चंद्रशेखर जोशी।
हरिद्वार के पोस्टमार्टम हाउस यानी मुर्दाघर में शवों को खेल आसमान के नीचे फेंक दिया जाता है। खासतौर पर लावारिस शवों को तीन दिनों को ऐसे ही खुले में पडा रहने दिया जाता है। बडी बात ये है कि ये स्थिति अभी ये नहीं बल्कि सालों से ऐसी ही है और स्वास्थ्य विभाग इस ओर कोई ध्यान नहीं देता है। ना ही पुलिस प्रशासन मरने के बाद शवों का अपमान होने से बचा पा रहा है। जिला अस्पताल स्थित शवगृह में शवों का पोस्टमार्टम किया जाता है। यहां पुलिस शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेजती है। महज दो कमरों में चल रहा है हरिद्वार का पोस्टमार्टम हाउस सुविधाओं के अभाव में किसी नर्क से कम नहीं है। यहां शवों का पोस्टमार्टम करने के लिए सिर्फ एक छोटा कमरा है और यहां शवों को रखने के लिए फ्रीजर की व्यवसथा भी नही है। इसलिए शवों को खुले में ही जमीन पर फेंक दिया जाता है। ये स्थिति पिछले कई सालों से बनी हुई है।
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तीन दिनों तक ऐसे ही पडे रहते हैं शव
हरिद्वार में बडी संख्या में लावारिस शव मिलते हैं। यहां तक कि ऋषिकेश से भी लावारिस शवों को लाया जाता है। चूंकि नियमानुसार लावारिस शवों को तीन दिन रखना हाता है इसलिए लावारिस शवों को ऐसे ही खुले में सडने के फेंक दिया जाता है। तीन दिनों तक शव खुले में बारिश—धूप में ऐसे ही सडते रहते हैं। चूंकि यहां फ्रीजर की व्यवस्था नहीं है इसलिए शवों के सडने की दुर्गंध आस—पास के लोगों का जीना मुहाल कर देती है। एसएसपी कृष्ण कुमार वीके ने बताया लावारिस शवों को 72 घंटे तक रखना जरूरी है। लावारिस शवों को पोस्टमार्टम के लिए अस्पताल भेज दिया जाता है। अगर वहां व्यवस्था नहीं है तो ये गंभीर बात है। इसलिए स्वास्थ्य विभाग को लिखा जा रहा है।
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क्या कहता है स्वास्थ्य विभाग
जिला अस्पताल के सीएमएस डा.एएस सेंगर ने बताया कि मुर्दाघर में एक फ्रीजर सामाजिक संस्था द्वारा दिया गया था लेकिन वो फिलहाल खराब पडा है। लिहाजा, नया फ्रीजर मंगाने के लिए लिख दिया गया है। जल्द ही मोर्चरी में नया फ्रीजर लगा दिया जाएगा।