रतनमणी डोभाल/हरीश कुमार।
सीएम तीरथ सिंह रावत की अफसरों के साथ समीक्षा बैठक में जिलाधिकारी सी रविशंकर ने प्रेजेंटेशन के दौरान कहा कि जनपद में 2011 की जनगणना के अनुसार 18 लाख से अधिक जनसंख्या है और हमने जनपद में 15 लाख टेस्टिंग की है। हरिद्वार में सबसे ज्यादा टेस्टिंग हुई है और यहां पाजिटिविटी रेट भी सबसे कम है। वहीं जब लोगों से इस बाबत पूछा गया तो उनहोंने कहा कि पूरा प्रशासन शुरु से डाटा—डाटा खेलने में लगा हुआ है। वहीं सीएम तीरथ सिंह रावत ने अस्पतालों के निरीक्षण और समीक्षा बैठक के बाद अधिकारियों की पीठ थपथपाई और कहा कि व्यवसथा संतोषजनक है और टेस्टिंग को बढाया जाए और गांवों तक स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार किया जाए।
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डाटा की बाजीगिरी कर रहे हैं अफसर
हाईकोर्ट में कोरोना की तैयारियों के खिलाफ पीआईएल डालने वाले हरिद्वार निवासी सचिदानंद डबराल ने बताया कि 15 लाख लोगों की टेस्टिंग किस तरह की गई, ये सब डाटागिरी कर रहे हैं। अभी भी टेस्टिंग पूरी तरीके से नहीं हो पा रही है। आरटीपीसीआर टेस्ट की रिपोर्ट कई—कई दिनों में मिल रही हैं। यहां तक कि जिला प्रशासन अपनी एक आरटीपीसीआर टेस्टिंग लैब् भी स्थापित नहीं कर पाया है। जबकि दूसरी लहर खत्म होने को है। ये अफसर सरकार को गुमराह कर रहे हैं। वहीं होम आइसोलेशन वाले मरीजों को किट वितरण में बडी धांधली हुई है। मैं और मेरे साथी कोरोना पॉजिटिव थे और हमारे पास कोई किट नहीं पहुंची। यही नहीं जिनके पास ये लोग किट दे भी रहे थे उसमें आक्सीमीटर नहीं था। इन सबकी जांच की जानी चाहिए और लापरवाह अफसरों के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए। वहीं किट वितरण पर अमर उजाला के हरिद्वार ब्यूरो निशांत खनी ने भी अपना अनुभव साझा किया था जिसमें उन्होंने बताया था कि उन्हें पांच दिन बाद किट प्राप्त हुई और वो कई बार फोन करने के बाद। किट में बाहर आक्सीमीटर के बारे में लिखा था लेकिन अंदर आक्सीमीटर नहीं था।
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सीएमओ ने बताया कि तीन लाख कुंभ में हुई टेस्टिंग
हालांकि जिलाधिकारी सी रविशंकर से 15 लाख टेस्टिंग के संबंध में जवाब जानना चाहा तो उन्होंने फोन नहीं उठाया। लेकिन सीएमओ डा. एसके झा ने बताया कि हमने 15 लाख से अधिक टेस्टिंग की है। हालांकि उसमें तीन लाख टेस्टिंग कुंभ के दौरान भी की गई। वहीं उन्होंने डाटा के बारे में और ज्यादा जानकारी देखकर बताने की बात कही। लेकिन टेस्टिंग में ये भी है कि एंटीजन टेस्टिंग भी बडे पैमाने पर हुई है और ऐसे लोगों की संख्या भी कम नहीं है जिन्होंने एक बार नहीं बल्कि कई बार टेस्टिंग कराई है।
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