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अफसर पर जूता ताना तो कांग्रेसी पार्षद पर केस, मेयर खामोश, बगावत का अंदेशा

चंद्रशेखर जोशी।
हरिद्वार नगर निगम के सहायक नगर अधिकारी महेंद्र कुमार यादव के साथ कथित तौर पर अभद्रता और उन पर ​जूता निकालकर चढने वाले कांग्रेसी पार्षद सुहैल कुरैशी के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया गया है। उनके खिलाफ सरकारी कार्य में बाधा पहुंचने, धमकाने संबंधी धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया है। इससे पहले नगर निगम कर्मचारियों ने हडताल का ऐलान कर दिया था। वहीं दूसरी ओर सुहैल कुरैशी के मामले में मेयर अनीता शर्मा की भूमिका पर भी सवाल खडे हो रहे हैं, जो खुद कांग्रेस से ही आती है। और ज्वालापुर के इलाकों से उन्हें सबसे ज्यादा वोट भी हासिल हुए थे। सफाई व्यवस्था और मूलभूत सुविधाओं की बदहाली से परेशान ज्वालापुर के लोगों में मेयर अनीता शर्मा और नगर निगम अधिकारियों के खिलाफ गुस्सा पनप रहा है।

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क्या था मामला
एसएनए महेंद्र कुमार यादव पिछले काफी लंबे समय से हरिद्वार नगर निगम में तैनात हैं और फिलहाल कर संबंधी विभाग के प्रमुख हैं। बताया जा रहा है कि किसी बात केा लेकर मेयर आॅफिस में महेंद्र कुमार यादव और पार्षद सुहैल करैशी में कहासुनी हो गई। मामला कर संबंधी जुडा बताया जा रहा है। इसके बाद कथित तौर पर जूता निकालकर धमकाने का आरोप सुहैल कुरैशी पर लगाया गया है। इस मामले में पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर लिया है।

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क्या कहा सुहैल कुरैशी ने
सुहैल कुरैशी ने बताया कि एसएनए महेंद्र कुमार यादव को सोनिया बस्ती ज्वालापुर और आस—पास की मलिन बस्तियों के गृह कर संबंधी मसले को सुलझाने की बात थी। पिछले एक माह से उन्हें फोन किया जा रहा थां। लेकिन हमारी समस्याओं को नहीं सुना जा रहा था। लगातार मुझे आश्वासन दिया जा रहा था। जबकि जनता रोजाना मेरे घर पर पहुंच रही थी। एक जनप्रतिनिधि होने के नाते मैंने अपनी बात कही। ये मेरा अधिकार है, मेरी ओर से भी महेंद्र कुमार यादव के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के लिए तहरीर दी जाएगी। उन्होंने महेंद्र कुमार यादव पर गंभीर आरोप लगाते हुए उनकी संपत्ति की जांच की भी मांग की है।

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मेयर की कार्यशैली से पार्षद बेहाल
बताया जा रहा है कि नगर निगम के पार्षद जन समस्याओं का समाधान ना होने से परेशान हैं। न​गर निगम के अधिकारी सुनते नहीं है और मेयर अनीता शर्मा अभी तक अपना असर डाल पाने में नाकाम साबित हुई है। आलम ये है कि वो अपने पति अशोक शर्मा की मर्जी के बगैर कुछ फैसला नहीं ले पाती हैं। यही कारण है कि नगर​ निगम के अफसर पार्षदों की अनसुनी कर देते हैं। इससे सबसे ज्यादा समस्या पेश आ रही है।

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