विकास कुमार।
43600 रु बेसिक से ऊपर के कर्मचारियों का रात्रि ड्यूटी भत्ता बंद किये जाने के विरोध में शनिवार पूरे भारतवर्ष के स्टेशन मास्टरों ने ऑन/ऑफ ड्यूटी भूखे रहकर अपना विरोध प्रदर्शन सरकार के प्रति जाहिर किया।
बताते चलें कि स्टेशन मास्टरों का उपरोक्त विरोध प्रदर्शन पिछले कई दिनों से विभिन्न तरीकों से अपना गुस्सा जाहिर करने के क्रम में चल रहा है। सर्वप्रथम सङ्गठन के सभी पदाधिकारियों द्वारा रेलवे बोर्ड, महाप्रबन्धकों तथा DG(HR) को इस पत्र के विरोधस्वरूप e-mail भेजे गए। इसके बाद दि 15 अक्टूबर को पूरे देश में शाम 7 से 9 बजे तक कैंडल जलाकर विरोध जताया। इसके बाद 20 से 26 अक्टूबर तक सभी स्टेशन मास्टरों ने ड्यूटी पर काला फीता बांधकर ड्यूटी करते हुए काला सप्ताह मनाकर विरोधप्रदर्शित किया था।
ऑल इंडिया स्टेशन मास्टर एसोसिएशन के उ रे के ज़ोनल अध्यक्ष जी एस परिहार ने बताया कि सरकार का यह अव्यवहारिक व श्रम विरोधी कानून के उलट निर्णय बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। पूरे देश के स्टेशन मास्टरों में रेलवे बोर्ड के इस निर्णय के खिलाफ जबरदस्त आक्रोश है। उन्होंने रेलवे के अन्य संगठनों से भी इसका विरोध करने का आह्वान किया है क्योंकि यह निर्णय सभी रेलकर्मियों के लिए है। उन्होंने बताया कि कोई भी कर्मचारी अपने स्वास्थ्य की चिंता न करते हुए रात्रि ड्यूटी मात्र सुचारू व संरक्षित रेल संचालन के साथ देश हित में कार्य करता है। क्या यह सम्भव है कि 43600बेसिक से ऊपर के रेलकर्मचारियों से रात्रि ड्यूटी नहीं कराई जाएगी?
ज़ोनल सचिव सुमीर आइमा ने बताया कि यदि यह काला कानून वापस नहीं लिया गया तो आंदोलन और तेज किया जाएगा। इसके लिए आल इंडिया स्टेशन मास्टर्स एसोसिएशन(AISMA) की केंद्रीय कार्यकारिणी जो भी निर्णय लेगी उसके अनुरूप उत्तर रेलवे में सभी स्टेशनों पर सफल आंदोलन अपनी मांगों को मनवाने के लिये जारी रखा जाएगा।
हल्ला बोल: भूखे रहकर किया स्टेशन मास्टरों ने ट्रेनों का संचालन
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