injured person was admitted to private hospital rather than government hospital by SSP Haridwar

एसएसपी ने घायल को सरकारी नहीं प्राइवेट अस्पताल पहुंंचाया, पीआरओ ने और बडी गलती कर दी


चंद्रशेखर जोशी/विकास कुमार।
हरिद्वार के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अजय सिंह ने सिंहद्वार की तरफ बने फ्लाईओवर पर घायल पडे बागपत यूपी के 40 वर्षीय मनोज कुमार को देखकर अपना काफिला रोक दिया और लहूलुहान घायल को अपने वाहन में डालकर सीधे सरकारी नहीं बल्कि ​अच्छे इलाज के लिए सीधे शहर के बीचोंबीच स्थित सिटी अस्पताल पहुंचाया। बतौर एसएसपी पीआरओ मनोज कुमार को सही समय पर ईलाज मिल गया और वो अब खतरे से बाहर है। मनोज कुमार खुशकिस्मत है जो उसे जिले के पुलिस कप्तान मिल गए जिन्होंने सरकारी अस्पताल ना जाकर करके सीधे निजी अस्पताल पहुंचा जहां बीएएमएस डॉक्टरों यानी आयुर्वेदिक यानी जो कि एलोपैथिक इलाज के लिए परमिटिड नही है यानी अवैध है ने अच्छा इलाज कर दिया।
लेकिन सडक किनारे दूसरे घायल इतनी अच्छी किस्मत नहीं पाते हैं क्योंकि पुलिस आमतौर पर घायलों को अपने वाहन से नहीं बल्कि सरकारी सेवा 108 से सरकारी अस्पताल भेजती है जहां एमबीबीएस डॉक्टर होने के बावजूद प्राथमिक उपचार के बाद उन्हें हायर सेंटर रैफर कर दिया जाता है। लेकिन मनोज कुमार को थानों की पुलिस नहीं बल्कि कप्तान अजय​ सिंह मिले थे जिन्होंने उसको सरकारी नहीं बल्कि निजी अस्पताल भर्ती करा दिया। खैर यहां कप्तान अजय सिंह की हौंसला अफजाई करनी चाहिए चूंकि उन्होंने मानवीय रूप दिखाया। लेकिन क्या थानों की पुलिस भी दुर्घटना होने पर सरकारी नहीं बल्कि अच्छे इलाज के लिए निजी अस्पताल में भर्ती कराएगी। ये सोचने का प्रश्न है। इस पर विचार होना चाहिए। injured person was admitted to private hospital rather than government hospital by SSP Haridwar

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पीआरओ ने क्या गलती कर दी
जिलाधिकारी के प्रचार प्रसार के लिए सरकार ने जहां सूचना अधिकारी नियुक्ति किए हैं तो वहीं एसएसपी के क्रियाकलापों के प्रचार प्रसार के लिए सीनियर अफसर रखे जाते हैं। जिनकी जिम्मेदारी दैनिक घटनाओं की जानकारी देने के अलावा मीडिया से अच्छे संबंध स्थापित करने की होती है। लेकिन प्रेस नोट में एसएसपी के मीडिया सेल ने पुलिस के हैड केा जिले के मुखिया लिख दिया जो गलत है। जिले का प्रमुख या मुखिया जिलाधिकारी होता है जो राजस्व के अलावा कानून व्यवस्था के लिए भी उत्तरदायी होता है। लेकिन यहां मीडिया सेल भूल गया कि मुखिया और कप्तान में अंतर होता है। एसएसपी को आमतौर पुलिस कप्तान कहा जाता है जबकि जिले के प्रमुख के तौर पर जिलाधिकारी को संबोधित किया जाता है। लिहाजा, ​शब्दों का चयन सही होना चाहिए ताकि पद और पद ग्रहण करने वालों की गरिमा बनी रहे।

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