विकास कुमार।
गुरुकुल विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. रूप किशोर शास्त्री और और एक अन्य प्रोफेसर की शैक्षिक डिग्रियों पर सवाल उठाकर जांच की मांग करने वाले प्रो. श्रवण कुमार शर्मा को निलंबित कर दिया गया है। उन पर कई गंभीर आरोप लगाते हुए नोटिस जारी किया गया था। कुलपति का कहना है कि संतोषजनक जवाब ना मिलने के कारण उन्हें निलंबित कर दिया गया है।
कुलपति प्रो. रूप किशोर शास्त्री की ओर से जारी प्रेस नोट में बताया गया कि छह दिसंबर को गुरुकुल कांगडी समविश्वविद्यालय हरिद्वार के अंग्रेजी विभाग में कार्यरत डा. श्रवण कुमार शर्मा को सन्तोषजनक स्पष्टीकरण न देने पर अनुशासनहीनता एवं अन्य विभिन्न आरोपों में निलम्बित कर जाँच बैठा दी गई है। विश्वविद्यालय में नैक कमैटी की प्रस्तावित विजिट 24-26 दिसम्बर 2021 को होनी थी, जिसकी युद्धस्तर पर तैयारियाँ विश्वविद्यालय में चल रही थी। आन्तरिक गुणवत्ता एवं आश्ववासन प्रकोष्ठ के निदेशक प्रो. आर.सी. दुवे ने दिनांक 13.10.2021 को एक आवश्यक बैठक नैक कमैटी के विजिट के परिप्रेक्ष्य में 18 अक्टूबर 2021 को आहूत की थी, जिस बैठक में श्रवण कुमार शर्मा का प्रो. सत्यदेव निगमालंकार तथा अन्य शिक्षकों से नौंकाझोकी तथा विवाद हो गया।
कुलपति जी के बार-बार कहने पर डा. श्रवण कुमार शर्मा कुलपति से ही नौंकाझोकी करने लगे और आपे से बाहर होकर कुलपति को उनके नाम से सम्बोधित करने लगे। विवाद इतना बढा कि श्रवणकुमार शर्मा आपे से बाहर होकर प्रो. सत्यदेव निगमालंकार की ओर मारने झपटे और जान से मारने की धमकी दे डाली। बैठक की अध्यक्षता कर रहे कुलपति प्रो. रूपकिशोर शास्री ने व्यवस्था देते हुए डा. श्रवण कुमार शर्मा को अविलम्ब बैठ जाने को कहा। डा. श्रवण कुमार शर्मा नहीं बैठे। कुलपति द्वारा बार-बार आदेशित करने के बाद भी डा. श्रवण कुमार शर्मा नहीं बैठे। अन्त में कुलपति महोदय ने आदेशित किया कि आप बैठक से बाहर जाएँ। डा. श्रवण कुमार शर्मा ने कहा कि मैं क्यों जाऊँ तुम बाहर जाओ और बैठक से बाहर नहीं गए अपने स्थान पर बैठ गए। इससे पूर्व भी वर्ष मई 1995 में भी डा. श्रवण कुमार शर्मा को सीनेट का घेराव करने और सदस्यों के साथ बदतमीजी अनुशासनहीनता, बदसलूकी कुलाधिपति और कुलपति के आदेशों की अवहेलना करने पर निलम्बित किया गया था। उस समय बिना शर्त माफीनामा देने पर अनेकों प्रतिबन्धों के साथ इनका निलम्बन समाप्त किया गया था।
निलम्बन आरोपपत्र में विश्वविद्यालय की गरिमा को आघात पहुँचाना, विश्वविद्यालय के कुलाधिपति, कुलपति के आदेशों की अवहेलना करना, गुरुकुल के सिद्धान्तों पर कुठाराघात करना, आर्यसमाज के मूलभूत सिद्धान्तों के साथ खिलवाड करना था। जाँच अधिकारी ने 13.07.1995 की अपनी रिपोर्ट में उन्हें दोषी पाया और बिना शर्त लिखित क्षमा याचना प्रस्तुत करने पर नौकरी समाप्त न करने की संस्तुति की। डा. श्रवण कुमार शर्मा के निलम्बन की पुष्टि 08.06.1996 की शिष्ट परिषद् द्वारा की गई और यह संस्तुति की कि शिक्षणकार्य के इतर इन्हें भविष्य में कोई भी प्रशासनिक कार्य न दिया जाए। किन्तु इतना होने का बावजूद भी समय-समय पर इनकी बदतमीजी एवं हठधर्मिता के लिये प्रशासन ने कई बार इन्हें मौखिक चेतावनियाँ समय-समय पर दी। लेकिन प्रो. श्रवण कुमार शर्मा अपनी हरकतों से बाज नहीं आए। इन्हीं सब हरकतों के चलते विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा अब पुनः प्रो. श्रवण कुमार शर्मा को निलम्बित कर दिया गया है। विश्वविद्यालय में स्वस्थ व्यवस्था को बनाये रखने के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन कठोर से कठोर कदम उठाने में कोई कौताही नहीं बरतेगा।
गुरुकुल विवि के कुलपति की फर्जी डिग्री का आरोप लगाने वाले प्रोफेसर निलंबित, क्या था मामला
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