चंद्रशेखर जोशी/विकास कुमार।
ज्वालापुर से चोरी हुए आठ माह के बच्चे का जब सीसीटीवी में कोई सुराग नहीं लग पाया तो बच्चे के पिता से पुलिस ने जब पूछा था कि घर में कोई और आता था तो बच्चे के पिता रविंद्र ने बताया कि मकान के पीछे कब्रिस्तान है इसलिए कभी कभी बिज्जू छत पर आ जाता था। बस फिर क्या था पुलिस को नया एंगल मिल या जिसमें बिज्जू मुख्य वांटेड के तौर पर उभर आया। ज्वालापुर पुलिस ने बिज्जू थ्यौरी को रंगत देनी शुरु की ओर देर रात तक देखते देखते पुलिस ने कब्रिस्तान पर फोकस कर दिया। हालांकि सीनियर अफसर अभी भी इस थ्योरी पर यकीन नहीं कर रहे थे लेकिन सोशल मीडिया पर बिज्जू की तस्वीरें वायरल होने लगी और रविवार को जनता जनार्दन की आंख खुली तो अखबारों में बिज्जू का जिक्र था।
लेकिन सवाल ये है कि आखिर कब्र बिज्जू की थ्योरी किसके दिमाग की उपज थी। लेकिन जिसकी भी थी, सोशल मीडिया पर वायरल तस्वीरों और अखबारों में छपी खबरों के बारे ज्वालापुर के लोग दहशत में थे। चूंकि आसपास रहने वाले लोग कब्र बिज्जू के बारे में तरह तरह की किवदंतियां सुन चुके थे। लिहाजा, लोग बच्चे चुराने वाले चोरों पर कम और कब्र बिज्जू वाले एंगल पर ज्यादा यकीन करने लगे थे। वहीं पुलिस की कई टीमों के साथ—साथ एक टीम कब्रिस्तान में बिज्जू की तलाश में जुटी थी। रविवार को भी एक टीम ने कब्रिस्तान में खंगाला जब पत्रकार उन महिलाओं की सूचना एसएसपी अजय सिंह से साझा कर रहे थे।
इधर पत्रकार भी नए एंगल की ओर रोमांचित हो चुके थे। लेकिन बिज्जू छत से आएगा और बच्चे की मां की आंख में धूल झोंकते हुए बच्चे को हाथों में उठाकर ले जाएगा, इस तर्क पर पुलिस का ध्यान नहीं गया या ज्वालापुर पुलिस भी बिज्जू की थ्योरी में राहत महसूस कर रही थी। वरिष्ठ अपराध संवाददाताओं के मुताबिक बिज्जू थ्योरी किसने फैलाई ये सब जानते हैं लेकिन कहानी का अंत भला तो सब भला, ये ही लाइन ठीक हैं। बहरहाल, बिज्जू थ्योरी के सवाल ने पुलिस की प्रेस वार्ता में ठहाके जरुर लगवा दिए। वरिष्ठ पत्रकार सुमेश खत्री ने बताया कि वन विभाग इस तरह की संभावनाओं से इनकार कर रहा था। फिर भी वन विभाग किसी भी मदद को तैयार था।
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क्या होता है बिज्जू
बिज्जू को अंग्रेजी में हनी बेजर कहते है। ये एक स्तनधारी जानवर है जो भारतीय उपमहाद्वीप, दक्षिणपश्चिमी एशिया और अफ़्रीका में मिलता है। यह एक मांसाहारी प्राणी है। अपने लड़ाके स्वभाव और मोटी चमड़ी के कारण अन्य जानवर इस से दूर ही रहते हैं और अन्य खूँखार प्राणी भी इसपर हमला कम ही करते हैं। भारत में बिज्जू सर्वत्र मिलता है। उत्तरी भारत के तालाबों और नदियों के कगारों में 25-30 फुट लंबी माँद बनाकर रहता है। इसके शरीर का ऊपरी भाग भूरा, बगल और पेट काला तथा माथे पर चौड़ी सफेद धारी होती है। हर पैर पर पाँच मजबूत नख होते हैं जो माँद खोदने के काम आते हैं। यह अगले पैर से माँद खोदता जाता है और पिछले पैरों से मिट्टी दूर फेंकता जाता है। यह अपने पुष्ट नखों से कब्र खोदकर मुर्दा खा लेता है। बिज्जू आलसी होता है और मंद गति से चलता है। यह सर्वभक्षी है। फल मूल से लेकर कीट पतंग तक इसके भक्ष्य है।
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