्ठ पत्रकार जुबैर काजमी बताते हैं कि केवल भीड देखकर ये अनुमान लगाना कि किसी दल को बढत मिल रही है ये कहना सही नही है। मैंने रूडकी की जनसभा से लेकर देहात के विभिन्न इलाकों में यात्रा को कवर किया है और यात्रा में शामिल हुए लोगों से बातचीत भी की जिसके आधार पर मैं कह सकता हूं कि देहात में कांग्रेस शहर के मुकाबले ज्यादा मजबूत नजर आ रही है। खासतौर पर किसानों और महंगाई के मसले पर लोग भाजपा से खासे नाराज नजर आ रहे हैं। दलित—मुस्लिम भी ग्रामीण इलाकों में बडा फेक्टर है। बेरोजगारी ग्रामीण इलाकों में बहुत बडा मसला है।

वरिष्ठ पत्रकार रतनमणि डोभाल बताते हैं कि शहर और देहात का मसला अगर एक तरफ रख दें तो कुल मिलाकर जनता वर्तमान सत्ता से त्रस्त है। व्यापारी हो या फिर नौकरी पेशा या फिर मजदूर वर्ग सभी महंगाई और अन्य परेशानियों में उलझी हुई है। धुव्रीकरण की राजनीति तब तक चलती है जब तक जनता का पेट भरा हो और उसे मूलभूत सुविधाएं मिल रही हो, अगर ये नहीं है धर्म—जाति—क्षेत्र का चश्मा उतर जाता है। लिहाजा, ग्रामीण क्षेत्रों में कांग्रेस को बढत इसी का नतीजा है। हालांकि कांग्रेस शहर में भी अच्छा कर सकती है लेकिन गुटबाजी को खत्म करना होगा।

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