रतनमणी डोभाल।
हरिद्वार में बडे पैमाने पर अवैध कॉलोनियां विकसित की गई। हरिद्वार रुडकी विकास प्राधिकरण के आंकडों के मुताबिक करीब 150 से अधिक अवैध कॉलोनियों को सीज किया जा चुका है। जिसके बाद इन कॉलोनियों में प्लाट खरीदने वाले फंस गए हैं, यही नहीं जिन्होंने अपना मकान बना लिया है वो भी अधर में लटक गए हैं। वहीं दूसरी ओर बिल्डर ने जिस किसान की जमीन लेकर कॉलोनी विकसित की है वो भी फंस गया है। लेकिन सबसे ज्यादा चांदी बिल्डर काट रहे हैं। आखिर उपभोक्ताओं को अवैध कॉलोनियों में प्लाट खरीदने से क्या नुकसान होता है। आइये जानते हैं
————————————
अवैध कॉलोनियों में होता है इन सुविधाओं का अभाव
किसी भी कॉलोनी को विकसित करने के लिए प्राधिकरण से एप्रूव कराना होता है। सरकारी नियमों को पालन करते हुए चौडी सडकें, पार्क, सीवर, पेयजल, विद्युत आदि की व्यवस्था करनी होती हैं यही नहीं आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लोगों के लिए भी भूमि आरक्षित रखनी पडती है। लेकिन बिना अनुमति लिए काटी जा रही इन कॉलोनियों में ना तो नियमानुसार चौडी सडकें हैं और ना ही पेजयल और सीवर की व्यवस्था होती है। पार्क के लिए छोडी जानी वाली जमीन भी ये बिल्डर बेच देते हैं। इसके अलावा व्यवसायिक भूमि भी नहीं छोडते हैं। वहीं कमजोर वर्ग के लिए भी जमीन आरक्षित नहीं रखते हैं। अवैध कॉलोनियों में प्लाट लेने से आपको ये सुविधाएं नहीं मिल पाती है। या फिर इनकी खुद ही व्यवस्था करनी होती है।
————————————
अवैध कॉलोनियों में नहीं होता नक्शा पास
उधर, अवैध कॉलोनियों में नक्शा भी पास नहीं किया जाता है और बिना नक्शा पास किए बिना किया गया निर्माण प्राधिकरण सील कर देता है। बिल्डर तो जमीन बेचकर निकल जाता है लेकिन भुगतना खरीदार को पडता है। एचआरडीए सचिव उत्तम सिंह चौहान ने बताया कि सुविधाओं अवैध कॉलोनियों में नहीं होती है और ना ही नौ मीटर चौडी सडक होती है। पार्क भी नहीं होता। इसे अलावा इन कॉलोनी में निर्माण का नक्शा भी पास नहीं किया जा सकता है।
————————————————
बिल्डर—प्रोपर्टी डीलर काट रहे चांदी
वहीं बिल्डर आमतौर पर किसान से मौखिक सौदा कर कुछ पैसा उसे देकर प्लाटिंग शुरु कर देते हैं। हालांकि कुछ जमीन खरीद भी लेते हैं। अधिकतर मामलों में लैंड यूज चेंज नहीं होता हैं इसके बाद प्लाटिंग पूरी तरह अवैध हो जाता है। प्रोपर्टी बिना अनुमति के प्लाट बेचना शुरु कर देते हैं और महंगे दामों पर प्लांटिग कर उपभोक्ताओं को फंसा लेते हैं और बाद में सारी परेशानी खरीदार और किसान को उठानी पडती है। जबकि बिल्डर अपना मुनाफा बना निकल जाते हैं।
Read This Aslo : सिडकुल पार्ट—2: खानपुर का काम लगभग पूरा, अब यहां भी बनेगा सिडकुल, जमीन चयनित
