बिंदिया गोस्वामी।
हरिद्वार ग्रामीण से आखिरकार हरीश रावत अनुपमा रावत को टिकट दिलाने में कामयाब हो गए। लेकिन बड़ा सवाल यह है कि क्या अनुपमा रावत 2017 में अपने पिता हरीश रावत की हार का बदला ले सकती है या नहीं। यह इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि स्वामी यतीश्वरानंद 2017 में हरीश रावत को हराने के बाद लगातार मजबूत हुए हैं और मौजूदा समय में वह भी सरकार में मंत्री भी हैं। हालांकि अनुपमा रावत राष्ट्रीय महासचिव है और पिछले काफी समय से क्षेत्र में सक्रिय हैं। लेकिन क्या अनुपमा रावत स्वामी को टक्कर दे पाने की स्थिति में है या उनको हरा पाएंगी। इस बारे में हमने वरिष्ठ पत्रकारों से पूछा….
वरिष्ठ पत्रकार रतनमनी डोभाल बताते हैं हरिद्वार ग्रामीण पर अनुपमा रावत के आने से कांटे की टक्कर होगी। अनुपमा रावत को हल्का उम्मीदवार नहीं माना जा सकता है। वह क्षेत्र में लगातार सक्रिय थी और लोगों से उनका जुड़ाव सीधा बना हुआ है। इसके अलावा हरीश रावत ने पिछले कुछ समय से जिस तरीके से हरिद्वार ग्रामीण पर बसपा के नेताओं की कांग्रेस में एंट्री कराई है उससे कॉन्ग्रेस के पक्ष में माहौल बना है। इनमें मुकर्रम अंसारी, इरशाद अंसारी और लक्सर से विजेंद्र चौधरी महत्वपूर्ण है। इसके अलावा कई दूसरे भाजपा नेताओं ने भी कांग्रेस का दामन थामा है जो अनुपमा के लिए फायदेमंद साबित होता दिख रहा है। वही लक्सर से इस बार सैनी उम्मीदवार को टिकट दिया गया है उम्मीद है कि इसका असर हरिद्वार ग्रामीण पर भी देखने को मिलेगा। कांग्रेस के परंपरागत वोट बैंक के अलावा और अनुपमा रावत एक अच्छी वक्ता भी है और अगर वह अगले 15 दिन में अपने इसी मोमेंटम को बरकरार रख पाए तो स्वामी के लिए बड़ी चुनौती साबित हो सकती है और जिसका परिणाम बदलाव का सबब बन सकते हैं।
वरिष्ठ पत्रकार करण खुराना बताते हैं की हरिद्वार ग्रामीण पर अनुपमा रावत को सिर्फ इसलिए टिकट नहीं मिला कि वह हरीश रावत की बेटी है बल्कि महिला कोटे से अनुपमा रावत को टिकट मिला है। अनुपमा महिला कांग्रेस में सक्रिय रही हैं और मुद्दों को उठाने मे हमेशा आगे रही हैं। एक और सबसे महत्वपूर्ण बात जो हमें देखती है कि समय के साथ उनमें और ज्यादा परिपक्वता आई है। अब वह 2017 वाली अनुपमा रावत नहीं नजर आती है उनमें अनुभव की राजनीति अब दिखने लगी है। जिसका फायदा वह अपने चुनाव को बनाने में उठा सकती हैं। जहां तक चुनाव के समीकरण की बात करें तो हरिद्वार ग्रामीण पर इस तरह से फील्डिंग सजाई गई है वह अनुपमा रावत को बहुत बड़ा फायदा देने वाली है। भाजपा के स्वामी यतीश्वरानंद हालांकि मजबूत है । लेकिन पिछले 10 साल की उनकी एंटी इनकंबेंसी भी है जिसका फायदा अनुपमा उठाकर बड़ा उलटफेर करने की ताकत रखती है।
अंसारी बंधु नाराज़, क्या मान जाएंगे
वही टिकट की रेस में चल रहा है एडवोकेट हनीफ अंसारी ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। साथ ही अपने पारिवारिक कारणों की मजबूरी बताते हुए उन्हें चुनाव की कोई भी जिम्मेदारी ना देने की बात कही है। इसी तरह उनके छोटे भाई और जिला पंचायत सदस्य नसीम अंसारी ने भी चुनाव में कोई भी जिम्मेदारी देने से इनकार करने की बात कही है। हालांकि सूत्र बताते हैं कि यह नाराजगी दूर भी हो सकती है।
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