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बगावत: हरीश रावत को लेकर हरिद्वार के कांग्रेसियों की गुप्त मीटिंग, ये लिया गया निर्णय

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बिंदिया गोस्वामी/विकास कुमार।
पूर्व सीएम हरीश रावत को लेकर असहज महसूस कर रहे हरिद्वार के कई कांग्रेस नेताओं की एक गुप्त मीटिंग ने खलबली मचा दी है। सूत्रों के मुताबिक इस बैठक में शहर और देहात क्षेत्र के कांग्रेस नेता शामिल हुए और अपने गिले शिकवे मिटाकर अपनी पीडा से हाई कमान को अवगत कराने पर सहमति बनी। हरिद्वार के कांग्रेस नेताओं को सबसे ज्यादा परेशानी इस बात ये है कि हरीश रावत और उनका बेटा विरेंद्र रावत और ​बेटी अनुपमा रावत हरिद्वार को अपनी विरासत मान बैठे है जिसके कारण हरिद्वार के कांग्रेसियों को उनका हक नहीं मिल पा रहा है। बताया जा रहा है कि बैठक में ये तय हुआ कि हाई कमान को अवगत कराया जाए कि हरीश रावत, उनके परिवार से किसी सदस्य को हरिद्वार जनपद से टिकट ना दिए जाए और स्थानीय कांग्रेस के नेताओं पर ही विश्वास किया जाए।
बैठक में शामिल एक स्थानीय नेता ने नाम ना छापने की शर्त पर बताया कि हरिद्वर ग्रामीण, लक्सर और खानपुर के कांग्रेसी पसोपेश मे हैं और हरिद्वार ग्रामीण से तो लगभग माना ही जा रहा है कि हरीश रावत की बेटी अनुपमा रावत को टिकट मिल सकता है। ऐसे स्थिति में तय किया गया है कि हाई कमान को कहा जाए कि हरीश रावत या अनुपमा रावत को टिकट ना दिया जाए क्योंकि चुनाव हारने पर स्थानीय कार्यकर्ताओं और नेताओं को भला बुरा सुनने को मिलता है। उन्होंने बताया कि टिकट उन्हीं को मिलना चाहिए जो पांच सालों तक जनता से जुडे रहे हैं। अनुपमा रावत को टिकट दिया जाता है तो ये मंत्री स्वामी यतीश्वरानंद को वाक ओवर देने जैसा होगा जिनकी हालत इस चुनाव में पतली है। वहीं महनगर कांग्रेस अध्यक्ष संजय अग्रवाल ने इस तरह की किसी भी बैठक की जानकारी होने से इनकान किया है। हालांकि उन्होंने माना है कि टिकट की संभावनाओं को लेकर कुछ कार्यकर्ताओं में नाराजगी है। लेकिन कांग्रेस एकजुट होकर चुनाव लडेगी।

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क्या कहते हैं वरिष्ठ पत्रकार
वरिष्ठ पत्रकार आदेश त्यागी बताते हैं कि यदि हरिद्वार ग्रामीण से अनुपमा रावत के नाम की चर्चा चल रही है तो वो स्वामी यतीश्वरानंद के सामने बहुत कमजोर उम्मीदवार साबित होंगी। क्योंकि उनको लेकर हरिद्वार की जनता में उत्साह नहीं है और कार्यकर्ता भी खुश नहीं है। हालांकि हरीश रावत के कारण कांग्रेस नेता उनकी आवभगत जरुर कर रहे हैं। लेकिन टिकट मिलने पर वो घर बैठ जाएंगे। हालांंकि हरीश रावत खुद आते हैं तो बात कुछ ओर होगी। वरिष्ठ पत्रकार रतनमणि डोभाल बताते हैं कि स्थानीय कांग्रेस नेताओं ने बैठक की है तो ये बहुत साहसिक कदम है। क्योंकि जो कार्यकर्ता पांच साल से जमीन पर जूझ रहा है, पार्टी के लिए संघर्ष कर रहा है उसे ही मौका दिया जाना चाहिए। परिणाम चाहे जो हो लेकिन इससे कार्यकर्ताओं में आस जगेगी। ये सही है कि अनुपमा रावत हरिद्वार ग्रामीण से आती हैं तो स्वामी यतीश्वरानंद के लिए चुनाव बहुत आसान हो जाएगा।

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