श्वेत कुष्ठ रोग में आयुर्वेद की उपयोगिता पर Patanjali Yogpeeth के शोध को दुनिया ने सराहा

श्वेत कुष्ठ रोग में आयुर्वेद की उपयोगिता पर Patanjali Yogpeeth के शोध को दुनिया ने सराहा


Patanjali Yogpeeth Haridwar

Patanjali Yogpeeth Haridwar के नाम एक और महत्वपूर्ण उपलब्धि जुड़ गई है। जो श्वेत कुष्ठ रोग से जुडी हैं जिको दुनि की प्रतिष्ठित मैगजीन ने अपने कवर पेज पर प्रकाशित कर इसका ऐलान किया है। पतंजलि मेलानोग्रिट दवा का अनुसंधान दुनिया के प्रतिष्ठित रिसर्च जर्नल बायोसाइंस रिपोर्ट्स (Bioscience Reports) के कवर पेज पर प्रकाशित किया है। इस रिपोर्ट को पूरे विश्व के वैज्ञानिकों ने सराहा भी है जो पतंजलि योगपीठ के लिए गौरव का विषय है।


यह रिसर्च जर्नल 100 वर्षो से भी अधिक स्थापित Biochemical Society, UK के अंतर्गत आता है, जो कि जैव विज्ञान तकनीकों को आगे बढ़ाने तथा सरकारी नीतियों से लेकर अकादमिक व्यवस्थाओं को बढ़ावा देने में वैश्विक सकारात्मक भूमिका निभाती है।

क्या बोले आचार्य बालकृष्ण
Patanjali Yogpeeth से आचार्य बालकृष्ण जी ने कहा कि आयुर्वेद में त्वचा के सफ़ेद दाग के लिए पहली बार इतना गहन अनुसन्धान हुआ है, और इसका श्रेय पतंजलि अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों को जाता है। इस अध्ययन में मेलानोग्रिट की चिकित्सकीय क्षमता का आकलन किया गया और पाया कि मेलानोग्रिट त्वचा में सफेद दागों के फैलाव को बेअसर करता है, साथ ही B16F10 कोशिकाएं, जो त्वचा में मेलेनिन का उत्पादन करती हैं, उनमें मेलेनिन की सतत वृद्धि करता है।

Patanjali Yogpeeth

श्वेत कुष्ठ रोग में आयुर्वेद की उपयोगिता पर Patanjali Yogpeeth के शोध को दुनिया ने सराहा
श्वेत कुष्ठ रोग में आयुर्वेद की उपयोगिता पर Patanjali Yogpeeth के शोध को दुनिया ने सराहा

विज्ञान की भाषा में कहे तो मेलानोग्रिट, मेलानोजेनेसिस प्रक्रिया के निर्णायक जीन, MITF, TYR और TRP1 की ट्रांसक्रिप्शनल रूप से वृद्धि करता है; जो कि बढ़ी हुई cellular tyrosinase गतिविधि द्वारा प्रतिबिंबित भी होता है। इन निष्कर्षों से यह पता चला है कि मेलानोग्रिट PERK को कम कर के MITF प्रोटीन स्तर (ट्रांसलेशनल लेवल) को भी बढ़ाता है।

आचार्य बालकृष्ण जी ने यह भी कहा कि जिस रोग का सही उपचार दुनिया की दूसरी चिकित्सा पद्धतियों में असंभव है, वह आयुर्वेद में संभव है। जहां पतंजलि पहले से ही श्वेत कुष्ठ रोग से पीड़ित हजारों रोगियों की चिकित्सा वर्षो से करता आ रहा है, वही अब वैज्ञानिक रूप से भी उसके cellular validation को UK और पूरी दुनिया ने स्वीकार कर लिया है।

यह पतंजलि के वैज्ञानिकों के पुरुषार्थ और आयुर्वेद के प्रति निरंतर अनुसन्धान का परिणाम है कि आज आयुर्वेद का डंका पूरे विश्व में बज रहा है; और जो रोग असाध्य माने जाते थे, उन रोगों का समाधान आज पतंजलि में समग्र रूप से कर पा रहे हैं।

यह सिर्फ पतंजलि की ही नहीं, भारत के असीमित ज्ञान, विज्ञान और अनुसन्धान की विजय पताका है, यह जीत है उस भारत की जो पुरातनकल से भी विश्वगुरु था, वर्तमान में भी विश्वगुरु है और आने वाले अनंत काल तक विश्वगुरु ही रहेगा।

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