Uttarakhand Viral News हरिद्वार में एक मां ने अपनी छह माह की जुड़वा बेटियों की गला दबाकर हत्या कर दी। पुलिस ने पिता की तहरीर पर मां शिवांगी को गिरफ्तार कर लिया। आप भी सोच रहे होंगे कि अपनी जान से भी ज्यादा बच्चों को प्यार करने वाली मां उनकी हत्या कैसे कर सकती है। लेकिन ये खबर जितनी सीधी दिख रही है इसके पीछे की कहानी उतनी ही दर्दनाक और आंखें खोल देने वाली है। हत्या के पीछे की असल वजह को जानने से पहले आपको बताते हैं कि पूरी घटना क्या है।
छह मार्च को करीब दोपहर बारह बजे पुलिस को एक कॉल आई, जिसमें महेश सकलानी निवासी चंबा टिहरी ने बताया कि उसकी छह माह की जुड़वा बेटियों स्नेहा और ईशानी की संदिग्ध मौत हो गई है। महेश हरिद्वार में सिडकुल की एक कंपनी में काम करता था और हरिद्वार के ज्वालापुर में अपनी पत्नी के साथ किराए के मकान में रह रहा था। करीब डेढ़ साल पहले दोनों ने आपसी रजामंदी से शादी की थी। महेश ने बताया कि छह मार्च को सुबह उसकी पत्नी दूध लेने गई थी और वापस आकर देखा तो दोनों बच्चियां बेसुध थी। महेश की पत्नी शिवांगी दोनों को अस्पताल लेकर गई जहां डॉक्टरों ने दोनों को मृत घोषित कर दिया। महेश उस वक्त अपनी ड्यूटी पर थे। Uttarakhand Viral News
Uttarakhand Viral News
पुलिस ने भी मामले की गंभीरता को देखते हुए पोस्टमार्टम कराया जिससे ये स्पष्ट हो गया कि बच्चियों की हत्या गला दबाकर की गई है। पुलिस ने तुरंत मुकदमा दर्ज किया और सीसीटीवी फुटेज देखकर पुलिस हैरान हो गई। एसएसपी हरिद्वार प्रमेंद्र डोबाल ने बताया कि सीसीटीवी फुटेज में घर के अंदर कोई भी जाता हुआ दिखाई नहीं दिया। पूरा शक बच्चियों की मां शिवांगी पर गया और पूछताछ में शिवांगी टूट गई।
पुलिस का दावा है कि शिवांगी अपनी दोनों जुड़वा बेटियों के लालन पालन करने में असमर्थ हो रही थी और अकेला होने के कारण वो दबाव नहीं झेल पाई। छह मार्च को जब शिवांगी के पति महेश सकलानी अपने काम पर चले गए तो बच्चियां रोने लगी। शिवांगी ने नींद में दोनों को चुप कराने का प्रयास किया लेकिन बच्चियां चुप नहीं हुई। शिवांगी ने दोनों पर रजाई डाल दी। फिर भी चुप नहीं हुई तो उनका गला दबा दिया और सो गई। कुछ देर बाद जब शिवांगी उठी तो दोनों बेटियों को बेसुध पाया।
ये तो थी पुलिस की थ्योरी लेकिन अब बात करते है उस बिमारी की जिसके चलते एक मां अपनी बेटियों की कातिल बन गई। वरिष्ठ मनोचिकित्सक डाक्टर राजीव रंजन तिवारी बताते हैं कि बच्चे को जन्म देने के बाद मां के शरीर में कई होरमोनल बदलाव आते हैं जिससे मां के व्यवहार में चिड़चिड़ापन, अत्यधिक उदासी और तनाव पैदा होता है। इसे पोस्ट पार्टम डिप्रेशन कहते हैं। आमतौर पर ये प्रसव के एक माह तक रहता है लेकिन कुछ परिस्थतियों में ये ज्यादा समय तक चलता है। जैसे अकेलापन, बच्चे की देखरेख में किसी अन्य का सहयोग न मिल पाना या पारिवारिक माहौल में तनाव रहने के कारण ये और बढ़ जाता है। जिसमें मां या तो खुद की या फिर बच्चों को नुकसान पहुंचाने के बारे में सोचने लगती है। ये ऐसी महिलाओं को ज्यादा होता है जिनका पूर्व में कोई डिप्रेशन का इतिहास रहा हो।
Uttarakhand Viral News
अब शिवांगी की मनोदशा का आंकलन करते हैं। बीस वर्षीय शिवांगी के पिता का बचपन में ही देहांत हो गया था, कोरोना काल में मां भी चल बसी। शिवांगी अकेली थी और हरिद्वार में किसी कंपनी में काम करती थी। शिवांगी की मुलाकात महेश से हुई और दोनों ने आपसी रजामंदी से शादी कर ली।
महेश भी अपने परिवार से दूर रहता था और नौकरी के चलते बच्चों की देखरेख में ज्यादा समय नहीं दे पाया। अब शिवांगी के उपर घर के साथ—साथ दोनों जुड़वा बेटियों की जिम्मेदारी भी थी। एकल परिवार होने के कारण शिवांगी को बेटियों की देखरेख में किसी का सहयोग नहीं मिल पा रहा था। बहुत संभावना है कि शिवांगी प्रसव के बाद होने वाले पोस्ट पार्टम डिप्रेशन से जूझ रही हो और ये तनाव इतना बढ़ा कि उसने अपने बेटियों को मार डाला।
कुल मिलाकर यदि शिवांगी संयुक्त परिवार का हिस्सा होती या फिर उसे बच्चियों के लालन पालन में किसी का सहयोग मिलता तो शायद आज छह माह की मासूम स्नेहा और ईशानी जिंदा होती। इस स्टोरी पर आपकी क्या राय है कमेंट में जरुर बताएं।
