विकास कुमार।
शुक्रवार से हरिद्वार में कांग्रेस की परिर्वतन यात्रा शुरु होनी है, ऐसे में हरिद्वार के 11 विधानसभा सीटों से चुनाव लडने का ख्वाब देख रहे आठ दर्जन से अधिक छोटे—बडे कांग्रेसी नेताओं के सामने यात्रा में ताकत दिखाने की चुनौती है। लेकिन चुनाव से एन वक्त पहले जैकेट—पायजमा और जींस—कुर्ता व सिर पर कांग्रेसी टोपी पहन कर कांग्रेस का टिकट मांगने वाले इन नेताओं के पास समर्थकों का जबरदस्त टोटा है। लिहाजा, यात्रा में भीड लाने के लिए मुस्लिम बस्तियों के चक्कर काटे जा रहे हैं। वहीं मुस्लिम वोटरों के ठेकेदारों ने भी कुर्ता स्त्री कराकर चकाचक कर लिया है ताकि सीनियर नेताओं के बगल में खडे फेसबुक के लिए सेेल्फी ली जा सके।
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क्या मुस्लिम बस्तियां सिर्फ भीड जुटाने के लिए हैं, क्या कहते हैं वरिष्ठ पत्रकार
वरिष्ठ पत्रकार रतनमणि डोभाल बताते हैं कि कांग्रेस के अधिकतर नेताओं के पास अपना कोई जनाधार नहीं हैं हरिद्वार, रानीपुर, हरिद्वार ग्रामीण, ज्वालापुर हो या फिर रूडकी, लक्सर, खानपुर व भगवानपुर लगभग सभी सीटों पर नेता सिर्फ मुसिलम वोटरों के सहारे रहते हैं। रैलियों में भीड जुटानी हो या फिर चुनावी दौर में आजू—बाजू दो चार कार्यकर्ता साथ लेकर चलने की बात हो भीड के लिए मुस्लिम ही नहीं दलित बसितयों से लोग आसानी से मिल जाते हैं। हालांकि, चुनाव जीतने के बाद या फिर कोई समस्या हो तो ये नेता उनकी सुध नहीं लेते हैं। कांग्रेस के हिंदू नेताओं ने ही नहीं बल्कि मुस्लिम नेताओं ने भी मुसलमान वोटरों को ठगने का काम किया है। भाजपा का डर दिखाकर वोटों की फसल काटी है।
वरिष्ठ पत्रकार एहसान अंसारी ने बताया कि मुस्लिम बस्तियों में बेरोजगारी और अशिक्षा इसका सबसे बडा कारण है। चुनावी रैलियों में खाली लोग ही भीड करते है और बेरोजगारी के कारण मुस्लिम व दलित बस्तियों में आसानी से लोग मिल जाते हैं। खासतौर पर कांग्रेस के नेता तो मुस्लिम वोटरों को अपनी जेब में डालकर चलते हैं। ये जानते हैं कि रैलियों में भीड दिखानी है तो मुस्लिम और दलित बस्तियों में आसानी से लोग मिल जाएंगे। जितने लोग चुनाव में टिकट मांग रहे हैं इनका अपना कोई जनाधार नहीं है और ना ही इनके अपने समाज के लोग इन्हें समर्थन या वोट करते है। ऐसे में ये मुस्लिम मोहल्लों में घूमते हैं और अक्सर ये हमदर्दी चुनावी मौसम में भीड जुटाने के लिए होती है। कांग्रेस ही नहीं भाजपा, बसपा सहित दूसरे दलों के लोग भी मुस्लिम बस्तियों में भीड के लिए चक्कर काटते हुए नजर आ जाएंगे। लेकिन, चुनाव खत्म होने के बाद इनकी कोई सुध नहीं लेता है। इनकी ये हमदर्दी मतदान के दिन तक रहती है।