Haridwar rawat reached Haridwar meet dalit leaders

लोकसभा की चाहत, दलित नेता के घर चाय पीने पहुंचे रावत, खूब सुनी खरी—खोटी


रतनमणी डोभाल/अतीक साबरी/विकास कुमार।
विधानसभ चुनाव में बुरी हार और चंपावत उपचुनाव में जमानत जब्त कराने के बाद उत्तराखण्ड कांग्रेस के हरीश गुट के प्रमुख हरीश रावत सेामवार को हरिद्वार पहुंचे। हरीश रावत हरिद्वार के भेल आवासीय कॉलोनी में दलित समाज के बड़े नेता सीपी सिंह के घर चाय पर चर्चा करने के बहाने लोकसभा चुनाव की अपनी संभावनाओं की टोह लेने पहुंचे थे। लेकिन, वहां मौजूद दलित नेताओं ने हरीश रावत को दो टूक खरी खोटी खूब सुनाई और दलितों की राजनीति खत्म करने के लिए हरीश रावत को​ जिम्मेदार साबित करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। उधर, हरीश रावत अपने उपर हो रहे तीखे कटाक्ष का जवाब देने की कोशिश कर रहे थे लेकिन उनकी एक ना सुनी गई और इशारों ही इशारों में उन्हें हरिद्वार से चुनाव लडने पर गंभीर परिणाम भुगतने की चेतावनी भी दे डाली। Haridwar rawat reached Haridwar meet dalit leaders

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रावत बोले दलित को नेता प्रतिपक्ष बनाया, दलित बोले यशपाल आर्य को हम दलित नहीं मानते
हरीश रावत ने दलित नेताओं के हमले पर जवाब देते हुए कहा कि ऐसा नहीं है। हमने एक दलित को पहली बार नेता प्रतिपक्ष बनाया है। इस पर दलित नेता सीपी सिंह ने कहा कि यशपाल आर्य या प्रदीप टम्टा कौन से दलित हैं। दलित पर होने वाले अत्याचारों पर वो एक बार नहीं बोलते हैं। हम ऐसे नेताओं को दलित नेता नहीं मानते हैं। उन्होंने कहा कि मैदान मूल के दलित नेताओं की राजनीति खत्म करने का काम किया जा रहा है। अगर यही हाल रहा तो कांग्रेस का वजूद खत्म हो जाएगा और जनता तीसरा विकल्प सोचने के लिए मजबूर होगी।

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दलित मुसलमानों ने बचाई कांग्रेस की लाज
वहीं मंचों पर टांग पर टांग रख पर बैठने वाले नेताओं पर तंज कसते हुए हरीश रावत को कहा गया कि कांग्रेस जिन लोगों को मंचों पर बिठाती है और आगे करती है, उनकी ​जाति से कितने वोट मिलते हैं। हरिद्वार में दलित और मुसलमानों ने मिलकर कांग्रेस की लाज बचाई है। लेकिन यही हाल रहा तो कुछ ओर सोचना पडेगा।

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भाई को टिकट ना मिलने का दुखडा भी सुनाया
वहीं सीपी सिंह ने ज्वालापुर सीट से बडे भाई एसपी सिंह इंजीनियर को टिकट ना दिए जाने पर नाराजगी भी व्यक्त की। उन्होंने कहा कि हरीश रावत और कांग्रेस को स्थापित करने में एसपी सिंह के योगदान को खुद हरीश रावत भी नहीं नकार सकते हैं। लेकिन, जिस तरह से उनके व अन्य दलित नेताओं के साथ धोखा किया गया, वो असहनीय है। वहीं हरीश रावत ने इस पर सिर्फ अपनी मजबूरी का हवाला देते हुए गुस्से को शांत करने का प्रयास किया।

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