विकास कुमार/ऋषभ चौहान।
हरिद्वार शहर विधानसभा चुनाव में कांग्रेस नशे को आक्रामकता से मुद्दा बना रही है। लेकिन सिर्फ नशे पर फोकस और उडता हरिद्वार जैसे शब्दों का प्रयोग कर प्रचार से हरिद्वार के खासोआम में कांग्रेस का ये मुद्दा नाराजगी पैदा कर रहा है। खासतौर पर युवाओं का कहना है कि आज उनको शक की निगाहों से देखा जा रहा है कि हरिद्वार में सब नशेडी है और नशा करते हैं। इससे उनके करियर और आम जीवन पर भी प्रभाव पड सकता है।
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क्या कहते हैं युवा
मध्य हरिद्वार निवासी अविनाश गुप्ता ने बताया कि हरिद्वार को उड़ता हरिद्वार जैसा बताया जा रहा है। कांग्रेस राजनीतिक फायदे के लिए हरिद्वार को बदनाम कर रही है। क्या हरिद्वार का हर दूसरा युवा स्मैक की पुडिया और एक शराब का पव्वा अपनी जेब में लिए घूम रहा है। क्यों हरिद्वार के युवाओं को बदनाम किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि हम देहरादून या देश के दूसरे शहरों से तुलना करें तो हरिद्वार की स्थिति बहुत बेहतर है।
कनखल निवासी अनिमेश ने बताया कि हरिद्वार के युवाओं को सीधे तौर पर बदनाम किया जा रहा है। हरिद्वार के युवाओं के भविष्य से खिलवाड किया जा रहा है। क्या हरिद्वार के युवा नशेडी है, इसका जवाब कांग्रेस प्रत्याशी सतपाल ब्रह्मचारी को देना चाहिए। उन्होंने कहा कि जो सतपाल ब्रह्मचारी के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रहे हैं क्या वो शराब का सेवन नहीं करते हैं। हरिद्वार के युवाओं को टारगेट क्यों किया जा रहा है।
मध्य हरिद्वार निवासी आरती सिंह ने बताया कि कांग्रेस ऐसे दुष्प्रचार कर रही है जैसे हर कोई बस नशा ही करता है और नशा करके यहां वहां बहका पडा है। युवाओं का आत्मविश्वास बढाने के बजाए हरिद्वार के युवाओं को टारगेट किया जा रहा है। हम ये मानते हैं कि कुछ लोग अत्यधिक शराब का सेवन करते हैं। लेकिन क्या कांग्रेस उत्तराखण्ड में शराब को पूर्ण रूप से बंद कराएगी। अगर वो ऐसा नहीं कर सकते हैं तो क्यों हरिद्वार और हरिद्वार के युवाओं को बदनाम करने पर तुले हैं।
वरिष्ठ पत्रकार करण खुराना बताते हैं कि ऐसा लग रहा है कि कांग्रेस के पास नशे के अलावा कोई मुद्दा ही नहीं है। हरिद्वार के लोग इससे उक्ता गए है। बल्कि, नशे केा लेकर हरिद्वार को जिस तरीके से टारगेट किया जा रहा है, उससे लोगों में गुस्सा है। सतपाल ब्रह्मचारी और उनकी टीम को ये सोचना चाहिए था कि कहीं हम हरिद्वार के युवाओं को बदनाम तो नहीं कर रहे हैं। जो लोग सतपाल ब्रह्मचारी के साथ है क्या वो शराब नहीं पीते हैं। हमें दूसरो को रोकने के लिए पहले खुद को बुराई से बचाना चाहिए। लेकिन यहां तो उल्टा ही हो रहा है।
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