congress anupma rawat faces tough fight in haridwar rural after bsp change its candidate

हरिद्वार ग्रामीण: आखिरी वक्त में बसपा से आए युनूस अंसारी के बारे में क्या सोचते हैं मुस्लिम मतदाता


बिंदिया गोस्वामी/विकास कुमार।
हरिद्वार ग्रामीण पर हरीश रावत की बेटी और कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव अनुपमा रावत के सामने बसपा ने अपना हिंदू उम्मीदवार उतारकर मुस्लिम नेता युनूस अंसारी को अपना प्रत्याशी बना दिया। इसे साफ तौर पर वोटों के धुव्रीकरण के तौर पर देखा गया। लेकिन मुस्लिम उम्मीदवार के तौर पर हरिद्वार ग्रामीण के मुस्लिम मतदाता क्यों सोचते हैं इस बारे में हमने मुस्लिम समाज के लोगों से बात की।

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आखिरी समय में टिकट बदलना गले नहीं उतर रहा
सराय निवासी समीर अंसारी ने बताया​ हरिद्वार ग्रामीण सीट से बसपा और कांग्रेस दोनों ही पार्टियों कई अंसारी नेता टिकट मांग रहे थे। लेकिन बसपा ने दर्शन लाल शर्मा को टिकट दे दिया जबकि कांग्रेस ने भी किसी मुस्लिम नेता पर दांव नहीं खेला। लेकिन आखिरी वक्त पर बसपा ने दर्शन लाल का टिकट काटकर युनूस अंसारी को दे दिया। मेरी नजर में ये चौंकाने वाला फैसला है। लेकिन वोटर समझदार है और सारे राजनीतिक घटनाक्रम को देखते हुए ही वोट करता है। इसलिए उसे पता है कि कौन नुकसान पहुंचा रहा है और कौन नुकसान पहुंचाने के लिए लाया गया है।
नदीम अली ने बताया कि युनूस अंसारी का टिकट अगर दो माह पहले या कुछ समय पहले भी हुआ होता तो मुस्लिम मतदाताओं के पास कोई दूसरा विकल्प सोचने मुमकिन नहीं होता। लेकिन, एन वक्त पर टिकट लाना कहीं ना कहीं शंका पैदा करता है। सोशल मीडिया पर जिस तरीके से डील वाली पोस्ट भी वायरल हो रही है। ये भी सोचने का विषय है।
गुलशेर अंसारी ने बताया कि बसपा ने जब मुकर्रम अंसारी से लेकर इरशाद अंसारी टिकट मांग रहे थे तो बसपा ने टिकट नहीं दिया अब एन वक्त पर टिकट दे दिया। इसके पीछे का क्या समीकरण है। ये तो सीधे तौर पर भाजपा को फायदा पहुंचाने के लिए किया गया है। इस बहकावे में मुस्लिम वोटर नहीं आएंगे। इस बार विकास और जनहित के मुद्दों पर वोट किया जाएगा।

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2017 में भी बने थे ऐसे ही समीकरण
वर्ष 2017 में भी हरीश रावत के सामने बसपा के मुकर्रम अंसारी थे, जो दलित और मुस्लिम के काफी वोट ले गए थे और वोटों का विभाजन होने के कारण भाजपा के स्वामी यतीश्वरानंद जीत गए थे। हालांकि इस बार मुकर्रम अंसारी कांग्रेस के साथ हैं। मुकर्रम अंसारी का अंसारी समाज के वोट बैंक पर खासा प्रभाव है। मुकर्रम के अलावा इरशाद अंसारी, हनीफ अंसारी और नसीम अंसारी जैसे बडे नेता कांग्रेस के लिए खडे हैं। जिसके चलते बसपा के सामने 2017 जैसा प्रदर्शन करना आसान नहीं होगा।

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