विकास कुमार।
हरिद्वार में आम आदमी पार्टी का कुनबा बनने से पहले ही टूटना शुरु हो गया है। हरिद्वार की रानीपुर विधानसभा सीट से आप के पुराने कार्यकर्ता संजय मेहता ने आप को छोडकर दोबारा भाजपा ज्वाइन कर ली है। संजय मेहता का ज्वालापुर में अच्छा प्रभाव है और वो वैश्य समाज के नेता माने जाते हैं। उन्होंने पार्टी में कार्यकर्ताओं की अनदेखी और पार्टी उम्मीदवारों को थोपने की रणनीति पर हमला बोला है। खासतौर पर वो रानीपुर से प्रशांत राय को प्रभारी बनाए जाने से खफा थे। संजय मेहता अकेले ऐसे कार्यकर्ता नहीं है जो प्रशांत राय से नाराज है। रानीपुर और हरिद्वार के कई पुराने नेता और कार्यकर्ता प्रशांत राय को प्रभारी बनाए जाने से नाराज हैं और प्रशांत राय की कार्यशैली से खफा है।
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कौन है प्रशांत राय
प्रशांत राय इससे पहले बसपा में थे और 2017 में बसपा से रानीपुर विधानसभा का चुनाव लडा था। रानीपुर में दलित वोट बैंक बडी संख्या में है इसके बावजूद प्रशांत राय दस हजार पर सिमट गए थे। जबकि प्रशांत राय दावा करते रहे हैं कि रानीपुर सीट पर पूर्वांचल समाज का बडा वोट बैंक है। लेकिन ना तो पूर्वांचल समाज को ही वो साध पाए थे और ना ही दलितों ने उन्हें पसंद किया। बुरी हार के बाद इस बार वो आम आदमी पार्टी से चुनाव लडने की तैयारी कर रहे हैं और आप ने उन्हें रानीपुर की जिम्मेदारी भी दी है। इसी बात से आप के पुराने कार्यकर्ता और नेता नाराज हो गए हैं। आप कार्यकर्ता प्रशांत राय की कार्यशैली और उनके व्यवहार से भी खासे नाराज दिख रहे हैं। जिसके कारण संजय मेहता ने पार्टी छोडी और माना जा रहा है कि आने वाले समय में कई और कार्यकर्ता पार्टी से इस्तीफा दे सकते हैं।
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क्या कहते हैं आप नेता
आप नेता सुरेश तनेजा ने बताया कि संजय मेहता से हमें ये उम्मीद नही थी, वो हमारे अच्छे कार्यकर्ता थे। ये भी सवाल है कि हम अपने कार्यकर्ता को क्यों संभाल नहीं पाए, जो भी कारण रहा हो इस पर विचार किया जाना चाहिए। वहीं आप नेता हेमा भंडारी ने बताया कि रानीपुर विधानसभा में कार्यकर्ताओं में नाराजगी की बात सामने आई है। लेकिन जहां हमारी पार्टी एक लोकतांत्रिक पार्टी है और सभी मसले बैठ कर आपसी सहमति से सुलझा लिए जाएंगे। जहां तक संजय मेहत का सवाल है उनको अपनी नाराजगी पार्टी फोरम पर रखनी चाहिए थी।
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