बैंडिट क्वीन फूलन देवी की हत्या कर हरिद्वार में यहां छुपा था शेर सिंह राणा, पढिए कैसे भागा था राणा


जुबैर काजमी, रूडकी। 
बीहडों से निकलकर आई बागी फूलन देवी से मुलायम सरकार ने हत्या सहित दर्जनों केस वापस ले लिए थे। अब वो मिर्जापुर से सांसद बन चुकी थी। 35 साल की दलित नेता फूलन देवी अपनी पुरानी जिंदगी को भुला चुकी थी। हालांकि उसके जेहन में अभी भी वो जख्म ताजा थे जब बीहड में उसके पति डाकू विक्रम मल्लाह की हत्या करने के बाद गिरोह के सदस्यों ने फूलन को बेहमई गांव में बंधक बना लिया था। उसके साथ कई दिनों तक रेप किया गया। औऱ जब फूलन कुछ महीने में दोबारा बेहमई लौटी और 22 राजपूतों को गोलियों से भून डाला। बेहमई में शादी की शहनाई मा​तम में तब्दील हो चुकी थी। ​दिल्ली के संसद भवन के शोर के बीच फूलन इन चीखों को भुलाने की कोशिश कर रही थी। लेकिन दिल्ली से 200 किमी दूर हरिद्वार में एक नई उमर के राजपूत लौंडे ने फूलन की लाश से राजनीति का सफर तय करने का प्लान बना डाला था। हरिद्वार जनपद के 57 पूर्वी राजपूताना, रूडकी का रहने वाला शेर सिंह राणा ने अपने तीन साथियों धन प्रकाश, राजबीर सिंह और शेखर के साथ मिलकर दिल्ली में हत्या करने वाला था।

 

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ऐसे की गई फूलन देवी की हत्या
पुलिस चार्जशीट के मुताबिक शेर सिंह राणा फूलन देवी के दिल्ली स्थित आवास पर आता जाता रहता था। साथ ही फूलन के परिवार के कई सदस्यों को जानता भी था। 25 अगस्त 2001 को शेर सिंह राणा, धन प्रकाश और शेखर अशोक रोड स्थित फूलन देवी के आवास पर कार से पहुंचे। जबकि राजबीर सिंह दूसरी कार के साथ पास ही खडा था ताकि कोई दिक्कत होने पर तीनों को वहां से निकाल सके। दोपहर करीब डेढ बजे फूलन देवी अपने सुरक्षाकर्मी कांस्टेबल बालेंदर के साथ बाहर आई। इसी बीच शेर सिंह राणा और धन प्रकाश फूलन की ओर बढे और ताबडतोड फायरिंग शुरू कर दी। फूलन के गार्ड बालेंदर को भी एक गोली लगी। कच्ची उम्र में ही बंदूकों से खेलने वाली फूलन लहुलूहान होकर जमीन पर गिर चुकी थी। सालों तक पुलिस को गच्चा देने वाली गरीबों की रॉबिनहुड बन चुकी फूलन को एक कॉलेज के लौंडे ने निहत्था मार गिराया था।

 

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रूडकी में यहां छुपा था शेर सिंह राणा
फूलन की हत्या करने के बाद शेर सिंह रााणा, धन प्रकाश और शेखर कार से भाग निकले। कार को पंडित पंत मार्ग पर छोडकर तीनों अलग—अलग रास्तों से भाग निकले। शेर सिंह राणा यहां से भागकर बस के जरिए गाजियाबाद पहुंचा। मोबाइल में सिम बदलकर राणा ने अपने साथी राजबीर सिंह को फोन लगाया और गाजियाबाद में मिलने के लिए बोला। इसके बाद राजबीर सिंह ने शेखर और शेर सिंह राणा को मेरठ से मारुति कार में बिठाया और तीनों हरिद्वार की ओर निकल लिए। हरिद्वार में तीनों होटल परमिला में रूके। शेर सिंह राणा ने यहां अपना नाम अनूप सिंह लिखाया। 26 की रात को तीनों यहां से ऋषिकेश रोड स्थित होटल गंगा व्यू में रूके। 27 को शेर सिंह राणा देहरादून पहुंचा और दून प्रेस क्लब में प्रेस वार्ता कर फूलन देवी की हत्या की बात कबूल कर ली। बकौल शेर सिंह राणा फूलन देवी की हत्या बेहमई कांड का बदला था जिसमें 22 राजपूतों की हत्या फूलन देवी ने की थी।

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हालांकि केस में ट्रायल कोर्ट ने शेर सिंह राणा को आजीवन करावास की सजा सुनाई थी। साथ ही अन्य 11 लोगों को बरी कर दिया गया था। जबकि 2016 में दिल्ली हाईकोर्ट ने शेर सिंह राणा को सशर्त जमानत दे दी। इस दौरान शेर सिंह राणा करीब 13 साल जेल में रहा और दो साल फरार। शेर सिंह राणा फिलहाल रूडकी में रहता है और बताया जा रहा है कि जल्द ही वो शादी करने वाला है। राजपूतों का नेता बनने में शेर सिंह राणा कामयाब नहीं हो पाया है। ये अलग बात है कि फूलन देवी को मार कर शेर सिंह राणा नेता नहीं बन पाया और फूलन मरकर अमर बन गई।

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