हरिद्वार कांग्रेस में गुटबाजी: विधायक और अध्यक्ष में ठनी, गुटबाजी में कौन किस पाले में, Haridwar Congress News

मिशन 2022: हरिद्वार जनपद में कांग्रेस इस बार कितनी सीटों पर मुस्लिम उम्मीदवार उतारेगी, पढ़िए


विकास कुमार/अतीक साबरी।
हरिद्वार जनपद की 11 विधानसभा सीटों में मुस्लिम मतदाता दलितों के बाद बडी भूमिका निभाते हैं। अमूमन कांग्रेस तीन सीटों पर मुस्लिम उम्मीदवार उतारती आई है। लेकिन इस बार सिर्फ दो ही उम्मीदवारों को टिकट दिया जाएगा। इनमें एक मंगलौर विधानसभा है जबकि दूसरी कलियर है। दोनों पर ही कांग्रेस के मुस्लिम विधायक है।
हालांकि पहले कांग्रेस लक्सर और हरिद्वार ग्रामीण से मुस्लिम प्रत्याशियों को टिकट देती आई है। लेकिन इस बार इन दोनों ही सीटों पर कांग्रेस ओबीसी या ठाकुर पर दांव खेल सकती है। लक्सर से किसी सैनी उम्मीदवार के आने की संभावना है जबकि हरिद्वार ग्रामीण से अभी तक हरीश रावत या उनके किसी परिवार के सदस्य को टिकट मिल सकती है।
वरिष्ठ पत्रकार रतनमणि डोभाल बताते हैं कि कांग्रेस ने हरिद्वार ग्रामीण से इरशाद अली को टिकट दिया था लेकिन वो चुनाव नहीं जीत पाए थे। इसके बाद कांग्रेस ने लक्सर में मुस्लिम उम्मीदवार उतारा लेकिन वहां भी हार मिली। असल में कांग्रेस के मुस्लिम उम्मीदवारों को दूसरी जातियों का वोट नहीं मिल पाता है, जिसके कारण वो पिछड जाते है। इसके अलावा मुस्लिम उम्मीदवार होने पर भाजपा के​ लिए धुव्रीकरण की राजनीति खेलना आसान हो जाता है जिसके कारण कांग्रेस के उम्मीदवार जीत नहीं पाते हैं। मंगलौर और कलियर की बात करें तो दोनों ही मुस्लिम बाहुल्य सीटे हैं।
खासतौर पर मंगलौर में काजी निजामुद्दीन अपने स्तर से जाट—गुर्जर और दूसरी गैर मुस्लिम वोट बैंक हासिल करने में कामयाब हो जाते हैं। जिसके कारण कांग्रेस के काजी निजामुद्दीन को जीत मिलती है। जहां तक बात कलियर की है तो यहां भाजपा अभी तक बहुत मजबूत उम्मीदवार नहीं उतार पाई और फुरकान मुसलमानों में भी अपनी जाति के आधार पर वोट बटोरने में कामयाब हो जाते हैं। हालांकि मेरी राय में कांग्रेस को फुरकान अहमद को बदल देना चाहिए क्योंकि वो कलियर में विकास के लिए कुछ सोच नहीं पाए हैं। लेकिन इस बार बसपा के मौहम्मद शहजाद कलियर छोडकर लक्सर पहुंच गए हैं जिससे फुरकान के लिए राह आसान हो गई है। हालांकि यहां बसपा ने सैनी उम्मीदवार उतारकर अच्छा गेम प्लान सेट किया है। क्योंकि शहजाद के समर्थन वाला वोट बैंक अगर बसपा पर शिफ्ट हुआ और सैनी वोट बैंक अगर बसपा लेने में कामयाब रही तो यहां फुरकान के लिए मुसीबत हो सकती है।

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