करण खुराना/विकास कुमार।
देश की धार्मिक राजधानी हरिद्वार शहर विधानसभा में इस बार क्या चुनावी मुद्दे हैं और किन मुद्दों को कांग्रेस व आम आदमी पार्टी भुना सकती है। इस बारे में हमने हरिद्वार के वरिष्ठ पत्रकारों से बात की और उनकी हरिद्वार के मुद्दों को लेकर बेबाक राय जानी। खासतौर पर पिछले बीस सालों से भाजपा के मदन कौशिक विधायक हैं और सरकार में दो बार शहरी विकास विभाग जैसे बडे मंत्रालय संभाल चुके हैं। और सबसे बडा सवाल ये भी कि क्या मदन कौशिक के सामने कांग्रेस या दूसरे दल इन मुद्दों को भुना पाने की काबलियत रखते हैं।
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भ्रष्टाचार हरिद्वार के सबसे बड़े मुद्दे
वरिष्ठ पत्रकार रतनमणि डोभाल बताते हैं कि हरकी पैडी हरिद्वार की पहचान है लेकिन हरकी पैडी क्षेत्र के समुचित विकास के लिए कुछ नहीं हुआ है। कुंभ 2021 में सीएसआर फंड से 34 करोड आए लेकिन ये भ्रष्टाचार की भेंट चढ गए और करोड़ों रुपए की घास बिछा दी गई कुंभ होते ही किसी काम की नही रही। इसके अलावा कोरोना घोटाला भी हरिद्वार का चुनावी मुद्दा है। पेंट माई सिटी, चौराहा निर्माण धांधली हुई। पुस्तकालय घोटाला सभी ने देखा। जहां तक सडकों की बात है तो गुणवत्ता अच्छी नही है। नमामि गंगे के कामों पर भी सवाल है। उन्होंने बताया कि सही विजन ना होने और भ्रष्टाचार के कारण हरिद्वार बेहाली की कगार पर है। मध्य हरिद्वार अभी भी जलभराव से जूझ रहा है।
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ना चिकित्सा ना स्वास्थ्य की सुविधा
प्रेस क्लब हरिद्वार के पूर्व अध्यक्ष राजेश शर्मा बताते हैं कि हरिद्वार में उच्च शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं का अभाव है। कोरोना में जिस तरीके से उच्च स्वास्थ्य सेवाओं का अभाव रहा उससे स्वास्थ्य सेवाओं की पोल खुल गई। बल्कि कोरोना के बाद भी हालात सुधरे नहीं है। शहर की बदहाल सफाई व्यवस्था भी एक बडा मुद्दा है। वरिष्ठ पत्रकार रतनमणी डोभाल बताते हैं कि सरकारी अस्पताल सिर्फ रैफर सेंटर बनकर रह गए हैं। मदन कौशिक एक डिग्री कॉलेज लाए लेकिन उसके लिए ना जमीन मिली ना कोई व्यवस्था। एक आश्रम में क्लासेस लगनी थी वो भी अधर में हैं। बीस सालों में जितनी बदहाली हरिद्वार ने झेली है शायद एक प्रमुख तीर्थ स्थल होने के बावजूद किसी अन्य शहर ने नहीं झेली।
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नशा और बेरोजगारी भी बडा मुद्दा
वरिष्ठ पत्रकार अवनीश प्रेमी बताते हैं कि हरिद्वार का व्यापार चौपट हो गया है। पर्यटकों/श्रद्धालुओं के लिए हरिद्वार हरकी पैडी के अलावा कोई दूसरा कारण हरिद्वार में रुकने का नहीं है। दूसरे धार्मिक स्थलों का विकास नहीं हो पाया है। गंगा के किनारों का विकास नहीं हो पाया, जिससे पर्यटक सीधे ऋषिकेश और दूसरे स्थलों की ओर जाने लगे हैं। इसका सीधा असर व्यापारियों पर पडा है। इससे बेरोजगारी बढी है। इसके अलावा नशा हरिद्वार की सबसे बडी समस्या बनकर उभरा है जो चुनावी मुद्दा बन रहा है। वरिष्ठ पत्रकार राजेश शर्मा बताते हैं कि हालांकि नशा सीधे जनप्रतिनिधि से जुडा मसला नहीं है। लेकिन एक नेता से ये अपेक्षा की जाती है कि वो अपने क्षेत्र की समस्याओं को दूर करें। नशा हरिद्वार शहर ही नही बल्कि हरिद्वार की दूसरी विधानसभा सीटों पर भी असर करेगा।
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