विकास कुमार।
हरिद्वार के सरकारी अस्पतालों में धूल फांक रहे 64 वेंटिलेटर्स बेड और अन्य साजो समान को चलाने में नाकाम स्वास्थ्य विभाग ने अपने वेंटिलेटर निजी अस्पतालों को दिए हैं। हालांकि भले ही वेंटिलेटर सरकारी हों लेकिन निजी अस्पताल अपने चार्ज पूरे ले रहे हैं। मरीजों को कोई रियायत नहीं दी जा रही है। इसकी पुष्टि खुद स्वास्थ्य विभाग ने की है।
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कहां कितने वेंटिलेटर हैं सरकारी अस्पतालों में
सीएमओ डा. एसके झा के मुताबिक कोरोना की पहली लहर के बाद हरिद्वार के मेला अस्पताल में 22, बाबा बर्फानी में 28 और सिविल अस्पताल रूडकी में 14 वेंटिलेटर मशीने लाई गई थी। लेकन स्टॉफ ना होने के कारण इन अस्पतालों में रखे वेंटिलेटर शुरु नहीं किये जा सके हैं, अभी तक हमें स्टॉफ नहीं मिला है। लेकिन हम अपने स्तर से प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि 28 वेंटिलेटर निजी अस्पतालों को दिए गए हैं। हालांक चार्ज वो नियमानुसार ही ले रहे हैंं लेकिन किसी को सरकारी वेंटिलेटर होने के नाते फ्री सुविधा या रियायत नहीं मिल पा रही है।
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इन निजी अस्पतालों को दिए गए वेंटिलेटर
स्वास्थ्य विभाग के अनुसार इनमें से 28 वेंटिलेटर निजी अस्पतालों को दिए गए हैं। सिविल अस्पताल रूडकी से 10 वेंटिलेटर जया मैक्सवेल और चार देहरादून में भेजे गए हैं। जबकि एसआर मेडीसिटी को छह, भूमानंद अस्पताल को पांच और आरोग्यम अस्पताल को तीन वेंटिलेटर दिए गए हैं।
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निजी अस्पताल चला सकते हैं तो सरकारी क्यों नहीं
इस बीच सवाल ये भी है कि जब निजी अस्पताल सीमित स्टाफ के साथ वेंटिलेटर चला पा रहे हैं तो सरकारी अस्पतालों को चलाने में क्या दिक्कत पेश आ रही है। वहीं निजी असपतालों में मरीजों से मनचाहा चार्ज वसूला जा रहा है। यहां कोई रोक टोक नहीं है। लेकिन डॉक्टर होेने के बाद भी पर्याप्त स्टॉफ का बहाना बनाकर सरकारी अस्पतालों में वेंटिलेटर नहीं चल पा रहे हैं।
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