विकास कुमार।
कांग्रेस पार्षद और सलमानी वेलफेयर सोसायटी के अध्यक्ष इसरार अहमद व अन्य सदस्यों पर गबन व संपत्ति खुद—बुर्द के आरोपों के खिलाफ सलमानी बिरादरी एक साथ खडी हो गई है। साथ ही तमाम आरोपों को गलत बताते हुए आरोप लगाने वाले नसीम सलमानी को ही कठघरे मे खड़ा कर दिया है। वहीं नसीम सलमानी ने जिस आठ सदस्यों की कमेटी का हवाला देते हुए डीएम को शिकायत की थी उस कमेटी के चार सदस्यों ने भी इसरार अहमद का पक्ष करते हुए सभी आरोपों को गलत बताया है और कहा कि इसरार अहमद पहले ही कमेटी को पूरा हिसाब दे चुके थे लेकिन नसीम सलमानी व कुछ अन्य लोग आठ सदस्य कमेटी के जरिए बिरादरी व इसकी संपत्ति पर काबिज होना चाहते हैं, जिसके कारण ये पूरा षडयंंत्र रचा गया है। सभी ने मिलकर पूरे मामले की निष्पक्ष जांच करने और अस्थायी तौर पर पिछले तीन साल से बिरादरी पर जबरन काबिज कमेटी के चार सदस्यों को हटाकर चुनाव कराने की मांग की है। कमेटी के सदस्य सोनू सलमानी ने कहा कि सोसायटी पर लगाए गए आरोप गलत हैं और पुलिस ने जो कमेटी चुनी थी बाद में उसके चार सदस्य नदीम सलमानी, शाहबाज सलमानी, उस्मान और अफजाल मनमानी करने लगे, जिसका विरोध किया तो उन्होंने हमें भी दरकिनार करना शुरु कर दिया और खुद ही सारे फैसले लेने लगे।
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2015 में पंजीकृत हुई थी सोसायटी
प्रेस क्लब में प्रेस वार्ता करते हुए इसरार अहमद ने बताया कि 2015 में सलमानी हज्जाम वेलफेयर सोसायटी पंजीकृत कराई गई थी, जो बिरादरी की संपत्ति और मस्जिद की देखरेख करती चली आ रही थी। इससे पहले ये काम बिरादरी द्वारा चुने गए जिम्मेदार सालों से चलाते आ रहे थे। लेकिन 2017 में जबदरस्ती विवाद पैदा किया गया और शहर के जिम्मेदार लोगों की मौजूदगी में पुलिस ने आठ लोगों की अस्थायी कमेटी बना दी। इस कमेटी को पंजीकृत सलमानी वेलफेयर सोसायटी ने 2017 में पूरा हिसाब दे दिया और एक लाख 17 हजार रुपए भी सुपुर्द कर दिए। हालांकि ये कमेटी अस्थायी तौर पर थी। इस कमेटी ने चुनाव नहीं कराया और खुद ही 2017 से जबरन काबिज चले आ रहे हैं। इस बीच नसीम सलमानी व इमरान सलमानी ने कमेटी के चार सदस्यों को अपने पक्ष में करकर अपने मतलब के काम कराने शुरु कर दिए।
उन्होंने बताया कि जब पंजीकृत सोसायटी ने इनके कामकाज पर सवाल उठाए और कमेटी के ही चार सदस्य जावेद सलमानी, सोनू सलमानी मतलूब सलमानी और एजाज सलमानी विरोध में खडे हो गए तो कमेटी का हवाला देते हुए नसीम सलमानी ने दबाव बनाने की नीयत से पंजीकृत सोसायटी पर आरोप लगाने शुरु कर दिए और शिकायत की गई इन्होंने बिरादरी को पिछले 35 सालों से हिसाब नहीं दिया है।
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क्या हुआ रजिस्ट्रार की जांच में
सोसायटी रजिस्ट्रार की जांच में संपत्ति खुर्दबुर्द करने और अपने नाम करने का आरोप लगाया गया। लेकिन, रजिस्ट्रार ने जांच में खुद माना कि सोसायटी पंजीकृत ही 2015 में हुई है। इससे पहले के हिसाब की जांच करना उनके अधिकार क्षेत्र में नहीं है। इस बीच चूंकि सोसायटी ने 2017 में अस्थायी कमेटी को हिसाब दे दिया था लिहाजा, सोसायटी रजिस्ट्रार कार्यालय में आय—व्यय का ब्यौरा जमा नहीं करा पाए। जिसे रजिस्ट्रार ने जमा कराने के लिए कहा। इसरार अहमद ने बताया कि उनके नाम कोई भी संपत्ति नहीं है और जो भी संपत्ति है वो प्रबंधकों के नाम चली आ रही है और वो भी 2015 से पहले के प्रबंधकों के नाम है और संपत्ति की देखरेख बिरादरी द्वारा चयनित जिम्मेदार व बाद में ये कमेटी करती आ रही है। उन्होंने कहा कि पूरा हिसाब हमने बिरादरी की आम सभा को दिया है और आडिट कराकर रजिस्ट्रार कार्यालय में भी दे रहे हैं।
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निकाय चुनाव में हार का बदला लेने की मंशा
इसरार अहमद ने बताया कि नसीम सलमानी हमारी बिरादरी के द्वारा चयनित नही हो पाए और मेरे खिलाफ उन्होंने पार्षद का चुनाव लडा था, जिसमें उनकी जमानत जब्त हुई थी। ऐसे में बिरादरी और चुनाव में मिली हार की रंजिश का बदला लेने के लिए षडयंत्र रचा गया है। जिसका जवाब दिया जा रहा है और इस षडयंत्र को कोर्ट में चुनौती दी जाएगी। उन्होंने ये भी आरोप लगाया कि नसीम सलमानी ने बिरादरी के कब्रिस्तान के लाखों रुपए के पेड काटे और बिरादरी के खाते में महज दस हजार रुपए जमा कराए, जब बिरादरी ने सवाल जवाब किया तो ये षडयंत्र रचना शुरु कर दिया।