चंद्रशेखर जोशी।
नशा सिर्फ पीढ़ियां ही बरबाद नहीं कर रहा है बल्कि ये उन हंसते खेलते परिवारों की तबाही का भी कारण बन रहा है जो समाज में संपन्नता की श्रेणी में आते हैं। नशे से बरबादी की कगार पर पहुंची ऐसी ही एक युवती की कहानी से हम आपको रुबरु कराने जा रहे हैं। इसे पढकर आपको अंदाजा हो पाएगा कि नशा किस तरह हमारे समाज को खोखला कर रहा है। हरिद्वार की एक परिवार से ताल्लुक रखने वाली इस लडकी की कहानी आपके लिए प्रेरणा बन सकती है। इसमें पहचान पूरी तरह गोपनीय रखी गई है। Drug Free Uttarakhand Movement in Haridwar
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दीदी बोलकर मोहल्ले के लडकों ने लगा दी नशे की लत
हरिद्वार की एक कॉलोनी की रहने वाली 28 वर्षीय युवती ने बताया कि शादी के तुरंत बाद उसकी अपने पति और से अनबन होने के बाद वो अपने घर हरिद्वार आ गई थी। वैवाहिक जीवन में आई तकरार के कारण मैं मानसिक अवसाद में चली गई थी। जिसके कारण मुझे डॉक्टरों के पास भी जाना पडा और मैं परेशान रहने लगी। इसी बीच मेरे मौहल्ले के कुछ लडके जो मुझे दीदी बोलकर मेरे नजदीक और कहा कि दीदी टेंशन मिटानी है तो ये इंजेक्शन लगाओ। तब मैंने मना कर दिया। हालांकि वो लडके अक्सर मुझे इसके लिए कहते रहते थे क्योंकि वो खुद नशा कर रहे थे। कुछ दिनों बाद जब मैं और ज्यादा परेशान रहने लगी तो एक दिन मैंने इंजेक्शन लगा लिया। इसके बाद मुझे नींद आई और कुछ अच्छा सा महसूस हुआ। लेकिन ये अच्छी फीलिंग मेरी बरबादी का कारण बनने जा रही थी।
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पहले एक लगाती थी फिर चार—चार इजेंक्शन दिन में लगाए
पहली बार इजेंक्शन लगाकर मुझे दोबारा इंजेक्शन की तलब हुई। मैंने दोबारा लगाया, फिर लगाया, फिर लगाया और लगाती रही। चंद दिनों के बाद ही मेरी हालत ऐसी हो गई कि मैं बिना इंजेक्शन लगाए रह नही सकती थी। इसके बिना मेरे पेट में दर्द होने लगता था और मेरे हाथ कांपने लगते थे। मुझसे कोई भी काम नहीं हो पा रहा था। मुझे कब इस नशे की लत लग गई मुझे पता ही नहीं चला।
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तलाक के जो पैसे मिले वो सब नशे में चले गए
इसी दौरान मेरा तलाक भी हो गया और समझौते के दौरान जो पैसे मुझे मिले वो सब नशे में खत्म हो गए। मैं खुद उन लडकों के साथ नशा कर रही थी और मुझे कुछ भी होश नहीं थी। तलाक के पैसे खत्म हुए तो मैंने अपना सामान बेचना शुरु कर दिया। पहले गहने बेचे, दूसरे सामन बेचा और फिर स्कूटी भी बेच दी। इस नशे की इतनी बुरी लत होती है कि मैं इसके बिना रह नही पा रही थी।
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परिवार को अहसास हुआ और फिर मैंने खुद को संभाला
मेरी हालत देखकर मेरे मां—बाप और भाईयों को एहसास हो गया था कि मैं कुछ गलत कर रही हूं। उन्होंने पूछा भी लेकिन मैंने कुछ नहीं बताया और फिर जब सब कुछ खत्म गया और नशा खरीदने के पैसे नहीं रहे तो मैंने उधार मांगना शुरु कर दिया और फिर मुझे मेरी मां ने समझाया और मुझे अपनी हालत पर इतना तरस आया कि मैं फूट फूट कर रोने लगी। मैंने खुद ही इसे छोडने की कसम खाई लेकिन इस ना लेने पर मेरी हालत खराब हो गई। मुझे अस्पताल जाना पडा और फिर वहीं मुझे इसके इलाज के बारे में पता चला, जो अब तक चल रहा है। लेकिन अब मैं नशा नहीं करती हूं लेकिन दवा रोज लेनी पडती है। मेरी सबसे हाथ जोडकर यही विनती है कि प्लीज नशा ना करो और कोई करे तो उसे रोक दो, उसे समझाओ क्योंकि ये बहुत ही दर्दनाक है और आप कब बरबाद हो जाएंगे आपको खुद पता नहीं चल पाएगा।
नोट: आप भी ऐसे किसी युवक—युवती या परिवार को जानते हैं जो नशे से बरबाद हुआ या हो रहा है तो हमें व्हट्सएप करें : 8267937117
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