विकास कुमार।
चंद दिनों पहले तक हरिद्वार सियासत में पूर्व मंत्री और मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक की तूती बोलती थी। लेकिन सियासत में कुछ भी स्थाई नहीं होता है। लिहाजा देहरादून में सत्ता बदलते ही हरिद्वार हरिद्वार की सियासत भी पूरी तरह बदल गई है। अब हरिद्वार की सियासत में मदन की जगह स्वामी यतीश्वरानंद का सिक्का चल रहा है। स्वामी यतीश्वरानंद ने आज हरिद्वार ग्रामीण विधानसभा में आयोजित कार्यक्रम में अपनी ताकत का एहसास करा दिया है। जिसके बाद ये सवाल खड़ा हो गया है कि क्या स्वामी यतिस्वरानंद मदन कौशिक को पीछे छोड़ हरिद्वार भाजपा के एकमात्र कद्दावर नेता बन गए हैं या फिर मदन कौशिक अभी भी स्वामी यतीश्वरानंद पर भारी है…क्या कहते हैं वरिष्ठ पत्रकार आइए जानते हैं

वरिष्ठ पत्रकार आदेश त्यागी बताते हैं मदन कौशिक पिछले लगभग 20 सालों से हरिद्वार जनपद की सियासत की धुरी रहे है। इसमें कोई दो राय नहीं कि चाहे सरकार भाजपा की हो या फिर कांग्रेस की मदन कौशिक सत्ता में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तौर पर दखल रहा है। लेकिन मौजूदा हालात मदन कौशिक के लिए सही नहीं है। पुष्कर सिंह धामी के सीएम बनने के बाद स्वामी यतीश्वरानंद और ज्यादा मजबूत हुए हैं।हरिद्वार ग्रामीण से निकल कर अब उनकी पहचान हरिद्वार के दूसरे इलाकों में भी बहुत ज्यादा बन गई है। हरिद्वार ग्रामीण में मंगलवार को आयोजित कार्यक्रम में स्वामी यतिस्वरानंद में जिस तरीके से अपनी ताकत का एहसास कराया उससे लगता है कि उनको आने वाले चुनाव में पटखनी देना इतना आसान नहीं होगा।
वरिष्ठ पत्रकार रूपेश वालिया ने बताया कि स्वामी यतीश्वरानंद मौजूदा वक्त में बहुत ज्यादा मजबूत स्थिति में है। पहले वह सिर्फ हरिद्वार ग्रामीण क्षेत्र में ही सीमित थे और मदन कौशिक सत्ता में होने के कारण अक्सर उन्हे इतनी तरजीह नही मिलती थी। मदन कौशिक और स्वामी यतीश्वरानंद की अदावत में सत्ता संघर्ष का बड़ा अहम योगदान है। अब क्योंकि स्वामी यतीश्वरानंद कैबिनेट मंत्री हैं और सत्ता में उनका कद भी बहुत बड़ा है। लिहाजा अब हरिद्वार ग्रामीण से निकलकर वह शहर की राजनीति में भी पूरी तरह दखल दे रहे हैं। इसके अलावा ग्रामीण क्षेत्रों में भी उनकी अच्छी खासी पकड़ बनी है। अब ये उन पर निर्भर करता है कि आने वाले समय में किस तरह अपनी इस छवि को और ज्यादा मजबूत बनाते हैं। फिलहाल जिस तरह से मंगलवार को हरिद्वार ग्रामीण की जनता ने स्वामी यतीश्वरानंद के लिए सड़कों पर निकल कर अपना समर्थन दिया है। उससे कहीं ना कहीं कांग्रेस और बसपा के लिए मुसीबत खड़ी होने वाली है।
हरिद्वार के ग्रामीण क्षेत्रों में पत्रकारिता करने वाले वरिष्ठ पत्रकार शमशेर अली ने बताया कि वर्तमान स्थिति में स्वामी यतीश्वरानंद हरिद्वार ग्रामीण में बहुत मजबूत स्थिति में है। इसका एक कारण यह भी है कि हरिद्वार ग्रामीण में कांग्रेस का कोई बड़ा चेहरा नजर नहीं आता है और बसपा यहां अब उतनी मजबूत नहीं दिखती है। सत्ता में आने के बाद स्वामी यतीश्वरानंद मजबूत हुए हैं और लगातार क्षेत्र की जनता से संपर्क बनाए हुए हैं। हालांकि आने वाले समय में क्या बदलाव होता है यह देखने वाली बात होगी। साथ ही ग्रामीण क्षेत्र की राजनीति बहुत ही उलझी हुई होती है। यहां जो सबसे ज्यादा मजबूत दिख रहा होता है वह आख़िर में सबसे पीछे भी रह जाता है। पिछले चुनाव में स्वामी यतीश्वरानंद का पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत को हराना इसकी बड़ी मिसाल है।