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हम कांग्रेस के गुलाम नहीं, हरीश रावत के बयान से हरिद्वार ग्रामीण में नाराजगी, बोले मुस्लिम वोटर

विकास कुमार/ऋषभ चौहान:
हरिद्वार ग्रामीण पर भाजपा, कांग्रेस और बसपा, आजाद समाज पार्टी के बीच कांटे का मुकाबला है। कांग्रेस का वोट बैंक समझे जाने वाले मुस्लिम मतदाता, हरीश रावत के एक बयान से नाराज दिख रहे हैं। इस नाराजगी में प्रचार के दौरान मुसलमानों से दूरी बनाए रखने और बडे जनाधार वाले हनीफ अंसारी और नसीम अंसारी के कांग्रेस छोड बसपा के साथ जाने के बाद इजाफा हुआ है, जो कांग्रेस के लिए सिरदर्द बना हुआ है।

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क्या बोले थे हरीश रावत
हरीश रावत जब कांग्रेस प्रत्याशी अनुपमा रावत के मुख्य चुनाव कार्यालय के उद्धाटन पर पहुंचे तो उन्होंने था कि जैसे 2017 में मेरे साथ धोखा हुआ अब फिर से मेरी बेटी के साथ धोखा किया जा रहा है। वहीं धनपुरा में आयोजित जनसभा में उन्होंने बातों ही बातों में मुकर्रम अंसारी पर कटाक्ष किया था जिससे मुसलमानों में भारी नाराजगी बनी है।
गौरतलब है कि 2017 में बसपा से मुकर्रम अंसारी चुनाव लडे थे और उन्हें करीब 18 हजार वोट मिले थे। इस बार बसपा ने दर्शन लाल शर्मा को टिकट दिया था लेकिन एन वक्त पर दर्शन लाल शर्मा की जगह युनूस अंसारी को टिकट दे दिया गया। जिसको लेकर हरीश रावत ने निशाना साधते हुए कहा ​था कि भाजपा के इशारे पर उनके साथ पहले धोखा हुआ और अब भी उनके साथ धोखा हो रहा है।

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हम कांग्रेस के गुलाम नहीं
धनपुरा निवासी आजम अंसारी ने बताया कि हम अभी तक कांग्रेस को ही वोट करते रहे हैं। लेकिन, कांग्रेस को सिर्फ हमारे वोट चाहिए जहां अधिकार देने की बात आती है तो हमें दूर कर दिया जाता है। आलम ये है कि आज हमें कांग्रेस ने अछूत बना दिया है। हमें कांग्रेस का वोट बैंक ना समझा जाए, बल्कि हम सोच समझ कर ही वोट करेंगे।
पदार्था निवासी आकिल अली ने बताया कि हरीश रावत ने हमें नीचा दिखाने की कोशिश की है। क्या 2017 में हरीश रावत मुकर्रम अंसारी की वजह से हारे। हमें लगता है कि हरीश रावत के कारण मुकर्रम अंसारी हार गए, क्योंकि मुकर्रम अंसारी का टिकट पहले हो गया था। हम ना तो कांग्रेस के गुलाम है और ना ही किसी अन्य दल के। हमारा अपना खुद का वकार है और पूरा तोल भाव करके ही वोट देंगे।
सराय निवासी ​फारुख खान ने बताया कि जो काम कराएगा सिर्फ उसको वोट देंगे। चाहे वो भाजपा का हो या फिर कांग्रेस, शिव सेना का या फिर आजाद समाज पार्टी का। 70 सालों में हमारा कोई विकास नहीं किया गया, बस वोट बैंक की तरह समझा गया। मतदान के दिन हमारी लंबी लाइनें लगवा दी जाती है और जब काम करने की बात आती है तो दूसरे लोगों का नंबर आता है और हमें पीछे कर दिया जाता है।

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