रतनमणी डोभाल।
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने मेला प्रशासन की ओर से तैयार किए गए उस प्रस्ताव को सिरे से खारिज कर दिया है, जिसमें कोरोना महामारी को देखते हुए कुंभ नगर में नागा संन्यासियों और दूसरे बड़े संतों के कैंप ना लगाने की बात कही गई थी। शनिवार को जूना अखाड़े में आयोजित परिषद की बैठक में शासकीय प्रवक्ता मदन कौशिक और मेला प्रशासन के सीनियर अफसरों की मौजूदगी में संतों ने साफ कर दिया कि वो इस प्रस्ताव से सहमत नहीं है और मेले बिना संतों के कैंप के नहीं होगा। इसलिए नीलधारा, बैरागी कैंप, चंडी टापू व अन्य जगह अखाड़ों के संतों और दूसरे बडे संतों के शिविर लगाए जाएंगे। इसके लिए सरकार को रविवार से प्रक्रिया शुरू करने के लिए भी कहा गया है।
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अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरी ने पत्रकारों से वार्ता करते हुए बताया कि सरकार की ओर से ये प्रस्ताव आया था कि शिविर कोरोना महामारी को देखते हुए ना लगाए जाए, लेकिन संतों ने एक मत से शिविर को कुंभ मेले के लिए महत्वपूर्ण बताया है और संतों को जमीन आवंटन प्रक्रिया शुरू करने के लिए मेला प्रशासन से कहा है। उन्होंने कहा कि रविवार को संत उत्तराखण्ड के सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत से मुलाकात करेंगे और इसके बाद आगे की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी।
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कब से शुरू होगा मेला
परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरी ने एक सवाल के जवाब में बताया कि कुंभ मेला 2010 की तरह ही आयोजित होगा और मार्च में शाही स्नान में सभी संत भाग लेंगे। हालांकि जनवरी से इसकी शुरूआत हो जाएगी। उन्होंने ये भी कहा कि फरवरी में कोरोना की स्थिति को जांचने के बाद अंतिम निर्णय लिया जाएगा कि कोरोना के दौरान शाही स्नान का क्या रूप होगा। लेकिन फिलहाल, कुंभ नगर को बसाने के लिए तैयारियां शुरू करने के लिए अफसरों को कह दिया गया है। साथ ही जल्द से जल्द काम पूरा करने के लिए भी कहा गया है।
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बैरागी कैंप विवाद में डबल बैंच में जाएगा अखाडा परिषद
वहीं दूसरी ओर बैरगाी कैंप में सुप्रीम कोर्ट के अखाड़ों के मंदिरों को गिराए जाने के मामले में मोहलत दिए जाने के बारे में महंत नरेंद्र गिरी ने कहा कि कोर्ट के फैसले का सम्मान करते हैं लेकिन बैरागी कैंप के मंदिरों को नहीं गिराया जाएगा। वहां पहले की तरह ही कैंप लगते रहेंगे। यही नहीं उन्होंने डबल बैंच में जाने की भी बात कही है।
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