बिंदिया गोस्वामी/विकास कुमार।
1947 में मिली आजादी दुर्भाग्यपूर्ण यह कहना है भाजपा के प्रदेश प्रभारी दुष्यंत गौतम का। और आजादी ऐसे व्यक्ति के हाथ में पड़ गई जिसके हाथों देश के टुकड़े हुए। जिन लोगो के कारण देश का विभाजन हुआ ओर जिन के प्रधानमंत्री बनने के कारण देश को विभाजन झेलना पड़ा उन्हें भी देशद्रोही माना जाना चाहिए। प्रधानमंत्री से उनका तातपर्य भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू से है।
उत्तराखंड के भाजपा प्रदेश प्रभारी दुष्यंत गौतम शनिवार को हरिद्वार दौरे पर थे जहां उन्होंने पत्रकारों से वार्ता करते हुए कंगना राणावत के उस बयान का बचाव कर कहा जिसमें कंगना राणावत ने देश की आजादी 1947 में ना होकर 2014 में होना बताया था। दुष्यंत गौतम ने भी माना कि 1947 में मिली आजादी दुर्भाग्यपूर्ण थी । हालांकि उन्होंने बाद में कहा कि वे देशभर मरने वाले शहीदों का सम्मान करते हैं लेकिन जिस व्यक्ति को प्रधानमंत्री बनाने के कारण देश को विभाजन का दंश झेलना पड़ा और हजारों लाखों लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी ऐसे व्यक्ति को देशद्रोही मानना चाहिए।
दुष्यंत गौतम ने कहा कि कंगना राणावत द्वारा जो बयान दिया गया वह अपने बयान को सही से व्यक्त नहीं कर पाई होंगी। वह भी मानते हैं कि 1947 के बाद जो प्रधानमंत्री मिला और जो प्रधानमंत्री 2014 में मिला अगर उसकी तुलना की जाए तो 2014 के बाद की स्थितियां काफी अच्छी दिखाई देती हैं जिसमें युवाओं को रोजगार बुजुर्गों को सम्मान और बहन बेटियों की रक्षा होती दिखाई दे रही है उन्होंने कहा कि देश की आजादी में केवल नेहरू-गांधी परिवार का ही हाथ नहीं है इसमें सुभाष चंद्र बोस भगत सिंह आदि कई हजारों स्वतंत्रासेनानियों का भी हाथ रहा है।
कंगन रनौत द्वारा आजादी को भीख में मिलने की बात कही जाने के बारे में पूछे जाने पर वे कहते है कि यह कहना गलत है कि आजादी भीख में मिली,बिल्कुल गलत है यह कहना, आजादी बहुत मुश्किल से और हमारे महापुरुषों द्वारा कुर्बानी देने से मिली है।
सबसे पहले हिंदू महासभा और आरएसएस ने द्विराष्ट्र पॉलिसी को उठाया था और अंग्रेजो और मुस्लिम लीग के साथ गोपनीय समझौते के तहत देश को सांप्रदायिकता की आग में झोंक दिया था। आरएसएस के लोग पहले भी देशद्रोही थे और आज भी देशद्रोही है। संघियो की इस तरह की हरकत लाखों क्रांतिकारियों और स्वतंत्रता सेनानियो का घोर अपमान है। लोगो को संघियों के मुंह पर कालिख पोत कर शहीदों के प्रति अपना सम्मान व्यक्त करना होगा। साथ ही इन देशद्रोहियों का सामाजिक बहिष्कार किया जाए और कानूनी कार्यवाही करके आरएसएस पर बैन लगाया जाना चाहिए।
शहीदों का अपमान, नही सहेगा हिंदुस्तान!
इंकलाब जिंदाबाद!