Property in Haridwar भाजपा नेता बनाम पत्रकार, कौन सच्चा—कौन झूठा, क्या है करोड़ों की संपत्ति का विवाद, क्या कहते हैं वरिष्ठ पत्रकार

Property in Haridwar भाजपा नेता बनाम पत्रकार, कौन सच्चा—कौन झूठा, क्या है करोड़ों की संपत्ति का विवाद, क्या कहते हैं वरिष्ठ पत्रकार

0 0

Property in Haridwar हरिद्वार में इन दिनों भाजपा के वरिष्ठ नेता और हरिद्वार नगर निगम के नेता प्रतिपक्ष रहे और जाने माने बिल्डर सुनील अग्रवाल और वरिष्ठ पत्रकार अनिल बिष्ट के बीच विवाद चर्चा में हैं। विवाद तीन प्रमुख संपत्तियों को लेकर है जिनका बाजार भाव करीब दौ सौ करोड़ रुपए है। तीनों ही प्रोजेक्ट सुनील अग्रवाल से जुड़े हैं। पत्रकार अनिल बिष्ट का आरोप है कि नियमों को ताक पर रखकर तीनों ही जगह काम किया जा रहा है।

जबकि सुनील अग्रवाल का दावा है कि अनिल बिष्ट ने तीन करोड़ रुपए की डिमांड रखी और ना देने पर झूठा विवाद खड़ा किया। इस मामले में सुनील अग्रवाल की ओर से मुकदमा भी दर्ज कराया गया है। दोनों ही पक्ष अपने अपने दावों पर अड़े हैं और लगातार विवाद बढ़ता जा रहा है। दोनों में कौन सच बोल रहा है और कौन झूठ हमने दोनों पक्षों से जानने का प्रयास किया। साथ ही शहर के वरिष्ठ पत्रकारों से भी बात की। Property in Haridwar

पत्रकार अनिल बिष्ट का पहला आरोप क्या हैं
पत्रकार अनिल बिष्ट ने बताया कि ​कनखल के हरेराम आश्रम की भूमि पर सुनील अग्रवाल ने हाउसिंग प्रोजेक्ट खड़ा किया। जबकि आश्रम की भूमि ट्रस्ट की है और ट्रस्ट की भूमि को बिना जिला जज की अनुमति लिए बेचा नहीं जा सकता। उन्होंने आश्रम के प्रबंधक कपिल मुनि महाराज पर सुनील अग्रवाल से साठ गांठ करने का आरोप लगाया। साथ ही आरोप लगाया कि हरिद्वार रुडकी विकास प्राधिकरण में गलत जानकारी देकर हाउसिंग प्रोजेक्ट का नक्शा पास कराया गया जिसकी जांच की जा रही है। उधर, हाउसिंग प्रोजेक्ट का काम जारी है और बुकिंग शुरु हो गई है।

अनिल बिष्ट का दूसरा आरोप
अनिल बिष्ट ने आरोप लगाया कि देशरक्षक औषधि निर्माण शाला पर प्लाटिंग की जानी थी। लेकिन नियमानुसार इस जमीन का लैंडयूज चेंज किया जाना आवश्यक है। लेकिन बिना भू उपयोग में परिवर्तन किए यहां प्लाटिंग शुरु कर दी गई। इसके खिलाफ मैंने आवाज उठाई है। इस सबके पीछे सुनील अग्रवाल हैं।

Property in Haridwar भाजपा नेता बनाम पत्रकार, कौन सच्चा—कौन झूठा, क्या है करोड़ों की संपत्ति का विवाद, क्या कहते हैं वरिष्ठ पत्रकार
Property in Haridwar भाजपा नेता बनाम पत्रकार, कौन सच्चा—कौन झूठा, क्या है करोड़ों की संपत्ति का विवाद, क्या कहते हैं वरिष्ठ पत्रकार

अनिल बिष्ट का तीसरा आरोप
सुनील अग्रवाल ने अपने लोगों के साथ मिलकर कनखल में करीब साढे छह बीघा भूमि पर अवैध कब्जा करने का प्रयास किया। जबकि ये भूमि नजूल भूमि हैं। सिटी मजिस्ट्रेट की जांच में ये साबित हो चुका है। आज भी वहां अवैध कब्जा कर ई रिक्शा चार्जिंग स्टेशन चलाया जा रहा है। इसकी भी मैं 2015 से लड़ाई लड रहा हूं और आखिरी दम तक लड़ते रहूंगा।

उन्होंने बताया कि मुझ पर कई तरह के दबाव बनाए जा रहे हैं। पीछे हटने के लिए धमकियां दी जा रही है। झूठे मुकदमें लिखाए जा रहे हैं। लेकिन मैंने जो आरोप लगाए हैं जो दस्तावेज मेरे पास हैं उनका सुनील अग्रवाल और इनके सरपरस्तों व टीम के पास कोई जवाब नहीं है।

भाजपा नेता सुनील अग्रवाल का जवाब
अनिल बिष्ट का इतिहास ब्लैकमेलिंग का रहा है। तीन करोड़ रुपए मुझसे मांगे गए। इस मामले में मुकदमा दर्ज कराया जा चुका है। पुलिस जांच कर रही है। मैं किसी भी कीमत पर झुकने वाला नहीं हूं। अगर कुछ गलत है तो अनिल बिष्ट कोर्ट जाए और वहां साबित करें। सोशल मीडिया पर झूठे आरोप सिर्फ दबाव बनाने के लिए किए जा रहे हैं। जिनसे मैं डरने वाला नहीं हूं।

Property in Haridwar

Property in Haridwar भाजपा नेता बनाम पत्रकार, कौन सच्चा—कौन झूठा, क्या है करोड़ों की संपत्ति का विवाद, क्या कहते हैं वरिष्ठ पत्रकार
Property in Haridwar भाजपा नेता बनाम पत्रकार, कौन सच्चा—कौन झूठा, क्या है करोड़ों की संपत्ति का विवाद, क्या कहते हैं वरिष्ठ पत्रकार

क्या कहते हैं वरिष्ठ पत्रकार
वरिष्ठ पत्रकार आदेश त्यागी बताते हैं कि हरिद्वार में सरकारी भूमि से लेकर अखाडों आश्रमों की भूमि की बंदरबांट कोई नया खेल नहीं है। कई बार सामाजिक कार्यकर्ता आवाज उठाते हैं तो कई बार पत्रकार भी खबरें ​लिखते रहे हैं। महत्वपूर्ण बात ये है कि जो आवाज उठती है और खबरें लिखी जाती है, क्या उसको मंजिल तक पहुंचाया जाता है। ऐसे उदाहरण कम ही मिलते हैं। दोनों पक्ष अपना अपना दावा कर रहे हैं। किसके दावों में सच्चाई है इसका फैसला या तो अदालत कर सकती है या फिर संबंधित विभाग जांच कर बता सकते हैं। लेकिन दोनों ही पक्षों के आरोप गंभीर प्रकृति के हैं इसमें कोई दो राय नहीं है।


वरिष्ठ पत्रकार कुणाल दरगन बताते हैं कि सवाल ये नहीं कि आश्रम की संपत्ति ट्रस्ट की है या नहीं। जमीन आश्रम की थी ये तो साफ है और आश्रम दानदाताओं के पैसे और सहयोग से ही चलते रहे हैं। ऐसे में आश्रम की भूमि का निजी उपयोग मेरी नजर में सही नहीं है। काम करने में कोई बुराई नहीं है, करना भी चाहिए। लेकिन नियमों का पालन जरुर किया जाना चाहिए। जहां तक सरकारी भूमि का मामला है, जब सरकार और सरकारी विभागों को ही अपनी भूमि और संपत्ति की परवाह नहीं है तो इसमें कोई क्या कर सकता है। Property in Haridwar

Happy
Happy
0 %
Sad
Sad
0 %
Excited
Excited
0 %
Sleepy
Sleepy
0 %
Angry
Angry
0 %
Surprise
Surprise
0 %
Share News

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *