विकास कुमार।
भाजपा के नए प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक और तीरथ सरकार में राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार बनाए गए स्वामी यतीश्वरानंद के बीच चल रही राजनीतिक जंग काफी पुरानी है और दोनों एक दूसरे को फुटे मुंह नहीं सुहाते हैं। अब जबकि मदन कौशिक मंत्री नहीं रहे और स्वामी यतीश्वरानंद मंंत्री बन गए हैं तो स्वामी यतीश्वरानंद इस मौके का फायदा उठाते हुए मदन कौशिक से पुराना हिसाब चुकता करने की फिराक में हैं। ये घाव इतने गहरे है कि स्वामी यतीश्वरानंद ने मदन कौशिक को भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बनने की बधाई तक नहीं दी। यही नहीं मदन कौशिक से खफा हरिद्वार के दूसरे भाजपा विधायकों का भी यही हाल है। मदन कौशिक के अध्यक्ष बनने के बाद इनमें कोई उत्साह नहीं है। बलिक अब मदन कौशिक के खिलाफ विधायकों के बीच स्वामी यतीश्वरानंद की अगुवाई में लामबंदी तेज हो गई। वहीं मंत्री बनने के बाद अब कई ऐसे चेहरे हैं तो पहले मदन कौशिक के साथ दिखते थे और अब स्वामी यतीश्वरानंद के आश्रम में चक्कर काट रहे हैं।
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क्या है दोनों के बीच राजनीतिक जंग का कारण
मदन कौशिक और स्वामी यतीश्वरानंद दोनों ही गुरुकुल कांगडी हरिद्वार के प्रोडक्ट हैं और दोनों ने छात्र राजनीति से शुरुआत की। दोनों का निवास महज चंद कदम की दूरी पर है और विधानसभा सीटें भी लगी हुई हैं। लेकिन दोनों एक दूसरे का विरोध करते आए हैं। हालांकि मदन कौशिक ने भी ये खुले तौर पर नहीं किया लेकिन स्वामी यतीश्वरानंद की टीस अक्सर उनके मुंह से तीखे शब्दों के तौर पर निकलती रही है।
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गुरुकुल महाविद्यालय की पांच करोड की संपत्ति बना कारण
पिछले दिनों गुरुकुल महाविद्यालय की बेशकीमती संपत्ति पर काबिज होने के लिए मदन कौशिक खेमा और स्वामी यतीश्वरानंद खेमा आमने—सामने आ गया। दोनों संचालन कमेटी में अपने लोगों को बिठाना चाहते थे। हालांकि मदन कौशिक ने पूरे विवाद से अपना हाथ होने का इनकार किया। लेकिन स्वामी यतीश्वरानंद की अगुवाई में आर्य समाज के प्रतिनिधियों और कार्यकर्ताओं ने मदन कौशिक के खिलाफ मोर्चा खोल दिया और हरिद्वार में मदन कौशिक को मंत्री पद से हटाने और मुकदमा दर्ज करने की मांग को लेकर बडी रैली भी निकाल दी। हालांकि मदन कौशिक का इसमें कुछ नहीं हुआ। लेकिन लामबंदी तेज होती गई।
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मदन कौशिक के करीबी नरेश शर्मा की सक्रियता से भी खटास
वहीं मदन कौशिक के दूर के रिश्तेदार और भाजपा नेता नरेश शर्मा हरिद्वार ग्रामीण सीट से चुनाव की तैयारी कर रहे हैं और खुले तौर पर स्वामी यतीश्वरानंद को ललकारते हैं। स्वामी गुट को लगता है कि नरेश शर्मा के पीछे मदन कौशिक का गेम प्लान है। हालांकि ये काफी हद तक सही भी हो सकता है। क्योंकि दोनों ही एक दूसरे को मात देने में लगे हैं।