निर्दयी: सौंधी नर्सिंग होम के गेट पर दिया बच्चे को जन्म, नहीं खोला गेट, 108 ने दिया सहारा

निर्दयी: सौंधी नर्सिंग होम के गेट पर दिया बच्चे को जन्म, नहीं खोला गेट, 108 ने दिया सहारा


सौंधी नर्सिंग होम

रतनमणी डोभाल। सौंधी नर्सिंग होम
नियमों को ताक पर गैरकानूनी तरीके से चल रहे निजी अस्पतालों की एक और करतूत सामने आई हैं। रविवार देर रात करीब एक बजे आर्य नगर स्थित सौंधी नर्सिंग होम के गेट पर एक महिला ने बच्चे को जन्म दिया। सडक पर ही कराह रही मां की चीखों पर भी डॉक्टर और उनके स्टॉफ का दिल नहीं पसीजा।

बल्कि अस्पताल ने गेट खोलना भी मुनासिब नहीं समझा। बाद में मोहल्ले वालों ने 108 को फोन किया जब 108 के कर्मचारियों ने महिला को जिला अस्पताल में भर्ती कराया, जहां महिला और बच्चे की हालत ठीक है।

इमरजेंसी फीस मिले तो तुरंत नीचे उतर आते हैं डॉक्टर
सौंधी नर्सिंग होम के हालात ये है कि आप चाहे जितने भी लाइन में लगे हो या फिर दिन हो या रात अगर इमरजेंसी फीस देने का दम रखते हैं तो डॉक्टर आपको स्पेशल तौर पर बुला लेंगे। या फिर खुद ही गेट का ताला खोल आपको देखने आ जाएंगे। लेकिन यहां मामला एक गरीब कमलेश देवी का था। कमलेश देवी के पति प्रेम सिंह जल्दीबाजी में उसे सौंधी नर्सिंग होम ले गए।


प्रेम सिंह ने सोचा कि डॉक्टर भगवान का रुप होते हैं कोई मदद जरुर मिलेगी। लेकिन वहां उनकी सुनने वाला कोई नहीं था। किसी ने गेट नहीं खोला। मानवता शर्मसार होती रही और मां ने असहनीय पीडा के बाद गेट पर ही बच्चे को जन्म दे दिया। पूरा गेट पर बिखरा रक्त निर्दयी निजी अस्पतालों के सिस्टम की गवाही दे रहा था।

निर्दयी: सौंधी नर्सिंग होम के गेट पर दिया बच्चे को जन्म, नहीं खोला गेट, 108 ने दिया सहारा
निर्दयी: सौंधी नर्सिंग होम के गेट पर दिया बच्चे को जन्म, नहीं खोला गेट, 108 ने दिया सहारा


वहीं बाद में मोहल्ले वालों ने 108 को फोन किया और बाद में 108 आई जिसमें कर्मचारी पदम सिंह और मौहम्मद अमजद ने समझबूझ दिखाते हुए तुरंत महिला और बच्चे को रेस्क्यू कर महिला अस्पताल में भर्ती कराया। महिला अस्पताल के सीनियर बाल रोग विशेषज्ञ डा. संदीप निगम ने बताया कि महिला और बच्चे की हालत अब ठीक है। बच्चे को आब्जेरवेशन में रखा गया है।

सीएमओ हुए सख्त, बोले जांच कराई जाएगी
वहीं सीएमओ डा. मनीष दत्त के संज्ञान में मामला आते ही उन्होंने पूरे मामले की जांच कराने की बात कही है। उन्होंने कहा कि कम से कम मानवता के आधार पर ट्रीटमेंट दिया जाना चाहिए था। या फिर चैक कर उचित सलाह दी जाती। पूरे मामले की चूक कहां हुई इसकी जांच कराई जाएगी। वहीं जब इस बारे में सौंधी नर्सिंग होम के डॉक्टरों से संपर्क करने का प्रयास किया गया तो कई कोशिशों के बाद भी संपर्क नहीं हो पाया।

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